Delhi Blast: धरती के भगवान निकले हैवान, 5 डॉक्टरों के गैंग ने दिल्ली को दहलाया, लाल क़िले धमाके के पीछे मेडिकल टेरर का चेहरा ऐसे हुआ उजागर

Delhi Blast: लाल क़िले के पास हुए धमाके ने न सिर्फ़ दिल्ली की दीवारें हिला दीं बल्कि डॉक्टरों पर से लोगों का भरोसा भी चकनाचूर कर दिया।....

5 डॉक्टरों के गैंग ने दिल्ली को दहलाया- फोटो : social Media

Delhi Blast: कहते हैं कि डॉक्टर इंसानियत के सबसे बड़े रहनुमा होते हैं, जिन्हें लोग धरती का भगवान कहते हैं। लेकिन जब यही भगवान हैवान बन जाएं, तो इंसानियत कांप उठती है। राजधानी दिल्ली में ऐसा ही हुआ। लाल क़िले के पास हुए धमाके ने न सिर्फ़ दिल्ली की दीवारें हिला दीं बल्कि डॉक्टरों पर से लोगों का भरोसा भी चकनाचूर कर दिया। इस धमाके का मास्टरमाइंड कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि सफेद कोट में छिपा दरिंदा डॉ. उमर निकला।

जांच एजेंसियों के मुताबिक, डॉ उमर के साथ उसके चार साथी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन, डॉ. आदिल और डॉ. मोहिउद्दीन भी इस नापाक साज़िश में शामिल थे। ये पांचों पढ़े-लिखे डॉक्टर मिलकर एक बड़े प्लान को अंजाम देने की फिराक़ में थे। सुरक्षा एजेंसियों ने उनके ठिकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में विस्फोटक और आधुनिक हथियार बरामद किए।जैसे-जैसे इस गैंग का चेहरा उजागर हुआ, समाज में एक सवाल गूंज उठा आख़िर वो तालीम किस काम की जो इंसान को हैवान बना दे?

दरअसल, ये कोई पहला मौका नहीं जब पढ़े-लिखे लोगों ने आतंक का रास्ता चुना हो। इतिहास गवाह है कि दुनिया के कई बड़े आतंकी बेहद तालीमयाफ़्ता रहे हैं।

लश्कर-ए-तैयबा का सरग़ना हाफिज़ सईद जिसने किंग सऊद यूनिवर्सिटी से इस्लामिक स्टडीज़ और अरबी में स्पेशलाइजेशन किया, वही आतंक की फ़ैक्ट्री चलाता है।

याक़ूब मेमन, 1993 मुंबई ब्लास्ट का दोषी, चार्टर्ड अकाउंटेंट था।

मंसूर पीरभॉय, इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी, सॉफ़्टवेयर इंजीनियर था और याहू में काम करता था।

ओसामा बिन लादेन, जिसने किंग अब्दुल अज़ीज़ यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री ली, उसने 1988 में अल-क़ायदा की नींव रखी।

अयमान अल-जवाहिरी, 9/11 हमले का मास्टरमाइंड, पेशे से सर्जन था

अबु बकर अल-बगदादी, ISIS का सरग़ना, इस्लामिक स्टडीज़ में PhD धारक था।

इतना ही नहीं, हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर जाकिर मूसा बी.टेक कर रहा था जब उसने बंदूक उठा ली।

9/11 के हाईजैकर्स भी कोई अनपढ़ नहीं थेमोहम्मद अत्ता, मारवान अल-शेही और ज़ियाद जर्राह जैसे नामों ने यूनिवर्सिटियों में डिग्रियां हासिल की थीं।

दिल्ली का डॉक्टर गैंग उसी कड़ी की एक नई मिसाल है जहां तालीम इंसानियत बचाने के लिए नहीं, उसे मिटाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है। अब सवाल ये है कि क्या ऐसे "मेडिकल टेररिस्ट" को धरती का भगवान कहा जा सकता है या इंसानियत का गुनहगार?