Bihar Assembly Election: नामांकन रद्द होने के बाद सीमा सिंह ने तोड़ी चुप्पी, कहा-'मुझे अपने नेताओं और संविधान पर भरोसा है'
Bihar Assembly Election: मढ़ौरा सीट से लोजपा-आर प्रत्याशी सीमा सिंह ने नामांकन रद्द होने के बाद चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग और अपने नेता चिराग पासवान पर पूरा भरोसा है।
Bihar Assembly Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मढ़ौरा विधानसभा सीट पर बड़ा सियासी मोड़ तब आया जब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी और भोजपुरी अभिनेत्री सीमा सिंह का नामांकन तकनीकी कारणों से रद्द कर दिया गया। अब पहली बार उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया दी है। सीमा सिंह सोमवार (20 अक्तूबर 2025) को छपरा सदर अस्पताल में एक सिलेंडर ब्लास्ट में घायल लोगों से मिलने पहुंचीं, जहां मीडिया ने उनसे नामांकन रद्द होने को लेकर सवाल पूछे। उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से बात करने से इनकार करते हुए कहा कि देखिए, मैं यह सब पर ज्यादा कुछ बोलना नहीं चाहूंगी। जो भी बातें हैं, मैंने अपने नेता चिराग पासवान के सामने रखी हैं। मुझे अपने इलेक्शन कमीशन पर पूरा भरोसा है, और अपने संविधान पर भी पूरा भरोसा है।”उन्होंने आगे कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अपने नेता चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पूरा विश्वास है।
कैसे हुई तकनीकी गलती, क्यों रद्द हुआ नामांकन
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सीमा सिंह का नामांकन पत्र तकनीकी त्रुटि के कारण खारिज किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि फॉर्म में उम्मीदवार के स्थान पर प्रस्तावक का नाम और प्रस्तावक की जगह पार्टी का नाम (लोजपा-आर) लिखा गया था। यह त्रुटि भले ही छोटी दिखाई दे, लेकिन चुनाव आयोग के नियमों के तहत इसे गंभीर माना गया। परिणामस्वरूप सीमा सिंह का नामांकन रद्द कर दिया गया।लोजपा-आर की ओर से इस पर कोई आधिकारिक विरोध नहीं जताया गया, लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व ने मामले की समीक्षा की है।इस तकनीकी भूल ने लोजपा-आर के लिए मढ़ौरा में रणनीति को अस्थायी रूप से झटका दिया है, क्योंकि सीमा सिंह उस क्षेत्र में एक लोकप्रिय चेहरा मानी जाती हैं — खासकर भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में उनकी पहचान के कारण।
मैं चिराग पासवान की सिपाही हूं-सीमा सिंह
नामांकन रद्द होने के बाद भी सीमा सिंह के सामने राजनीति के कई दरवाजे खुले थे। उन्होंने खुद खुलासा किया कि कुछ अन्य राजनीतिक दलों ने उन्हें टिकट देने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इन सभी प्रस्तावों को सिरे से ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि मेरे नेता चिराग पासवान हमारे पीएम मोदी के हनुमान हैं, और मैं उन हनुमान की भक्त हूं। मैं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की एक ईमानदार सिपाही थी, सिपाही हूं और आजीवन सिपाही ही रहूंगी।”सीमा सिंह ने कहा कि वे राजनीति में बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के विजन से प्रेरित होकर आई हैं और किसी भी परिस्थिति में अपनी पार्टी के प्रति वफादार रहेंगी। उन्होंने मढ़ौरा की जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जनता का प्यार ही उनकी असली ताकत है।
जनता के बीच सक्रिय रहीं सीमा सिंह
नामांकन रद्द होने के बावजूद सीमा सिंह लगातार मढ़ौरा और आस-पास के इलाकों में सक्रिय बनी हुई हैं। सिलेंडर ब्लास्ट में घायल मरीजों से मिलना इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि राजनीति सेवा का माध्यम है और वे अपने क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में हमेशा साथ खड़ी रहेंगी।लोजपा-आर कार्यकर्ताओं ने बताया कि सीमा सिंह पार्टी की तरफ से प्रचार अभियानों में हिस्सा लेती रहेंगी और पार्टी के उम्मीदवार के समर्थन में काम करेंगी। उनका मानना है कि सीमा सिंह जैसी लोकप्रिय और ईमानदार चेहरा पार्टी की छवि को मजबूत बनाएगा।
लोजपा-आर की रणनीति और मढ़ौरा का समीकरण
मढ़ौरा विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में हमेशा चर्चा में रही है। यहाँ पिछड़ा वर्ग, यादव, ब्राह्मण और व्यापारी समुदाय का बड़ा प्रभाव है। सीमा सिंह जैसी महिला और भोजपुरी कलाकार को उम्मीदवार बनाकर लोजपा-आर ने इस सीट पर एक नया समीकरण बनाने की कोशिश की थी।हालांकि नामांकन रद्द होने से पार्टी को झटका लगा है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि सीमा सिंह को भविष्य में संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। चिराग पासवान भी उन्हें लेकर सकारात्मक रुख रखते हैं और उनके साथ खड़े हैं।