BIHAR NEWS - बिहार के मस्तीचक की फुटबॉलर बेटियों की चर्चा लंदन और बेल्जियम में, जानिए ये कैसे भर रही हैं लाखों लोगों की आंखें में रोशनी

BIHAR NEWS- फुटबॉल टू आईबॉल, इस एक प्रोग्राम ने न सिर्फ गांव की हजारों गरीब लड़कियों की किस्मत बदल दी। आज यह लड़कियां न सिर्फ अच्छी फुटबॉल खिलाड़ी हैं, बल्कि फुटबॉल के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी कर खुद लाखों के आंखों को रोशन कर रही है।

BIHAR NEWS - बिहार के मस्तीचक की फुटबॉलर बेटियों की चर्चा लंदन और बेल्जियम में, जानिए ये कैसे भर रही हैं लाखों लोगों की आंखें में रोशनी
मस्तीचक गांव की फुटबॉलर बेटियां- फोटो : NEWS4NATION

CHHAPRA - बिहार की राजधानी पटना से लगभग 40 किलोमीटर दूर अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल आंखों के इलाज के साथ-साथ गरीब लड़कियों के सशक्तिकरण का अनूठा प्रकल्प चला रहा है। यहाँ दसवीं और बारहवीं पास गरीब लड़कियों को निःशुल्क आवासीय पढ़ाई और प्रशिक्षण देकर ऑप्टोमेट्रिस्ट बनाया जाता है। वर्ष 2009 से अब तक 725 लड़कियां अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल के इस कार्यक्रम का हिस्सा बन चुकी है जो ऑप्टोमेट्रिस्ट के साथ-साथ टेक्नीशियन एवं अन्य पदों पर काम कर रही हैं। 

फुटबॉल से जुड़ा है अस्पताल का कनेक्शन

अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल की इस पहल में फुटबॉल का अहम किरदार है। ये लड़कियां अनिवार्य रूप से फुटबाल खेलती हैं। अब तक 15 लड़कियां राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल स्पर्धाओं में भाग ले चुकी हैं। इनमें एक सोनिया राय बिहार महिला फुटबाल टीम की कप्तानी भी कर चुकी है। इस निःशुल्क शैक्षणिक कार्यक्रम का नाम फुटबॉल टू आईबाॅल रखा गया है। 

कागज के गेंद से खेलते देख मिली प्रेरणा

युगॠषि श्रीराम शर्मा आचार्य चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मृत्युन्जय तिवारी बताते हैं कि वर्ष 2009 में एक स्थानीय ग्रामीण विद्यालय में कुछ बच्चियों को कागज का गोला बनाकर पैर से खेलते देख उन्होंने पूछा तो बच्चियों ने बताया कि भइया लोग को फुटबॉल खेलते देख उन्हें भी फुटबाल खेलने की इच्छा होती है। 

फुटबॉल के साथ कराया ऑपटोमेट्री

कोलकाता के पेशेवर फुटबॉलर रह चुके मृत्युंजय तिवारी ने पिछड़ेपन की शिकार ग्रामीण लड़कियों को फुटबॉल के जरिये सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया। उस वर्ष बहुत प्रयास करने पर ग्रामीण क्षेत्रों की बमुश्किल चार लड़कियां आयीं। उनकी 12 वीं तक की स्कूलिंग के साथ-साथ फाउंडेशन कोर्स कराकर ऑप्टोमेट्री का स्नातक कोर्स कराया गया। बच्चियों का रहना-खाना-पढ़ना सबकुछ निःशुल्क। फुटबॉल सबके लिए अनिवार्य। तब से साल-दर-साल लड़कियां बढ़ती गयीं। अभी 286 लड़कियां फुटबॉल टू आईबॉल प्रोग्राम में निःशुल्क पढ़ रही हैं। 

ट्रेनिंग और पढ़ाई पूरी होने के बाद अस्पताल में नौकरी

मृत्युंजय तिवारी बताते हैं कि फुटबॉल टू आईबॉल प्रोग्राम से पढ़ाई और प्रशिक्षण पूरी करनेवाली लड़कियों को अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल में ही अच्छे वेतन पर शत-प्रतिशत नौकरी दी जाती है। इनमें से कुछ लड़कियों को उनकी इच्छानुसार एमबीए और पीएचडी भी कराया गया है। 

मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि यहाँ प्रवेश की पहली शर्त है गरीबी। जो बच्ची जितने ज्यादा गरीब परिवार से है, उसके प्रवेश मिलने की संभावना उतनी अधिक। बच्चियों के अभिभावकों को शर्त माननी होती है कि लड़कियों का विवाह 23 साल की उम्र से पहले नहीं होगा।

महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही हैं लड़कियां 

'फुटबॉल टू आईबॉल' की 60 लड़कियां अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल में लीडिंग पोजिशन पर हैं। इस प्रोग्राम को लीड कर रही 27 साल की मनीषा द्विवेदी 2012 में दसवीं पास कर यहाँ आयी थी। उसने बताया कि सिवान जिले के विशुद्ध ग्रामीण परिवेश से अखंड ज्योति आयी थी। यहाँ रहकर अंग्रेजी से लेकर व्यक्तित्व विकास तक फाउंडेशन कोर्स किया। फिर ऑप्टोमेट्री की स्नातक डिग्री ली। यहीं रहकर एमबीए भी किया। अभी वह अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल में सहायक महाप्रबंधक है। मनीषा बताती हैं कि फुटबॉल टू आईबॉल से उनका जीवन बदल गया। अब वह अपने परिवार की महत्वपूर्ण सदस्य है। परिवार के सभी छोटे-बड़े फैसले में उसकी अहमियत रहती है। 

लंदन के चेल्सी क्लब और बेल्जियम बेब्स फुटबॉल लीग से जुड़ाव

पटना से 50 किलोमीटर दूर सारण जिले के मस्तीचक गांव में स्थित अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल के फुटबॉल टू आईबॉल का नाता लंदन और बेल्जियम से जुड़ चुका है। लंदन के चेल्सी फुटबॉल क्लब ने फुटबॉल टू आईबॉल को सहयोग एवं मृत्युंजय तिवारी को अपनी सक्रिय सदस्यता दी है। फुटबॉल टू आईबॉल से प्रेरित होकर  बेल्जियम में बेल्जियम बेब्स फुटबॉल लीग शुरू हो चुका है। लीग के फुटबॉल मैच में हर गोल पर अखंड ज्योति के फुटबॉल टू आईबॉल को 100 रुपये का डोनेशन मिलता है। 


खिलाड़ी एल्बन हैरिस पूरे कार्यक्रम को देखकर हुए प्रभावित

मृत्युंजय तिवारी बताते हैं कि वर्ष 2011 में 19 वर्षीय एल्बन हेरिक्स अपने तीन साथियों के साथ मस्तीचक स्थित अखंड ज्योति परिसर आए थे। यहाँ फुटबॉल आधारित लड़कियां का सशक्तिकरण कार्यक्रम देख काफी प्रभावित हुए। बेल्जियम लौटे तो लड़कियों के लिए बेल्जियम बेब्स फुटबॉल लीग की शुरुआत कर डाली। मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि फुटबॉल टू आईबॉल प्रोग्राम में अगले चार वर्षों में कुल 1500 लड़कियों का सशक्तिकरण करना है। इसके लिए अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल ग्रुप सारण जिले के मस्तीचक में ही बालिकाओं के लिए 800 बेड का छात्रावास बनाएगा।

अखंड ज्योति में सालाना एक लाख ऑपरेशन हो रहे

अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल्स में सालाना एक लाख आंखों के ऑपरेशन हो रहे हैं। 80 फीसदी ऑपरेशन निःशुल्क किए जाते हैं। गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की प्रेरणा से उनके प्रथम शिष्यों में एक पंडित रमेशचन्द्र शुक्ला ने वर्ष 1991 नवरात्रि में मस्तीचक के गायत्री मन्दिर में निःशुल्क आई कैंप से नेत्रदान यज्ञ की शुरुआत की। वर्ष 2005 में पंडित रमेशचन्द्र शुक्ला के शिष्य मृत्युंजय तिवारी ने वहां 10 बेड का आई हॉस्पीटल शुरू किया। मस्तीचक में 500 बेड का अखंड ज्योति सेंटर आफ एक्सीलेंस सुपर स्पेशियलिटी आई हास्पीटल शुरू हो चुका है। यहाँ आंखों से संबंधित सभी अत्याधुनिक उपकरण, 11 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और 48 विशेषज्ञ आई सर्जन हैं। मस्तीचक में ही 200 बेड का आई हॉस्पीटल पहले से है।

पूर्णिया, समस्तीपुर और बलिया के आई हॉस्पीटल को करेंगे अपग्रेड 

अखंड ज्योति के चिकित्सा निदेशक डॉ. अजीत पोद्दार ने बताया कि विजन 2030 के तहत मस्तीचक स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सुपर स्पेशियलिस्ट आई हॉस्पीटल में 300 बेड की नयी यूनिट खोलने के अलावा पूर्णिया, समस्तीपुर जिला के दलसिंहसराय और यूपी के बलिया स्थित अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल को अपग्रेड किया जाएगा। 

यूपी के देवरिया, झारखंड के पलामू, मध्य प्रदेश के कटनी और बिहार के भोजपुर और भागलपुर जिले में नये अखंड ज्योति आई हॉस्पीटल खोले जाएंगे। कार्यकारी ट्रस्टी मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि वर्ष 2030 तक युगॠषि श्रीराम शर्मा आचार्य चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 300 अखंड ज्योति प्राथमिक नेत्र जांच केन्द्र भी खोले जाएंगे। 

अखंड ज्योति अस्पतालों में पिछले 17 वर्षों में 10 लाख आंखों के ऑपरेशन किए जा चुके हैं। अगले 6 वर्षों में 20 लाख आंखों की सर्जरी का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 16 लाख गरीब मरीजों की आंखों का निःशुल्क ऑपरेशन होगा।

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