विदेशी मेहमानों की दस्तक: 20 हजार किमी का सफर तय कर बिहार पहुंचे विदेशी मेहमान

हजारों किलोमीटर का सफर तय कर चंपारण पहुंचे विदेशी मेहमान यानि प्रवासी पक्षियों का बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में सर्दियों की दस्तक के साथ ही आगमन शुरू हो गया है।

विदेशी मेहमानों की दस्तक: 20 हजार किमी का सफर तय कर बिहार पहुंचे विदेशी मेहमान - फोटो : NEWS 4 NATION

बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में सर्दियों की दस्तक के साथ ही विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। लगभग 20 हजार किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर साइबेरिया और अन्य ठंडे देशों से आए इन प्रवासी पक्षियों से पूरा क्षेत्र गुलजार है। गंडक नदी के किनारों और जलाशयों में इन पक्षियों की चहचहाहट न केवल प्रकृति प्रेमियों को सुकून दे रही है, बल्कि इससे इलाके की जैव विविधता में भी भारी इजाफा हुआ है।


पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र और दुर्लभ प्रजातियों की मौजूदगी

VTR आने वाले पर्यटकों के लिए यह दोगुना आनंद का अवसर है। जहाँ एक ओर जंगल सफारी के दौरान बाघ और तेंदुए जैसे वन्यजीवों के दीदार हो रहे हैं, वहीं गंडक नदी में बोटिंग के दौरान विदेशी पक्षियों का झुंड मन मोह रहा है। इस वर्ष नाइट हेरोन, अमूर फाल्कन और ब्लैक बाजा विसलिंग डक जैसी कई दुर्लभ प्रजातियां यहाँ देखी गई हैं। जानकारों के अनुसार, यह रिजर्व करीब 350 से अधिक पक्षी प्रजातियों का सुरक्षित बसेरा बन चुका है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सुखद संकेत है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और अनुकूल वातावरण का असर

ये प्रवासी पक्षी यहाँ लगभग तीन से चार महीने रुकते हैं और अप्रैल में वापस लौटने लगते हैं। वन संरक्षक डॉ. नेशामणी के मुताबिक, पक्षियों के अवैध शिकार पर सख्त पाबंदी, वन कर्मियों की गश्त और स्थानीय ग्रामीणों की जागरूकता की वजह से इस बार इनकी संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। बेहतर बारिश और सुरक्षित आवास मिलने के कारण दुर्लभ पक्षी अब बिना किसी डर के प्रजनन और प्रवास के लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को अपनी पहली पसंद बना रहे हैं।