फ्रॉड निकला महिला IPS का पति,EOW का बड़ा एक्शन,फ्लैट और प्लॉट के नाम पर कई लोगों ठग लिए 20 करोड़ से ऊपर रुपए..

IPS पत्नी का प्रभाव का इस्तेमाल कर लोगों को सस्ती दर फ्लैट और प्लॉट दिलाने का झांसा करोड़ों रुपए ठग लिए। अब मामला सामने आने के बाद पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने आईपीएस के पति पर शिकंजा कस दिया है।

फ्रॉड निकला महिला IPS का पति,EOW का बड़ा एक्शन,फ्लैट और प्लॉट के नाम पर कई लोगों ठग लिए 20 करोड़ से ऊपर रुपए..

N4N DESK - महिला आईपीएस के पति के खिलाफ करोड़ों रुपए के फ्राड का मामला सामने आया है। जिसमें पुलिस ने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में FIR दर्ज किया है। आरोप है कि महिला आईपीएस, जिनके पति का नाम पुरुषोत्तम प्रभाकर चव्हाण है, उन्होंने 24.78 करोड़ की ठगी की है। 

उक्त मामला महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से जुड़ी है। जहां मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने उनके खिलाफ ऐक्शन लिया है। उन पर प्रभादेवी, दादर, परेल, ठाणे और पुणे में फ्लैट और प्लॉट बेचने के बहाने 20 लोगों से 24.78 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप है। इस ठगी के लिए उसने सरकारी कार्यालयों में पत्नी के प्रभाव का इस्तेमाल किया और रियायती दरों पर खरीदारी का झांसा देते रहे।

रिपोर्ट के मुताबिक, सायन स्थित 57 वर्षीय व्यवसायी केदार देगवेकर ने धोखाधड़ी को लेकर शिकायत की थी, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई। वह साल 2019 से चव्हाण को जानते थे। FIR में कहा गया कि चव्हाण ने बहाने से दूसरे आरोपियों के खातों से धन अपने अकाउंट में ले लिए। वह मंत्रालय और अन्य सरकारी विभागों में अपने प्रभाव का उपयोग करता रहा। उसने रियायती कीमतों पर सरकारी कोटे की संपत्ति (जमीन और फ्लैट) बेचने का झांसा दिया और पैसे ले लिए।

कई हफ्तों की जांच के बाद की गई प्राथमिकी

चूंकि मामला एक आईपीएस के पति से जुड़ा था। इसलिए किसी कार्रवाई से पहले पूरी जांच की गई। जिसमें आर्थिक अपराध शाखा को कई हफ्तों का समय लग गया। इसके बाद, कोलाबा पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई और ईओडब्ल्यू ने जांच अपने हाथ में ले लिया। चव्हाण के अलावा FIR में कुछ और भी लोगों को नामित किया गया है।

कई सरकारी अधिकारी भी शामिल

दूसरे आरोपियों में प्रसाद देसाई, संजय पाटिल, गणेश पाटिल, दीपक मोरे, एनडी निर्मले, गोविंद सावंत, शशांक लिमये और यशवंत पवार शामिल हैं। सहायक उप-रजिस्ट्रार, परेल-सिवड़ी स्टांप पंजीकरण कार्यालय के अधिकारी और दूसरे लोगों के नाम भी लिस्ट में हैं। आरोप है कि इन लोगों ने मुख्य अपराधी को डुप्लिकेट दस्तावेज तैयार करने में मदद की थी।


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