Bihar News: क्या महिला डॉक्टर से माफी मांगेंगे.....हिजाब विवाद पर मुख्यमंत्री नीतीश खामोश, महिला सम्मान से जुड़ा मुद्दा बना सियासी तूफान

Bihar News: जब मुख्यमंत्री दिल्ली दौरे पर पहुंचे, तो मीडिया ने उनसे सीधे सवाल पूछे-क्या महिला डॉक्टर का हिजाब हटाना सही था और क्या वे इस पर माफी मांगेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री ने....

हिजाब विवाद पर मुख्यमंत्री नीतीश खामोश- फोटो : social Media

Bihar News:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में आ गए हैं। आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम के दौरान एक महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने का मामला सामने आने के बाद प्रदेश की राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही विपक्ष, महिला संगठनों और अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े संगठनों ने इसे महिलाओं के सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री से सार्वजनिक माफी की मांग शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, 15 दिसंबर को नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान मुख्यमंत्री ने महिला डॉक्टर नुसरत के हिजाब की ओर इशारा करते हुए सवाल किया और फिर स्वयं अपने हाथ से हिजाब हटा दिया। इस क्षण में महिला कुछ समय के लिए असहज नजर आई, जबकि मंच पर मौजूद लोग हंसते दिखाई दिए। डिप्टी मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को मुख्यमंत्री को रोकने का प्रयास करते हुए भी कैमरे में देखा गया। यह दृश्य अब सत्ता की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

घटना के बाद जब मुख्यमंत्री दिल्ली दौरे पर पहुंचे, तो एयरपोर्ट पर मीडिया ने उनसे सीधे सवाल पूछे, क्या महिला डॉक्टर का हिजाब हटाना सही था और क्या वे इस पर माफी मांगेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री ने इन सवालों से बचते हुए केवल मुस्कुराकर हाथ जोड़े और बिना कोई जवाब दिए गाड़ी में बैठ गए। यही नहीं, दिल्ली में एक अन्य मीडिया संस्थान द्वारा पूछे गए सवालों पर भी उन्होंने पूरी तरह चुप्पी साधे रखी।

मुख्यमंत्री की इस खामोशी को लेकर सियासी गलियारों में तीखी चर्चा है। विपक्ष का आरोप है कि यह मामला केवल एक घटना नहीं, बल्कि महिलाओं के सम्मान और धार्मिक भावनाओं का अपमान है, जिस पर मुख्यमंत्री को स्पष्ट और संवेदनशील बयान देना चाहिए। वहीं, समर्थक इसे अनावश्यक रूप से तूल देने की कोशिश बता रहे हैं।

फिलहाल, इस पूरे विवाद पर मुख्यमंत्री की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन यह स्पष्ट है कि उनकी चुप्पी ने इस मुद्दे को और अधिक हवा दे दी है। सवाल यह है कि सुशासन और सामाजिक संतुलन की बात करने वाली सरकार इस संवेदनशील प्रकरण पर कब और कैसे अपना पक्ष रखेगी।