30 लाख लोग मिलकर करेंगे दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे, 11 हजार करोड़ का बजट और जाति गणना; जानिये जनगणना 2027 का पूरा प्लान

केंद्रीय कैबिनेट ने बहुप्रतीक्षित जनगणना 2027 को मंजूरी दे दी है। इस बार सबसे बड़ी खबर यह है कि जनगणना में 'जाति गणना' (Caste Census) को भी शामिल किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया पर 11,718 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

New Delhi -: केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार ने देश में जनगणना 2027 (Census 2027) कराने का औपचारिक ऐलान कर दिया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि यह अब तक की 16वीं और आजादी के बाद की 8वीं जनगणना होगी। कोविड महामारी के कारण 2021 की जनगणना टल गई थी, लेकिन अब इसे नए सिरे से और आधुनिक तरीके से आयोजित किया जाएगा। इस महाअभियान की अनुमानित लागत 11,718 करोड़ रुपये तय की गई है।

दो चरणों में पूरा होगा काम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जनगणना का काम दो चरणों में होगा। जिसमें  पहला चरण (मकान सूचीकरण): इसकी शुरुआत अप्रैल 2026 से होगी और यह सितंबर 2026 तक चलेगा। वहीं  दूसरा चरण (जनसंख्या गिनती): मुख्य जनगणना फरवरी 2027 से शुरू होगी। हालांकि, बर्फ से ढके दुर्गम क्षेत्रों में यह काम सितंबर 2026 से ही शुरू कर दिया जाएगा। जनगणना की संदर्भ तिथि (Reference Date) 1 मार्च 2027 को 00:00 बजे निर्धारित की गई है।

जाति गणना और डिजिटल तकनीक पर जोर 

इस बार की जनगणना में एक बड़ा बदलाव 'जाति गणना' को शामिल करना है, जिसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी। इसके अलावा, तकनीक का भरपूर इस्तेमाल होगा। नागरिकों को 'स्व-गणना' (Self-enumeration) का विकल्प मिलेगा, यानी वे खुद अपना डेटा भर सकेंगे। सरकार 'जनगणना-एक-सेवा' (CaaS) के तहत एक डैशबोर्ड भी तैयार करेगी, जिससे डेटा आसानी से विश्लेषण के लिए उपलब्ध होगा।

रोजगार के बड़े अवसर 

यह कवायद सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि रोजगार भी पैदा करेगी। इस विशाल कार्य को अंजाम देने के लिए लगभग 30 लाख जमीनी कार्यकर्ताओं (Enumerators) को लगाया जाएगा। सरकार का अनुमान है कि इससे 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार सृजित होगा। यह पूरी प्रक्रिया जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत की जाएगी।