बिहार में आज ही लागू हुआ था शराबबंदी, नौ साल में महिलाओं के लिए कितना फायदेमंद हुआ यह कानून, आंखे खोल देनेवाला सच जान लीजिए

nine-years-of-prohibition - शराबबंदी कानून की सफलता पर सरकार भले ही थपथपा रही हो पीठ, मगर जिन महिलाओं की बेहतरी के मद्देनजर कानून बना, बन गया उनके ही गले की फांस !

Bhagalpur - करीब 9 साल पूर्व आज के दिन ही बिहार में जिनकी सुरक्षा के लिए सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने राज्य में शराबबंदी लागू किया, उन्हें घरेलू हिंसा से बचाने और घर के बाहर उनको सुरक्षा प्रदान के लिए शराब बैन किया था। आज वही फैसला बिहार ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड व बंगाल तक की महिलाओं के लिए भी गले की सबसे बड़ा फांस बन गया है। हालात ये है कि नौ साल बाद बिहार का कोई गली-मोहल्ला नहीं है, जहां कोई चाहे तो उसे शराब ना मिले। तुर्रा यह कि सरकार का यही फैसला आज महिलाओं के लिए सुरक्षा न होकर एक बड़ी समस्या बन गया है। 

गौरतलब है कि बिहार में लगातार उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल से सटे इलाकों में पुलिस महिलाओं को शराब तस्करी में गिरफ्तार कर रही है। महिलाएं शरीर पर शराब और बीयर को टेप से चिपकाकर साड़ी और बुर्का जैसे कपड़े पहनकर आ रही हैं। 

जो तीन साल पहले था, आज भी वही स्थिति

यही नहीं बीते 3 वर्ष पूर्व फरवरी माह में उत्पाद पुलिस भागलपुर ने खून को साफ करने वाली औषधि चिरौता की झाड़ी में छिपाकर खून को खराब करने वाली देशी शराब की बड़ी खेप के साथ कुल 9 महिलाओं को गिरफ्तार किया था। जिनकी उम्र भी करीब 56 वर्ष से लेकर 78 वर्ष तक थी। जिनके पास न तो आजीविका के लिए कोई साधन और न ही उन्हें सहारा देने वाला उनका कोई हमसफ़र था। आज भी कमोवेश पुलिस के हत्थे चढ़ी महिलाओं का दर्द कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा।

आधा दर्जन महिलाओं को किया गिरफ्तार

ताजा मामला बिहार के जिला भागलपुर के मद्ध निषेध एवं उत्पाद विभाग का है, जहां पुलिस ने शुक्रवार की सुबह वाहन चेकिंग के दौरान आधा दर्जन से अधिक महिलाओं को अपनी हिरासत में लिया। और तलाशी के बाद विभिन्न थैलों में कुल 124 लीटर चुलाई शराब भी बरामद किया। मामले में उत्पाद निरीक्षक नितिन कुमार ने बताया कि शुक्रवार सुबह 9 बजे सबौर थानाक्षेत्र के शंकरपुर पुल के समीप उनकी टीम द्वारा वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था। इसी क्रम में संदेह के आधार पर दो ऑटो पर सवार कुल 8 महिलाओं को पुलिस ने चुलाई शराब की कुल 124 लीटर के साथ दबोच लिया।

 नितिन ने बताया कि ये महिलाएं झारखंड व बंगाल से ट्रेन के जरिये बिहार के अलग-अलग स्टेशनों पर शराब की खेप के साथ उतरती हैं और वहीं से ऑटो या अन्य सवारी वाहनों के जरिये शहरी क्षेत्रों में प्रवेश करती हैं। इनमें से अधिकतर महिलाएं पहले भी न्यायिक हिरासत में भेजी जा चुकी हैं। बावजूद ये इस कारोबार से मुख नहीं मोड़ रहीं। उन्होंने बताया कि महिलाओं ने अपने अपराध भी स्वीकार कर लिया है, जिन्हें न्यायिक हिरासत में आज भेजा जा रहा है। 

नहीं पहुंच रही सरकारी योजनाएं

बड़ा सवाल है कि बिहार सरकार के पास महिलाओं के लिए बहुतायत योजनाएं है, फिर भी इस योजना का लाभ इनके तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा ? शुक्रवार को पुलिसिया कार्रवाई में हत्थे चढ़ी तमाम महिलाएं झारखंड की है, जिनमें अधिकतर महिलाएं 25 से 60 के बीच की हैं। 

परिवार चलाने के लिए शराब तस्करी

35 वर्षीय अनिता कुमारी झारखंड के साहेबगंज जिला, थाना मिर्जाचौकी, ग्राम माइरो सिमड़ा की रहने वाली है, जिसके पति संजय मरैया को गुजरे 5 वर्ष बीत गए। घर में 80 वर्षीय बूढ़ी मां के भरोसे अब उसके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिनकी फिक्र भी उसको सताए जा रही थी। आज उसके पास आजीविका का दूसरा साधन नहीं होने के कारण शराब के मामले में दूसरी बार जेल जाना पड़ रहा है। 

पति की मौत, नवजात बेटी के लिए बनी शराब तस्कर

वहीं साहेबगंज, माइरो बगलिया निवासी मरांग बिट्टी, जिसे एक नवजात पुत्री है। पति एक वर्ष पूर्व दिल्ली में मजदूरी के क्रम में हादसे का शिकार हो गया। आज वह नवजात भी नाना के भरोसे है। 60 वर्षीय पक्कू मुरमुर जिसका पति लंबे अरसे से अस्वस्थ है, उसकी दवाई की जुगाड़ में पहली बार इस कारोबार में महिलाओं के साथ हो ली, जो आज उसके लिए भी किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं।

बहरहाल बात जो भी हो। भले ही सरकार शराबबंदी के दावे को सफल मानते हुए अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन जो सतही हकीकत है, वो गिरफ्त में आई महिलाओं के चेहरे बयां भी कर रहे। महज सौ रुपये की बोतल को 200 में खपाने के लिए निकली महिलाएं आज उनसे दूर हो गयीं हैं, जो शायद कल इनकी वापसी के बाद इन्हें सुकून भी दे पाए या...।

भागलपुर से balmukund kumar की रिपोर्ट