Danapur Double Murder: अपनों की साज़िश के शिकार तो नहीं हो गए दही गोप? 7 साल बाद फिर सुर्खियों में 21 तारीख और दिन शनिवार...
Danapur Double Murder: दही गोप की हत्या के बाद पेठिया बाजार इलाके में हो रही है एक कुख्यात अपराधी की जमकर चर्चा, स्थानीय लोग दबी ज़ुबान से सुना रहे है दोनों के किस्से...
Danapur Double Murder : राजधानी से सटे दानापुर का पेठिया बाजार फिर से एक बार समाचार की सुर्खियों में हैं। कारण गोलियों की तड़तड़ाहट से खत्म हुई 2 ज़िंदगियां। बीते शनिवार की रात तकरीब साढ़े 8 बजे कथित तौर पर बाइक सवार तीन अपराधियों ने दही गोप पर उनके घर के पास ही ताबड़तोड़ गोलियां दाग दी थी। गोलीबारी में विकास उर्फ गोरखनाथ की ऑन स्पॉट मौत हो गई थी। इस हमले में रणजीत उर्फ दही गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे और इलाज के दौरान पटना के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया। गोलीबारी की इस घटना के पांचवे दिन भी पुलिस खाली हाथ है। महज सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीदों के बयान की बिना पर पुलिस की जांच जारी है। दावा है कि जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार कर मामले का उद्भेदन कर दिया जाएगा। लेकिन घटना के इतने दिनों बाद भी मकतूल दही के परिजनों द्वारा पुलिस को अबतक लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराए जाने से ऊपापोह की स्थिति बनी हुई।
21 तारीख और दिन शनिवार
वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है पर दोनों हत्याकांडों में 7 साल का लंबा फासला है। लेकिन इन दोनों हत्याकांडों में गजब की समानताएं है। मारे गए दोनों एक दूसरे से भली भांति परिचित थे। दोनों एक ही मोहल्ले यानी दानापुर के पेठिया बाजार निवासी थे। दोनों पर गोलीबारी शनिवार और 21 तारीख को ही की गई। शनिवार, 21 अक्तूबर 2017 को दीघा थाना क्षेत्र के रामजीचक स्थित ससुराल में पटना के टॉप टेन अपराधियों की लिस्ट में शामिल कुख्यात रमेश उर्फ मखना उर्फ छोटका मखना की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। वहीं 21 दिसम्बर दिन शनिवार को दानापुर थाना के पेठिया बाजार में रणजीत उर्फ दही गोप को घर के समीप ही बाइक सवार अपराधी आए आवाज दी बातचीत की और फिर बेहद नजदीक से दनादन गोलियां मार दी और फरार हो गए। एक को ससुराल पहुचे एक घंटे हुए थे और दूसरे घर के बाहर यानी लाइनर कोई बेहद करीबी रहा होगा। दोनों के बीच बेहद अच्छे रिश्ते हुआ करते थे। इलाके में मक्खन की दही से दोस्ती की मिसालें दी जाती थी। दोनों के फर्श से अर्श तक के सफर में कई लोगों के कॉमन होने की चर्चा है। दोनों ने खूब तरक्की की और खूब संपति भी खड़ी कर दी पर वो कथित कॉमन पीछे छूट गए। पेठिया बाजार के स्थानीय लोग दोनों के किस्से भी सुनाते है।
एक था छोटका मखना
