Factory in Bihar: बिहार के इस जिले में खुलने जा रही है मुकेश अंबानी की फैक्ट्री! 1200 करोड़ रुपये का होगा निवेश, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
रिलायंस ग्रुप बिहार में पहली बार अपनी यूनिट लगाने जा रहा है। बेगूसराय में कैंपा कोला प्लांट के साथ 1251 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। जानिए कौन सी कंपनियां और कहां लगाएंगी यूनिट।

Factory in Bihar: बिहार की औद्योगिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर नई पहचान मिलने जा रही है, क्योंकि रिलायंस ग्रुप ने राज्य में पहली बार अपनी यूनिट लगाने का निर्णय लिया है। कैंपा कोला ब्रांड के अंतर्गत यह यूनिट बेगूसराय के ग्रोथ सेंटर में स्थापित की जाएगी, जहां कंपनी 1200 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
BIADA (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण) की प्रोजेक्ट क्लियरेंस कमेटी ने मंगलवार को इस निर्णय को अंतिम रूप देते हुए कुल 11 कंपनियों को 42 एकड़ भूमि आवंटित की, जिनमें कुल 1251 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है।
बेगूसराय में कैंपा कोला का अत्याधुनिक प्लांट
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड द्वारा उत्पादित कैंपा कोला अब बिहार की धरती पर तैयार होगा। इस प्लांट के शुरू होने से सॉफ्ट ड्रिंक्स उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ेगी। बेगूसराय को एक नया औद्योगिक हब बनने का अवसर मिलेगा।स्थानीय युवाओं को रोजगार के सैकड़ों अवसर प्राप्त होंगे।यह निवेश न केवल एक औद्योगिक स्थापना है, बल्कि यह बिहार में बड़े कॉर्पोरेट घरानों के विश्वास की पुष्टि भी है।
मुजफ्फरपुर में फूड प्रोसेसिंग का हब बन रहा मोतीपुर
मुजफ्फरपुर के मोतीपुर औद्योगिक क्षेत्र में भी विकास की लहर चल पड़ी है। यहां जनता फूड कंपनी हब बनने जा रहा है। इसमें कुल 32 करोड़ का निवेश किया गया है। यहां पैकेज्ड फूड और स्नैक आइटम्स उत्पादन किया जाएगा।यूपी की कैटल फीड कंपनी भी मोतीपुर में खुलने जा रहा है। इसके लिए 500 करोड़ का निवेश होने की संभावना है। इसके लिए 4 एकड़ जमीन की मंजूरी मिल गई है।
इन कंपनियों को भी मिला स्थान
BIADA द्वारा मेसर्स सीवाइएमके ग्रोवर्स प्राइवेट लिमिटेड और मंगलमूर्ति ट्रेड्स जैसी कंपनियों को भी भूमि आवंटित की गई है। इनके द्वारा किए जाने वाले निवेश से खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा उद्योग, जनरल मैन्युफैक्चरिंग में गति आएगी।लघु और मध्यम उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।स्थानीय उद्यमियों को प्रेरणा और सहयोग का अवसर मिलेगा
रोजगार के क्षेत्र में बड़ा प्रभाव
इन सभी परियोजनाओं से अनुमान है कि 1605 से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। इससे बिहार में प्रवासी श्रमिकों की वापसी को प्रोत्साहन मिलेगा।स्थानीय प्रतिभा को मौका मिलेगा।औद्योगिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा।