Land Registry Scam:दाखिल-खारिज में चल रहा बड़ा 'खेल', राजस्व चोरी का शातिराना मायाजाल, सकते में साहब

दाखिल-खारिज में चल रहा बड़ा 'खेल- फोटो : social media

Land Registry Scam: आरा जिले के बिहिया में भूमि खरीद-बिक्री के काले कारोबार का एक चौंकाने वाला सच सामने आया है। यहां शातिर कारोबारियों ने राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का चूना लगाने के लिए ऐसे-ऐसे हथकंडे अपनाए कि सुनकर होश उड़ जाएं। ताजा मामले में जमीन के धंधेबाज फिरोज अंसारी ने मिलीभगत कर न सिर्फ जमीन का मौजा (गांव) बदलवाकर रजिस्ट्री करा ली, बल्कि अंचल कार्यालय से उसका दाखिल-खारिज भी करवा लिया! अब जब यह गोरखधंधा उजागर हुआ है, तो जिला अवर निबंधन कार्यालय, आरा ने अंसारी को 13 लाख 79 हजार 230 रुपये सरकारी खजाने में जमा करने का फरमान जारी किया है।

क्या है यह 'मौजा' बदलने का मायाजाल?

जारी नोटिस के अनुसार, फिरोज अंसारी के नाम पर दर्ज दस्तावेज (संख्या 11084/14) में जमीन का पता अंचल बिहिया, मौजा धरहरा, थाना नंबर 141, खाता 564, खेसरा 28, रकबा 62.5 डिसमिल दर्ज है। लेकिन जब पड़ताल हुई, तो सच्चाई सामने आ गई। अंसारी ने असल में बिहिया मौजा की जमीन को कागजों में धरहरा मौजा का बताकर रजिस्ट्री करवा ली थी। इसके बाद, एक और चौंकाने वाला खेल खेला गया। अंसारी ने इस "भूल" को सुधारने का नाटक करते हुए सिविल कोर्ट में एक मुकदमा (संख्या 20/15) दायर कर दिया। कोर्ट में आपसी समझौते के आधार पर आदेश पारित करवाकर उसी जमीन का दाखिल-खारिज मौजा बिहिया, थाना नंबर 147 के अंतर्गत करवा लिया गया!

राजस्व चोरी का शातिर इरादा!

बिहिया के अंचल अधिकारी (सीओ) की जांच रिपोर्ट और शिकायतकर्ता अविनाश कुमार शर्मा के आवेदन ने इस पूरे फर्जीवाड़े की पोल खोल दी। जांच में यह साफ हो गया कि कोर्ट के आदेश की आड़ में असली रजिस्ट्री के दस्तावेजों से अलग जमाबंदी कायम कराई गई। इस पूरे खेल का एकमात्र मकसद था सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाना। नोटिस में सीधे तौर पर कहा गया है कि यह कृत्य राजस्व चोरी करने की स्पष्ट नीयत को दर्शाता है।

प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत? उठे गंभीर सवाल!

इस पूरे सनसनीखेज घोटाले में रजिस्ट्री कार्यालय से लेकर अंचल कार्यालय तक के कर्मचारियों और अधिकारियों की भूमिका गहरे संदेह के घेरे में है। मौजा बदलकर रजिस्ट्री कराना और फिर उसका दाखिल-खारिज हो जाना, यह कोई मामूली चूक नहीं लगती। सवाल यह उठता है कि इतना बड़ा हेरफेर क्या बिना अंदर के लोगों की मिलीभगत या घोर लापरवाही के संभव हो सकता है? इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

अब क्या होगी कार्रवाई?

जिला अवर निबंधन कार्यालय ने फिलहाल फिरोज अंसारी को राजस्व चोरी की रकम के तौर पर 13 लाख 79 हजार 230 रुपये सरकारी खजाने में जमा करने का सख्त निर्देश दिया है। इसके साथ ही, मामले की गंभीरता को देखते हुए आगे की विस्तृत जांच और कड़ी कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि राजस्व चोरी के ऐसे गंभीर मामलों में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी।

आगे की चुनौतियां! पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी!

बिहिया में सामने आया यह घोटाला भूमि कारोबार में व्याप्त भ्रष्टाचार, पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही के अभाव को उजागर करता है। यह मामला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है, बल्कि आम लोगों के बीच जमीन की रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में विश्वास को भी कमजोर करता है। इस तरह के धोखाधड़ी और हेरफेर को रोकने के लिए सख्त नियमों को लागू करने, डिजिटल निगरानी बढ़ाने और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की सख्त जरूरत है।

यह घटना जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल हर व्यक्ति के लिए एक कड़वी चेतावनी है कि दस्तावेजों की सत्यता और पूरी प्रक्रिया की वैधता की गहन जांच करना अनिवार्य है। साथ ही, प्रशासन से पुरजोर अपील है कि ऐसे मामलों में शामिल दोषियों के खिलाफ ऐसी कड़ी कार्रवाई की जाए जो भविष्य में राजस्व चोरी और धोखाधड़ी करने वालों के लिए एक सबक साबित हो।