राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बताया अवैध, गवर्नर को सख्त सुझाव- किसी राजनीतिक दल के नुमाइंदे की तरह ना करें काम
Supreme Court : राज्यपालों को किसी राजनीतिक दल के नुमाइंदे की तरह काम नहीं करने का सुझाव देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले में तमिलनाडु के राज्य्पाल को बड़ा झटका दिया है.

Supreme Court : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल को बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने 10 विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आरक्षित रखने के राज्यपाल के फैसले को अवैध और गलत करार दिया. न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने राज्यपाल आर एन रवि द्वारा विधेयकों को लटकाए रखने के फैसले को मनमाना और कानून गलत बताया. साथ ही राज्यपाल की सभी कार्रवाइयों को खारिज कर दिया और संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए कहा कि 10 विधेयक राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने की तिथि से ही स्पष्ट माने जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्यपाल को किसी राजनीतिक दल की तरफ से संचालित नहीं होना चाहिए. आपको उत्प्रेरक बनना चाहिए, अवरोधक नहीं. राज्यपाल को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई बाधा पैदा न हो. अपना फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि राज्यपाल संविधान के तहत पॉकेट वीटो या पूर्ण वीटो का प्रयोग नहीं कर सकते. न्यायालय ने कहा, "संविधान में न तो पॉकेट वीटो और न ही पूर्ण वीटो की अवधारणा को जगह मिलती है। इसका मतलब है कि राज्यपाल को विधेयकों पर बैठने की अनुमति नहीं है।"
मुख्यमंत्री ने जताई ख़ुशी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक और देश के हर राज्य की जीत बताया। उन्होंने कहा कि डीएमके राज्य के अधिकारों और संघवाद के लिए लड़ती रहेगी। तमिलनाडु ने संघर्ष किया और उसमें विजयी हुआ। यह ऐतिहासिक फैसला आया है। विधानसभा में एक संक्षिप्त बयान देते हुए स्टालिन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी 10 विधेयकों को मंजूरी दे दी है, जिन पर राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी थी।
स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर महीनों तक रोक लगाई और उन्हें विधानसभा को वापस कर दिया। इसके बाद विधानसभा ने विधेयकों को पारित कर राज्यपाल को वापस भेज दिया, जिन्होंने उन पर मंजूरी नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध बताया था। यह सिर्फ तमिलनाडु के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक फैसला है।