रमेश उर्फ मक्खन उर्फ मखना अपराधियों का गिरोह चलाता था। उसके गिरोह में 2 दर्जन से अधिक गुर्गे व शार्प शूटर थे। रकम लेकर जमीन का कब्जा करने से लेकर किसी की हत्या करना इस गिरोह की फितरत थी। दानापुर के पेठिया बाजार में परिवार के साथ रहने वाले मखना ने कम उम्र में ही अपराध जगत में कदम रख दिया था। मखना 2007 में अपराध जगत में उतरने के बाद छिनतई और चोरी करता था। पुलिस की मानें तो मखना ने मार्च, 2010 में दानापुर में वीणा रेडियो के मालिक रणधीर जायवाल को दुकान में घुसकर गोली मारी थी। इसके बाद उसने लूट,हत्या,डकैती,जमीन कब्जा,बालू खनन से लेकर फिरौती जैसे घटनाओं को अंजाम दिया। मखना पर अकेले दानापुर में हत्या, लूट, रंगदारी, मारपीट के 12 से अधिक मामले दर्ज हैं।धीरे-धीरे रंगदारी के धंधे में उतर गया। पेठिया बाजार समेत पूरे दानापुर के व्यापारी वर्ग में उसके नाम का खौफ था। रंगदारी नहीं देने पर कई हत्याएं की। इस तरह उसने अकूत संपत्ति बना ली। मनेर और शाहपुर में जमीन खरीद उसने दो घर भी बनाया था। उसके पास कई चार पहिया लग्जरी गाड़ियां थीं जिन्हें किराये पर चलवाता था। छावनी क्षेत्र के पेठिया बाजार में उसने करीब आधा दर्जन दुकान बनाकर किराये पर दिया था। इससे 30 से 35 हजार रुपए प्रतिमाह किराया वसूलता था। पुलिस सूत्रों का दावा था कि मखना को कई व्यवसायियों और सफेदपोशों ने संरक्षण दे रखा था। ताकि मखना के खौफ और बाहुबल का इस्तेमाल कर जमीन कब्जाने का कारोबार निर्बाध चलता रहे।
क्या अपनों ने ही रची साजिश?
मारे पूर्व पार्षद और छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सह BJP के सक्रिय कार्यकर्ता रणजीत कुमार उर्फ दही गोप मूल रूप से पटना जिले के नौबतपुर थाना क्षेत्र के मूल निवासी थे। पर दानापुर के पेठिया बाजार में अपने नाना के घर पर रहा करते थे। यही से अपने सियासी कैरियर की शुरुआत की। ये बात अलग है कि इसके ऊपर भी दबंगई के आरोप लगे और कानून की विभिन्न धाराओं में कई आपराधिक मामले दर्ज थे। लेकिन समय के साथ इन्होंने समाज सेवा के जरिए दानापुर में अपनी अच्छी और सशक्त उपस्थित दर्ज कराई और लोकप्रियता हासिल कर ली। आम आदमी से लेकर व्यापारी वर्ग में इनकी मकबूलियत नए आयाम को छूने लगी थी। दही गोप वार्ड नंबर एक के सदस्य बने। छावनी परिषद भंग होने के कारण उनकी उपाध्यक्ष की कुर्सी छिन गई थी।लेकिन राजनीति में इनकी सक्रियता लगातार बढ़ रही थी। तमाम सियासी दलों में भी इनकी अच्छी पकड़ थी। विशेषकर विगत वषों से इनकी एनडीए गठबंधन के नेताओं से गहरी छनने लगी थी। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए इनकी सक्रियता लागतार बनी हुई थी।
कहीं सियासी आपराधिक गठजोड़ का नतीजा तो नहीं?
विदित हो कि दानापुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा कोटे की सीट है। स्थानीय लोग खुल कर तो कुछ भी कहने से बच रहे है पर इशारों में इस हत्या को सियासी आपराधिक गठजोड़ का नतीजा बता रहे है। अंतिम यात्रा में उमड़े जन सैलाब ने भी मकतूल दही की लोकप्रियता का सहज अंदाजा कराया जो इस दावे की ओर पुख्ता इशारा करता है। बेहद करीने से सियासी फायदे और भविष्य में सियासी रुकावट की आशंका को जड़ से मिटाने खातिर क्या छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रणजीत कुमार को अपराधियों के हाथों मौत की नींद सुला दिया गया है! दही की मौत से किसको सियासी फायदा होगा या नुकसान जैसे तमाम बिंदुओं पर पुलिस गहनता से छानबीन कर रही है।
पटना से कुलदीप की रिपोर्ट