Bihar Flood: कमला बलान में डूबा डाइवर्जन, टूटे पुल पर ठहरे लोग, नाव पर सवार कुशेश्वरस्थान की किस्मत

Bihar Flood: कमला बलान नदी एक बार फिर तबाही का पैगाम लेकर आई है। नेपाल से छोड़े गए पानी और लगातार बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा तो सहोरवाघाट का डाइवर्जन भी बहाव में समा गया।

कमला बलान में डूबा डाइवर्जन- फोटो : reporter

Bihar Flood: दरभंगा के कुशेश्वरस्थान प्रखंड में कमला बलान नदी एक बार फिर तबाही का पैगाम लेकर आई है। नेपाल से छोड़े गए पानी और लगातार बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा तो सहोरवाघाट का डाइवर्जन भी बहाव में समा गया। अब यहां की हजारों की आबादी के लिए नाव ही जीवनरेखा है। लोग अपनी जान हथेली पर रखकर रोजाना इस पार से उस पार जा रहे हैं—कभी खुद तो कभी अपनी बाइक समेत।

स्थिति यह है कि नाव पर लदी मोटरसाइकिलें और नाव पर बैठा भयग्रस्त सफर यहां के जीवन का रोजमर्रा बन गया है। गांव से प्रखंड मुख्यालय का संपर्क टूट चुका है। सरकारी शिक्षक बबलू दास की कहानी इस भयावहता को और गहरा करती है। बीते साल वे बाइक समेत नाव पर चढ़े तो नाव डूबने लगी। किसी तरह तो जान बची, मगर बाइक नदी में समा गई। घंटों मशक्कत के बाद ग्रामीणों की मदद से उसे निकाला गया। आज भी वे उसी भय के साये में रोजाना नाव से स्कूल जाते हैं।

यह कहानी नई नहीं, बल्कि तीन साल पुराना दर्द है। सहोरवाघाट पर सड़क पुल बनाने की घोषणा खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2021 में की थी। लेकिन घोषणा के बाद पुल की शुरुआत थोड़ी हुई और फिर निर्माण कार्य ठप हो गया। इसी बीच भारी-भरकम ट्रक के बोझ से पुराना पुल भी ध्वस्त हो गया। परिणाम—ना पुराना पुल, ना नया पुल, सिर्फ जर्जर डाइवर्जन, जो अब नदी में समा चुका है।

विनोद कुमार बताते हैं कि यह मार्ग कुशेश्वरस्थान के सतीघाट और राजघाट को जोड़ने वाला मुख्य रास्ता है। डाइवर्जन डूबने से सात पंचायतों की हजारों की आबादी पूरी तरह कट गई है। अब नाव ही एकमात्र सहारा है। मगर यह सहारा भी असुरक्षा का पर्याय है। नाव डूबने का खतरा हर पल मंडराता है।

गांववालों की व्यथा यह भी है कि उनकी समस्या पर न तो प्रशासन ध्यान देता है और न ही राजनीतिक वादों का कोई नतीजा निकलता है। तीन साल से लोग पुल की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन सरकार के दफ्तरों में यह मुद्दा शायद फाइलों के ढेर में गुम हो चुका है।

रिपोर्ट- वरुण ठाकुर