RJD Leader: बिहार बंद 9 जुलाई का समर्थन! राजद नेता अली अशरफ फातमी का बड़ा आरोप, कहा- कमजोर वर्ग को मतदान से वंचित करने की साजिश
RJD Leader:राजद नेता मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने 9 जुलाई को बिहार बंद का समर्थन करते हुए मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया। जानें क्यों यह बंद लोकतंत्र की परीक्षा बन चुका है।
RJD leader and former Union Minister Mohd. Ali Ashraf Fatmi: राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. अली अशरफ फातमी ने आगामी 9 जुलाई को प्रस्तावित बिहार बंद को लेकर बड़ा बयान दिया है। दरभंगा परिसदन में महागठबंधन नेताओं के साथ बैठक में उन्होंने मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया।
उनका आरोप है कि राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष पुनरीक्षण के नाम पर मतदाता सूची में जानबूझकर बदलाव किए जा रहे हैं। खासकर कमजोर, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के वोटरों को सूची से बाहर किया जा रहा है, ताकि वे अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग न कर सकें।
क्या बिहार के लोग अपना मुख्यमंत्री नहीं चुन सकते?
फातमी ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर बिहार का वोटर फर्जी है तो फिर पूरी संसद और सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। फिर से पूरे देश में चुनाव कराएं।यह बयान बिहार की राजनीति में उबाल ला रहा है। उन्होंने यह भी पूछा कि जब लोकसभा चुनाव 2024 में हो चुके हैं, तो अब बिहार के वोटरों को दोबारा प्रमाण क्यों देना पड़ रहा है कि वे असली मतदाता हैं?
चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार का दबाव?
राजद नेता का आरोप है कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है। आयोग ने मतदाता सूची की समीक्षा के लिए जो समयसीमा तय की है, वह अव्यवहारिक और अपारदर्शी है। फातमी ने कहा कि एक महीने के भीतर करोड़ों मतदाताओं की सूची की शुद्धता की जांच करना तकनीकी रूप से असंभव है। इसके पीछे उनका मानना है कि यह पूरी कवायद बिहार विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने की एक साजिश है। अगर मतदाता सूची में सुधार की जरूरत थी, तो यह कार्य देशभर में समान रूप से किया जाना चाहिए था — केवल बिहार में क्यों?
बिहार बंद: जनता की आवाज या राजनीतिक दवाब?
फातमी के मुताबिक 9 जुलाई का बिहार बंद केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं बल्कि जनता की आवाज है। उन्होंने आम नागरिकों से इस बंद को सफल बनाने की अपील करते हुए कहा कि यह बंद जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए है, लोकतंत्र की आत्मा को बचाने के लिए है।राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यह बंद महज एक विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि आगामी चुनावों की नींव तय कर सकता है।