Supreme court - करोड़ों के कैश कांड में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस के खिलाफ जांच पूरी, समिति ने की महाभियोग की सिफारिश

Supreme court - दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस के खिलाफ करोड़ों रुपए के कैश कांड के मामले में महाभियोग का कार्यवाही की सिफारिश की गई है। इसको लेकर तीन सदस्यों की कमेटी ने जांच की थी।

NEW DELHI - दिल्ली हाईकोर्ट के  पूर्व जस्टिस   यशवंत  वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की सिफारिश की गई है। जिस तरह से उनके दिल्ली  आवास के स्टोर रुम से अधजले करोड़ों  रुपए कैश मिले थे। उसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बीते  22 मार्च को तीन सदस्यीय जांच कमेटी  बनाई थी। अब कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है और रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि स्टोर रूम पर जस्टिस वर्मा के परिवार की पूरी निगरानी थी और वहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी। इन तथ्यों को देखते हुए समिति ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग की है। 

55 गवाहों से   पूछताछ

जांच के दौरान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल ने 55 गवाहों से पूछताछ की है। वहीं जांच के बाद जस्टिस वर्मा का बयान भी दर्ज किया गया है। जिसके बाद समिति ने गुरुवार सुबह 64 पन्नों की रिपोर्ट पेश की। समिति की रिपोर्ट में दो प्रमुख खुलासे किए गए हैं, जो जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की इसकी सिफारिश का आधार बनती हैं। 

सिर्फ परिवार के पास  स्टोर रूम का एक्सेस

रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने बताया, “हमने पाया कि 30 तुगलक क्रिसेंट के परिसर में स्थित जिस स्टोररूम में नकद राशि मिली थी, वह आधिकारिक तौर पर जस्टिस वर्मा के कब्जे में थी।” वहीं दूसरे प्वाइंट में कहा गया, "स्टोर रूम तक न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों की पहुंच थी और वहां किसी को भी बिना इजाजत जाने की अनुमति नहीं थी।"

महाभियोग के लिए पर्याप्त आधार

अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में पैनल ने कहा है कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं। 

स्टोर रुम में  मिली करोड़ो रुपए की जली गड्डियां

बता दें कि मार्च में जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने कर बाद वहां बड़ी मात्रा में नोटों की गड्डियां मिली थीं। आरोपों के बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। हालांकि उन्हें कोई भी न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया। 

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। 

पैनल ने 4 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंप दी हैं। हालांकि इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

जस्टिस यशवंत वर्मा का इस्तीफे से इनकार

वहीं जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार करते हुए स्टोररूम से बरामद जली हुई नकदी से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि उनके और उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोररूम में पैसे नहीं रखे।