बिहार की इस अदालत में महिला को मिली फांसी की सजा, कहा – जबतक सांसे न थम जाए, तब तक फंदे पर लटकाएं, जानें क्या है यह रेयरेस्ट मामला

bihar Crime - अररिया कोर्ट ने रेयर ऑफ दे रेयरेस्ट से जुड़े एक मामले में आरोपित महिला को फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही कहा कि महिला की मौत होने तक उसे फंदे पर लटकाया जाए।

Araria  - अररिया की अदालत ने एक ऐतिहासिक और कड़ा फैसला सुनाते हुए महिला को फांसी  की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट मामला बताते  हुए महिला को तबतक फांसी पर लटकाने  का आदेश दिया है, जबतक कि महिला की सांसे पूरी तरह से न थम जाए। 

सजाएफ्ता महिला पर अपनी ही बेटी की हत्या का आरोप है। यह मामला जिले के नरपतगंज थाना क्षेत्र का है, जहाँ एक मां ने अपने अवैध संबंधों का राज खुलने के डर से अपनी 10 वर्षीय बेटी की निर्मम हत्या कर दी थी। इस मामले को 'रेयर ऑफ द रेयरेस्ट' (विरले से विरला) मानते हुए एडीजे-04 रवि कुमार की अदालत ने स्पीडी ट्रायल के तहत फैसला सुनाया।

अवैध संबंधों ने बनाया कातिल

घटना की मुख्य वजह अवैध संबंध थी। जानकारी के मुताबिक, दोषी मां पूनम देवी (35 वर्ष) के अपने प्रेमी रूपेश सिंह के साथ अवैध संबंध थे। 21 जून 2023 को उसकी 10 वर्षीय बेटी शिवानी कुमारी ने अपनी मां को प्रेमी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। बच्ची ने यह बात अपने पिता को बताने की बात कही, जिससे नाराज होकर पूनम ने उसे जान से मारने की धमकी दी और प्रेमी के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची।

मछली में जहर और चाकू से वार

इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने के लिए पूनम ने 10 जुलाई 2023 का दिन चुना, क्योंकि उसका पति पंजाब से लौटने वाला था। उसने बाजार से मछली मंगवाई और उसमें कीटनाशक दवा मिला दी। जहरीली मछली खाने से जब बेटी बेहोश हो गई, तो मां ने सब्जी काटने वाले चाकू से उसके गले और पेट पर कई वार कर उसकी हत्या कर दी। यह कृत्य दर्शाता है कि मां की ममता पूरी तरह मर चुकी थी।

साक्ष्य मिटाने की नाकाम कोशिश

हत्या के बाद आरोपी मां ने शव को घर में रखे मक्का के ढेर (जलावन घर) में छिपा दिया। उसने घटनास्थल पर गिरे खून को साफ किया और चाकू को भी धो दिया। इसके बाद उसने खुद ही बेटी को खोजने का नाटक शुरू किया और बाद में शव को भी खुद ही 'बरामद' किया ताकि किसी को शक न हो। हालांकि, पुलिस की जांच में उसकी यह चालाकी पकड़ी गई।

मेडिकल रिपोर्ट और गवाही ने खोली पोल

अभियोजन पक्ष की एपीपी प्रभा कुमारी मंडल ने बताया कि मेडिकल जांच और एफएसएल रिपोर्ट ने इस केस को मजबूत आधार दिया। पोस्टमार्टम में चाकू के घाव की पुष्टि हुई, वहीं एफएसएल भागलपुर की जांच में मृतका के विसरा में 'डिकोलरस' नामक ऑर्गेनोफॉस्फोरस कीटनाशक पाया गया। 2 जनवरी 2024 से शुरू हुए साक्ष्य परीक्षण में सभी गवाहों ने घटना का समर्थन किया।

फांसी के साथ आर्थिक दंड

अदालत ने गवाहों के बयान और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पूनम देवी को दोषी करार दिया। न्यायाधीश रवि कुमार ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा कि दोषी को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। इसके अलावा, अदालत ने विभिन्न धाराओं के तहत उस पर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले की चर्चा पूरे जिले में हो रही है।