दिखावा बना लोक शिकायत कार्यालय, अवैध निर्माण रोकने के आवेदन को एडीएम ने बिना जांच निपटाया, पीड़ित ने कहा प्रशासन में नहीं होती सुनवाई
Bhagalpur - आम आदमी के परेशानियों को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा एक स्वर्णिम अधिनियम लोक शिकायत अधिनियम लाया गया जिसके तहत् लोक शिकायत निवारण विभाग बनाया गया जहॉ बीपीएससी पदाधिकारी एवं जिला स्तर से कम्प्यूटर ऑपरेटर की पोस्टिंग की गई। मुख्यमन्त्री नितीश कुमार की चाहत रही है जिला स्तर के जन मानस को जिला से ही बहुत सारे समस्या का समाधान हो जाए, लेकिन यह विभाग भी आम जनता के शिकायत को दुर करने के नाम पर मानो तो काग़ज़ों में ही सिमटता दिख रहा है. यहां जनता के आवेदन का निर्धारित दिनों के अंदर शिकायत को पुर्णतः निवटाने के बजाय सिर्फ खानापूर्ति कर शिकायतकर्ता को गुमराह/आईवॉस कर आवेदक के आवेदन को ही निपटा दिया जाता है. जी हां यह मानना है एस के सिंह का।
मामला ऐसा है कि भागलपुर जिला के लोक शिकायत निवारण कार्यालय मे एक आवेदक SK SINGH ने अवैध निर्माण से सबंधित एक शिकायत ऑनलाइन 9999901120525550316 दर्ज करवाई थी, कि उनके घर/अपार्टमेंट के पूर्व सामने एक अवैध निर्माण निगम से पारित नक्शा के विपरीत किसी समर व जौहर हुसैन नामक व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है, जिससे आवेदक को उनके घर पूर्व से धूप की रोशनी हवा इत्यादि कठिनाइयों का सामना करना पङ रहा है। इसको लेकर आवेदक ने शिकायत दर्ज करायी इस पर नगर निगम ने सिर्फ नोटिस दोनो पक्षों को थमा दिया, लेकिन अवैध निर्माण को रुकवाने का कार्य तो नहीं किया गया।
आवेदक एसके सिंह का कहना था कि नगर निगम और लोक शिकायत एडीएम सुनील रंजन को चाहिए था कि सबंधित थाना को बल पूर्वक नियमानुसार अबैध निर्माणाधीन मकान के कार्य को रोकवाया जाय। पर यहां पर तो शिकायत करने के बाद दो तीन तारीखों में ही मेरा आवेदन को ही जड़ से निपटा दिया गया। यहां विभाग द्वारा पुर्णतः समाधान तो नहीं किया गया पर एक बात जरूर हुआ कि शिकायत के बाद से बिल्डिंग के कार्यो में वृद्धि जबरदस्त हुई। लेबर मजदूर की संख्या दौगुनी हुई और जल्दी में छत का ढलाई होते चला जा रहा है।
लोक शिकायत और निगम कार्यालय तारीख पर तारीख कारवाई के नाम पर चलाते रहेगें और इधर इमारत बन कर तैयार होते जा रहा है, ऐसा आवेदक का कहना है। जब किसी भी केस को लेकर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुनील कुमार रंजन से जानकारी लेने का प्रयास किया जाता है, तो उनके द्वारा हाथ जोड़कर किसी भी सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा जाता हैं।
इनके द्वारा बताया जाता है कि इसके लिए जिलाधिकारी से बात करें। वहीं जब बिना जवाब लिए किसी भी विभाग का खबर प्रकाशित होती है तो जिलाधिकारी द्वारा सूचना जनसंपर्क के अधिकारी को जिलाधिकारी के द्वारा बोला जाता है, कि बिना हम से या संबंधित विभाग से जानकारी लिए ही खबर को प्रकाशित कर दिया जाता है। यहां यह गलत बात है।
जब कि हम आपको बता दें कि जिला के administration social साईट पर सभी विभाग के अधिकारियों से लेकर कर्मियों तक अपने-अपने विभाग की बात को बेबाक अंदाज में रखते हैं और दुसरी तरफ इन अधिकारियों द्वारा अथॉरिटी नहीं होने की बात पत्रकार से कही जाती है, तो फिर दूसरे ओर सरकारी सोशल साइट पर बयान देने के लिए इन अधिकारी और कर्मी को अथॉरिटी कहॉ से हो जाती है, यह समझ से परे है।
क्या मीडिया के सवालों का जवाब देने के लिए इनको ऑथोरिटी का आदेश सभी मामलों मे अलग से चाहिए। क्या सबों के लिए नियम बराबर है या अलग-अलग?
नाम नही छापने की शर्त पर एक आवेदक ने बताया कि जिला लोक शिकायत कार्यालय में नगर निगम के ट्रेड लाईसेंस घोटाला और होल्डिंग टेक्स घोटाला मे एफ.आई.आर दर्ज करवाने के मामले को लेकर गए थे परन्तु गलत तथ्य के साथ आवेदन को निपटा दिया गया। गुप्त आवेदक का यह भी मानना है कि शिकायती आवेदन पर बिना शिकायत दुर किए बगैर ही आवेदन को निवटाने का मुख्य कारण यह भी है कि जब से लोक शिकायत कार्यालय का गठन हुआ है तब से कार्यालय के कर्मी का स्थानांतरण नही होना है।
लोक शिकायत पदाधिकारी हर तीन साल पर बदलते हैं पर ऑपरेटर कभी नही बदलते हैं। पदाधिकारी छोङकर वहॉ कार्यालय मे एक भी क्लर्क का स्वीकृत पद नही हैं अर्थात् क्लर्क नियुक्त नही है। पूरा का पूरा कार्यालय का कार्य बिभिन्न ऑपरेटर पर निर्भर रहता है और वो ऑपरेटर दस-दस साल से एक ही ऑफिस मे कार्य कर रहे हैं।
नगर निगम के प्रभारी नगर आयुक्त कुन्दन कुमार जो समाहरणालय मे आपदा विभाग के एडीएम हैं इसने भी नगर निगम के घोटाले की जांच पूर्व एक साल से कर ही रहे हैं पर सरकारी राशी गबन का एफआईआर क्यों नही हो रहा है ये सवाल अभी तक बना हुआ है।
निगम मे चल रहे अवैध निर्माण के मामले मे निगम प्रभारी से बात करने की कोशिश की गई तो फोन रिसिव नही हुआ।
बताते चलें कि इधर ही हाल मे 17 जून 2025 को बिहार पटना रेरा के सचिव आलोक कुमार और भागलपुर जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी की अध्यक्षता मे भागलपुर मे मिटिंग हुआ है जिसमें जिलाधिकारी को भी कुछ कार्य अपने सतर से करने की जिम्मेदारी दी गई है
भागलपुर से बालमुकुन्द की रिपोर्ट-