बिहार के इन जिलो में जल्द ही खुलेगा नया चिड़ियाघर, गया समेत इन शहरों में इको-टूरिज्म के लिए किया जाएगा काम

वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने केंद्रीय बजट से बिहार के लिए चिड़ियाघर, टाइगर रिजर्व, जलाशय विकास और इको-टूरिज्म के लिए फंड की मांग की है। जानिए बिहार को बजट से क्या उम्मीदें हैं।

बिहार के इन जिलो में जल्द ही खुलेगा नया चिड़ियाघर, गया समेत इन शहरों में इको-टूरिज्म के लिए किया जाएगा काम
खुलेगा नया चिड़ियाघर,- फोटो : freepik

Bihar eco tourism: वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने कहा है कि केंद्रीय बजट में बिहार को पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीव संरक्षण और इको-टूरिज्म के विकास के लिए अधिक फंड मिलना चाहिए। बिहार में चिड़ियाघरों की संख्या कम है, जबकि तमिलनाडु जैसे राज्यों में 5 से अधिक जू हैं। अररिया, गया, जमुई और रोहतास में नए चिड़ियाघरों का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के अलावा भभुआ में एक और टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है। 

 राज्य के रामसर साइट, जलाशय और वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए केंद्रीय मदद की जरूरत है।बक्सर के गोकुल जलाशय के विकास के लिए फंड की मांग की गई है।जलवायु परिवर्तन से निपटने और हरियाली बढ़ाने की योजनाओं के लिए सहायता चाहिए।

बिहार में वन्यजीव संरक्षण और चिड़ियाघरों की जरूरत

बिहार की कुल वन्य भूमि देश के औसत से कम है। राजगीर में जू सफारी है, लेकिन अन्य जिलों में चिड़ियाघर नहीं हैं। वाल्मीकिनगर में टाइगर रिजर्व है, लेकिन एक और टाइगर रिजर्व की जरूरत बताई गई है। सरकार चाहती है कि बिहार में वन्यजीव संरक्षण और इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिले, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहे और पर्यटन को भी बढ़ावा मिले।

बिहार में इको-टूरिज्म और जलाशय विकास पर जोर

इको-टूरिज्म के तहत जंगल सफारी, नेचर ट्रेल्स और बर्ड वॉचिंग साइट्स विकसित करने का प्रस्ताव है।बक्सर का गोकुल जलाशय और अन्य वेटलैंड्स को रामसर साइट्स के रूप में संरक्षित करने की मांग है।वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए योजनाओं की जरूरत बताई गई है।केंद्र सरकार से अपेक्षा है कि वह इन योजनाओं के लिए पर्याप्त फंड जारी करे।

जलवायु परिवर्तन और हरित बिहार मिशन के लिए सहायता की मांग

बिहार को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अधिक मदद की जरूरत है। हरियाली बढ़ाने और वनों के संरक्षण के लिए फंड आवश्यक है।कृषि और पर्यावरण के सामंजस्य के लिए नई योजनाओं की जरूरत बताई गई है।

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