B.Ed. नामांकन में बिहार ने रचा इतिहास, 14 विश्वविद्यालयों में 99.91% सीटें भरीं, 11 में शत-प्रतिशत दाखिले

बिहार में बीएड नामांकन में नया रिकॉर्ड बना है। लगभग सभी सीटें भर गई हैं। लनामिवि ने इस काम में अहम भूमिका निभाई है।

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lnmu - फोटो : lnmu

बिहार के 14 विश्वविद्यालयों के 341 कॉलेजों में बीएड और शिक्षाशास्त्री के दो वर्षीय कोर्स (सत्र 2024-26) के लिए नामांकन 29 अक्तूबर को संपन्न हो गया, जिसमें कुल 37300 सीटों में से 37265 सीटों पर दाखिले हो चुके हैं। नामांकन का प्रतिशत 99.91% रहा है। तकनीकी कारणों से कुछ डाटा सीईटी कार्यालय को अभी नहीं मिल पाया है, जिससे प्रतिशत में और वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।


2022 का रिकॉर्ड टूटा, लनामिवि ने रचा इतिहास

इस वर्ष का नामांकन 2022 के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ गया है, जब 99.41% नामांकन हुआ था। इस बार स्टेट नोडल यूनिवर्सिटी (लनामिवि) ने अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़कर राज्य में शैक्षणिक प्रतिष्ठान के रूप में खुद की छवि को मजबूत किया है।

11 विश्वविद्यालयों में शत-प्रतिशत दाखिला, सिर्फ 35 सीटें खाली

प्रदेश के 11 विश्वविद्यालयों में शत-प्रतिशत सीटों पर दाखिले हुए हैं, जिनमें पटना विश्वविद्यालय, बीएनएमयू मधेपुरा, एलएनएमयू दरभंगा, केएसडीएसयू दरभंगा, एमएमएच विवि पटना, मुंगेर विवि, पूर्णिया विवि, टीएमबीयू भागलपुर, वीकेएसयू आरा, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय पटना, और जेपी विश्वविद्यालय छपरा शामिल हैं। वहीं, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना, मगध विश्वविद्यालय बोधगया, और बीआर अंबेडकर विवि मुजफ्फरपुर के कॉलेजों में 35 सीटें खाली रह गई हैं।


बिना स्पॉट राउंड के हासिल की बड़ी उपलब्धि

लनामिवि ने यह उपलब्धि बिना स्पॉट राउंड के ही हासिल की है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के नेतृत्व में यह संभव हो पाया। स्टेट नोडल अधिकारी प्रो. अशोक कुमार मेहता और उनकी टीम ने बिना किसी बाधा के संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई निजी कॉलेजों द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक राशि वसूली जैसी चुनौतियों के बावजूद, विश्वविद्यालय ने सभी अभ्यर्थियों को समय पर सीट उपलब्ध करवाई, जिससे इस साल का रिकॉर्ड नामांकन संभव हो सका।

सभी अभ्यर्थियों को मिला लाभ, नामांकन प्रक्रिया बनी उदाहरण

लनामिवि की इस सफलता ने राज्य में अन्य विश्वविद्यालयों के सामने एक मिसाल कायम की है। बिना स्पॉट राउंड के रिकॉर्ड नामांकन से शिक्षा विभाग में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और यह माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में यह प्रणाली अन्य राज्यों में भी अपनाई जा सकती है

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