Indo-Pak tension: पाकिस्तान पर भारत का करारा प्रहार तय! PM मोदी की हाई-लेवल बैठकों से हलचल, क्या होगी अगली बड़ी कार्रवाई?

Indo-Pak tension: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठकों का सिलसिला जारी है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा और निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में है।

 Indo Pak tension
पाकिस्तान पर भारत का करारा प्रहार तय! - फोटो : social Media

Indo-Pak tension: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक समेत 28 लोगों की जान चली गई, जिसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट'  ने ली, जिसके तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े होने के सबूत भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखे हैं। इस घटना के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठकों का सिलसिला जारी है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा और निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में है।

पहलगाम हमले ने बदला भारत का रुख

पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए इस आतंकी हमले ने न केवल भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि सरकार और जनता के बीच गुस्से की लहर पैदा की। हमले के तुरंत बाद, पीएम मोदी ने अपना सऊदी अरब दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटे और तत्काल कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी  की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार  अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ  जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे। बैठक में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े कदम उठाने का फैसला लिया, जिसने पड़ोसी देश में खलबली मचा दी।

भारत के पांच बड़े फैसले: पाकिस्तान में हड़कंप

23 अप्रैल 2025 को हुई CCS बैठक में लिए गए फैसलों ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया। ये फैसले निम्नलिखित हैं:

सिंधु जल संधि का निलंबन: 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। यह संधि पाकिस्तान की 80% से अधिक कृषि और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। इस कदम से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है।

अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित अटारी चेकपोस्ट को बंद कर दिया गया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और आवागमन पूरी तरह ठप हो गया।

पाकिस्तानी वीजा रद्द: SAARC वीजा छूट योजना और अन्य सभी प्रकार के वीजा रद्द कर दिए गए। भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया।

पाकिस्तानी राजनयिकों पर कार्रवाई: नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित कर एक सप्ताह में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया। साथ ही, उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी गई।

इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास बंद: भारत ने इस्लामाबाद में अपने दूतावास को बंद करने का फैसला लिया, जो दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है।

इन कदमों के बाद पाकिस्तान में बौखलाहट साफ दिखाई दी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तत्काल राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की आपात बैठक बुलाई, जिसमें सेना प्रमुख और कैबिनेट मंत्री शामिल हुए। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत के कदमों को जवाब देने की बात कही, लेकिन उनकी टिप्पणियों में डर और अनिश्चितता साफ झलक रही थी।

PM मोदी की हाई-लेवल बैठकों का सिलसिला

पहलगाम हमले के बाद से दिल्ली में बैठकों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। 29 अप्रैल 2025 को पीएम मोदी ने 70 मिनट तक चली एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजीत डोभाल, CDS जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे। इस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदमों और संभावित सैन्य कार्रवाई पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने सेनाओं को "खुली छूट" दे दी है कि वे पाकिस्तान के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करें और लक्ष्य स्वयं तय करें।

30 अप्रैल 2025 को भी पीएम मोदी की अध्यक्षता में चार महत्वपूर्ण बैठकें होने वाली हैं, जो पाकिस्तान के खिलाफ अगले कदम को तय करेंगी:

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी : यह बैठक सुबह 11 बजे चल रही है और सुरक्षा से जुड़े बड़े फैसले लिया जा रहा है।

कैबिनेट कमेटी ऑन पोलिटिकल अफेयर्स (CCPA): राजनीतिक रणनीति पर चर्चा होगी।

कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA): आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को कमजोर करने के उपायों पर विचार।

कैबिनेट बैठक: इन तीनों बैठकों के बाद कैबिनेट बैठक में अंतिम रणनीति पर मुहर लगेगी।

इन बैठकों से स्पष्ट है कि भारत न केवल कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर, बल्कि सैन्य स्तर पर भी बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ "जीरो टॉलरेंस" नीति पर अडिग है और हमले के जिम्मेदारों को कड़ी सजा दी जाएगी।

पाकिस्तान में खौफ, भारत की सैन्य तैयारी

भारत के सख्त रुख से पाकिस्तान में डर का माहौल है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि "भारत किसी भी समय हमला कर सकता है," जिससे उनकी घबराहट उजागर होती है। पाकिस्तान ने अपने स्कर्दू एयरबेस को सक्रिय कर फाइटर जेट तैनात किए हैं, और PoK में आतंकी लॉन्च पैड खाली कराए जा रहे हैं। भारतीय सेना ने भी जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन तेज कर दिए हैं। हाल ही में बांदीपोरा में लश्कर के एक टॉप कमांडर को मार गिराया गया, और NIA ने हमले की जांच शुरू कर संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं।

सूत्रों के अनुसार, भारत 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे सीमित सैन्य ऑपरेशन की रणनीति पर विचार कर सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार कार्रवाई का दायरा और प्रभाव पहले से कहीं बड़ा हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन और कूटनीति

पहलगाम हमले के बाद भारत को वैश्विक समुदाय का व्यापक समर्थन मिला है। अमेरिका, इटली, जापान, ब्रिटेन, नीदरलैंड, ईरान, यूएई, और सऊदी अरब जैसे देशों के नेताओं ने पीएम मोदी से बात कर हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़े होने का वादा किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों और महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से बात कर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर किया।

हालांकि, खाड़ी देश और ईरान तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा।

आगे क्या?

लगातार हो रही बैठकों और भारत के सख्त रुख से यह स्पष्ट है कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के मूड में है। पीएम मोदी ने बिहार में कहा, "आतंकी दुनिया के किसी भी कोने में छिपे हों, हम उन्हें चुनकर मारेंगे।" यह बयान भारत की "जीरो टॉलरेंस" नीति को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य मोर्चों पर एक साथ पाकिस्तान को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है।

हालांकि, सिंधु जल संधि को निलंबित करने जैसे कदमों से भारत को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, चीन जैसे पाकिस्तान के सहयोगी देशों के हस्तक्षेप की आशंका भी है। फिर भी, भारत का रुख स्पष्ट है—आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।पहलगाम हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को एक नए और तनावपूर्ण मोड़ पर ला दिया है। पीएम मोदी की उच्च स्तरीय बैठकों और सरकार के सख्त कदमों से यह साफ है कि भारत अब केवल चेतावनी देने तक सीमित नहीं रहेगा। क्या यह कार्रवाई सर्जिकल स्ट्राइक तक सीमित रहेगी, या भारत कोई और बड़ा कदम उठाएगा? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन इतना तय है कि भारत का जवाब इस बार ऐतिहासिक और निर्णायक होगा।


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