अफसरगिरी नहीं चलेगी , DM के वेतन पर कोर्ट लगाई रोक, 3 कट्ठा जमीन के चक्कर में हो गया बड़ा खेला
Bureaucracy will not work: बेगूसराय जिले में प्रशासन की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है. जहां करीब 35 साल के बाद भी एक पीड़ित को न्याय नहीं मिला. इस मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बेगूसराय के डीएम का वेतन रोक दिया है

Bureaucracy will not work: बेगूसराय में प्रशासनिक लापरवाही का एक और मामला सामने आया है, जहां एक वादकारी को 35 वर्षों से अधिक समय से न्याय की प्रतीक्षा है। इस मामले में न्याय मिलने की आस में वादकारी की पत्नी की मृत्यु भी हो गई। इसके बाद, थक-हार कर वादकारी ने जिला प्रशासन के खिलाफ न्यायालय में पुनः शिकायत दर्ज कराई। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए तेघड़ा न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायालय ने बेगूसराय के जिलाधिकारी (डीएम) का वेतन रोकने का आदेश दिया है, और यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक वादकारी को न्याय नहीं मिल जाता।
बेगूसराय से आ रही इस बड़ी खबर के अनुसार, तेघड़ा मुंसिफ कोर्ट ने जिला कोषागार को निर्देश दिया है कि डीएम का वेतन अगले आदेश तक जारी न किया जाए। कोर्ट ने जिला कोषागार पदाधिकारी, बेगूसराय को यह भी सख्त निर्देश दिया है कि आदेश प्राप्ति के 7 दिनों के भीतर शपथ पत्र पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें, अन्यथा उनके विरुद्ध अवमानना और अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, जिला मजिस्ट्रेट, बेगूसराय को भी पूर्व के आदेशों का पालन करते हुए अगली सुनवाई तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।
न्यायालय का यह कठोर आदेश प्रो. श्यामदेव पंडित सिंह एवं अन्य बनाम दुलारू सिंह एवं अन्य के मुकदमे (केस नंबर 06/1999) में आया है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी, 2025 को निर्धारित थी। श्यामदेव प्रसाद सिंह ने 1999 में अपनी जमीन पर कब्जा पाने के लिए यह मुकदमा दायर किया था, जिस पर दुलारू सिंह का अवैध कब्जा था। कोर्ट ने जिला प्रशासन को जमीन पर कब्जा दिलाने और श्यामदेव प्रसाद सिंह को खर्च के रूप में 49,015 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था।
श्यामदेव प्रसाद सिंह ने निर्धारित राशि जमा भी कर दी, लेकिन कोर्ट के आदेश के 10 साल बाद भी जिला प्रशासन उनकी जमीन पर कब्जा नहीं दिला सका। इसके बाद, 27 सितंबर, 2024 को न्यायालय ने जिला प्रशासन और जिला पुलिस से रिपोर्ट तलब की, जिसमें यह स्पष्ट करने को कहा गया कि वे किन परिस्थितियों में जमीन पर कब्जा दिलाने में विफल रहे। हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। यहां तक कि बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक (एसपी) भी 25 जनवरी, 2025 को हुई सुनवाई में यह बताने में असमर्थ रहे कि न्यायालय के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया। गौरतलब है कि 2014 में पटना उच्च न्यायालय ने भी श्यामदेव प्रसाद सिंह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जमीन पर कब्जा दिलाने का आदेश दिया था, फिर भी जिला प्रशासन इसे लागू करने में नाकाम रहा।
इसी मामले में तेघड़ा मुंसिफ कोर्ट ने बेगूसराय के एसपी को अगली सुनवाई तक आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है और आदेश की प्रतियां संबंधित उच्च अधिकारियों को भी भेजने का आदेश दिया है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बेगूसराय के माध्यम से आदेश की एक प्रति रजिस्ट्रार जनरल, उच्च न्यायालय, पटना को भी भेजने का निर्देश दिया है।कोर्ट का यह फैसला आने के बाद अधिवक्ताओं ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय से जनता में न्यायपालिका के प्रति विश्वास और बढ़ेगा और आम आदमी को यह भरोसा होगा कि न्यायालय से हर व्यक्ति को न्याय मिल सकता है।
रिपोर्ट- अजय शास्त्री