PM Modi in Bihar : कांग्रेस ने याद दिलाया पीएम मोदी का बिहार से किया अधूरा वादा, प्रधानमंत्री के भागलपुर दौरे के पहले जयराम रमेश का तीखा सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भागलपुर दौरे के पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बड़ा हमला बोला है. उन्होंने पिछले 21 वर्षों में कैसे बिहार से कई बड़े झूठे और अधूरे वादे किए गए उसका दावा करते हुए पीएम मोदी से चार सवाल किया है.

PM Modi in Bihar
PM Modi in Bihar - फोटो : news4nation

PM Modi in Bihar : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को बिहार के भागलपुर आ रहे हैं. उनके भागलपुर आगमन के पहले कांग्रेस ने जोरदार हमला बोला है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी से चार सवाल किए हैं और इसमें बिहार से किए उनके पुराने वादों की याद दिलाई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आज भागलपुर, बिहार में हैं। उनके लिए चार सवाल हैं .


पहले सवाल में उन्होंने पूछा है कि मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और भागलपुर के लिए वादे के मुताबिक एयरपोर्ट कहां हैं? वे कहते हैं प्रधानमंत्री ने 18 अगस्त 2015 को पूर्णिया में एयरपोर्ट बनाने का वादा किया था। छह साल और तीन बार नीतीश कुमार की पलटी के बाद भी उनकी सरकार इस वादे को पूरा नहीं कर पाई। 2019 की एक रैली में, मोदी जी ने मुजफ्फरपुर के पताही एयरपोर्ट को चालू करने का आश्वासन दिया था। 2023 में, गृह मंत्री अमित शाह ने भी पताही एयरपोर्ट को शुरू करने का संकल्प दोहराया, जबकि भाजपा ने दिवाली 2023 तक इसे पूरी तरह चालू करने का वादा किया था। लगभग एक साल पहले AAI की एक ग्राउंड टीम ने पाया था कि हवाईपट्टी पर टूटी हुई बाउंड्री वॉल और घूमती हुई भैंसें हैं! आज भी हालात लगभग वैसे ही हैं , आखिर सरकार पिछले 11 सालों से कर क्या रही है? मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और भागलपुर जैसे शहरों को एयरपोर्ट की ज़रूरत है और वे इसके हकदार भी हैं, लेकिन भारतीय जुमला पार्टी के राज में इन्हें सिर्फ खोखले वादे ही मिले हैं। प्रधानमंत्री ने बिहार की जनता से इस विषय पर बार-बार झूठ क्यों बोला?


जरूरी प्रोजेक्ट अधूरे क्यों 

अपने दूसरे सवाल में उन्होंने कहा कि  बिहार में इतने जरूरी प्रोजेक्ट अधूरे क्यों पड़े हैं? उन्होंने पूछा है कि 2015 में,  बिहार की जनता से 1.25 लाख करोड़ के पैकेज का बड़ा वादा किया था। इस पैकेज में से 54,713 करोड़ रुपये सड़क और पुल परियोजनाओं के लिए निर्धारित किए गए थे। गंगा, सोन और कोसी नदियों पर कई पुल, राष्ट्रीय राजमार्ग और 12 रेलवे ओवरब्रिज बनाए जाने थे। लेकिन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, 44 नियोजित राष्ट्रीय राजमार्गों में से 27 अभी भी अधूरे हैं, जबकि बाकी 17 के लिए अब तक डीपीआर (Detailed Project Report) तक तैयार नहीं हुई है। इसके अलावा, भागलपुर के विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए एक ईंट तक नहीं रखी गई। यहां तक कि यूपीए सरकार द्वारा 2013 में साइन किया गया बक्सर थर्मल पावर प्लांट का एमओयू भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इतने बड़े-बड़े वादे करने के बाद प्रधानमंत्री ने बिहार के लोगों की बेशर्मी से उपेक्षा क्यों की है?


भागलपुर के लिए क्या किया 

जयराम रमेश ने तीसरे सवाल में पूछा है कि भागलपुर की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन की संभावनाओं को संवारने के लिए मोदी सरकार ने क्या किया? भागलपुर बिहार और भारत का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र है—यहां की टेक्सटाइल इंडस्ट्री, मंजूषा पेंटिंग्स और भगवान महावीर का जन्मस्थल प्रसिद्ध हैं। लेकिन ये सभी सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं। उदाहरण के लिए, भागलपुर रीजनल हैंडलूम वीवर्स कोऑपरेटिव यूनियन के अनुसार, 2019 से 2024 के बीच बुनकरों की संख्या 2 लाख से घटकर सिर्फ 60,000 रह गई। 2015 में यह कारोबार 600 करोड़ रुपये सालाना था, जो अब घटकर 150 करोड़ रुपये रह गया है। बुनकरों को  बढ़ती इनपुट लागत की समस्या से लगातार जूझना पड़ रहा है , जबकि उनका कारोबार ठप  है। ऐसे में मोदी सरकार पिछले 11  सालों से कहां गायब थी? भागलपुर की संभावनाओं को संवारने के लिए सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं?


विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग से जुड़े चौथे सवाल में उन्होंने कहा कि बिहार को अब तक विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिला, जबकि प्रधानमंत्री ने खुद इसका वादा किया था? 2014 में, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रचार कर रहे थे, तब उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। केंद्र सरकार के अपने ही बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) रिपोर्ट के अनुसार, बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य है, जहां राज्य की 52% आबादी को आवश्यक स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तक पहुंच नहीं है।


उन्होंने कहा कि 2013 में, रघुराम राजन कमेटी ने आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों के लिए एक नया फंड आवंटन मॉडल सुझाया था, जो बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर आधारित था। लेकिन 12 साल बीत जाने के बाद भी, मोदी सरकार किसका इंतजार कर रही है? प्रधानमंत्री बिहार की जनता से किया गया अपना वादा क्यों भूल गए? केंद्र में 11 साल और बिहार में लगभग 21 साल सत्ता में रहने के बाद भी, मोदी सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में क्यों नाकाम रही?

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