Bihar News: बिहार में 100 करोड़ का बैंक घोटाला ! News4Nation ने साल 2023 में खोला था कालाचिठ्ठा, अब ED ने 19 ठिकानों पर की छापेमारी, RJD विधायक के भूमिका की जानिए इनसाइड स्टोरी...

Bihar News: बिहार में 100 करोड़ के बैंक घोटाले मामले में आज ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और राजद विधायक आलोक मेहता के 19 ठिकानों पर छापेमारी की है। आइए इस मामले की इनसाइड स्टोरी को समझते हैं...

RJD MLA Alok Mehta
RJD MLA Alok Mehta- फोटो : social media

Bihar News: बिहार में एक बड़े बैंक घोटाले का खुलासा हुआ है। RBI से पंजीकृत वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक में करीब 100 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। हजारों निवेशकों की जमा पूंजी को फर्जी लोन के माध्यम से गबन किया गया। इस घोटाले में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और लालू परिवार के करीबी RJD नेता आलोक मेहता और उनके परिवार की संदिग्ध भूमिका उजागर हुई है। इस घोटाले की जानकारी  News4Nation ने अपने पाठकों को 9 नवंबर 2023 को ही दिया था।  (खबर देखने के लिए बोल्ड में लिखे news4nation को क्लिक करें ) उक्त समय खाताधारकों ने भारी बवाल काटा था और फैक्ट्री में ताला जड़ दिया था। तब आलोक मेहता बिहार की महागठबंधन सरकार में मंत्री थे। हालांकि जनवरी 2024 में सीएम नीतीश महागठबंधन से नाता तोड़ एनडीए  के साथ सरकार बना ली थी।      

ईडी की रेड

इस मामले के सामने आने के करीब एक साल के बाद आज यानी 10 जनवरी 2025 को राजद विधायक आलोक मेहता के घर पर ईडी की रेड हुई है। ईडी ने राजद विधायक आलोक मेहता के बिहार, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 19 ठिकानों पर ईडी की रेड सुबह सुबह रेड की है। पटना और हाजीपुर में 9 कोलकाता में 5 वाराणसी 4 और दिल्ली में 1 ठिकाना पर यह छापेमारी चल रही है। पटना में राजद विधायक के सरकारी और निजी आवास पर हो रेड जारी है। बताया जा रहा है कि वैशाली शहरी विकास सहकारिता बैंक में हुई 85 करोड़ रुपए की घपलेबाजी मामले में यह कार्रवाई हो रही। RBI की रिपोर्ट के बाद हाजीपुर में 3 FIR दर्ज हुई थी।



घोटाले का विवरण

मामले में बताया गया कि 35 साल से चल रही वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक के खिलाफ 2023 साल जून में पांच करोड़ के घोटाले की बात सामने आई थी। जिसके बाद आरबीआई ने बैंक पर ताला लगाने का आदेश जारी किया था। धीरे-धीरे जब जांच शुरू की गई तो घोटाले की यह राशि 100 करोड़ तक पहुंच गई है।

फर्जी लोन और फर्जी दस्तावेज

लिच्छवि कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड और महुआ कोऑपरेटिव कोल्ड स्टोरेज नामक दो कंपनियों ने बैंक से 60 करोड़ रुपये का गबन किया। किसान लोन के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों का लोन जारी किया गया। फर्जी LIC बॉन्ड और पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर 30 करोड़ रुपये की निकासी की गई।

आलोक मेहता और उनके परिवार की संदिग्ध भूमिका

इस कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना 35 साल पहले आलोक मेहता के पिता तुलसीदास मेहता ने की थी। 1995 से 2012 तक आलोक मेहता बैंक के चेयरमैन रहे। इस दौरान बैंक का प्रबंधन पूरी तरह उनके परिवार के नियंत्रण में था। घोटाले की नींव मंत्री आलोक मेहता के चेयरमैन रहते रखी गई थी। फर्जी लोन और फर्जी निकासी में जिन कंपनियों का नाम सामने आया, उनका सीधा संबंध आलोक मेहता के परिवार से है। घोटाले की बात सामने आने के बाद आलोक मेहता ने बैंक प्रबंधन से खुद को अलग कर लिया, लेकिन बैंक का संचालन अब भी उनके भतीजे संजीव द्वारा किया जा रहा है।

पूर्व में भी गड़बड़ियां

2015 में इसी बैंक में गबन के आरोपों के चलते RBI ने वित्तीय कारोबार बंद कराया था। उस समय भी जांच के बाद कार्रवाई हुई, लेकिन बैंक की कमान फिर से मेहता परिवार को दे दी गई। 2012 में घोटाले के छींटों से बचने के लिए आलोक मेहता ने बैंक की कमान अपने पिता को सौंप दी थी।

घोटाले का खुलासा और FIR दर्ज

घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब खाताधारकों ने वर्तमान चेयरमैन संजीव मेहता को घेरा। उन्होंने खुद इस घोटाले का ठीकरा आलोक मेहता पर फोड़ा। इस मामले में वैशाली जिले के नगर थाना में दो अलग-अलग FIR दर्ज कराई गई हैं। बैंक के CEO और मैनेजर फरार हैं। पुलिस और संबंधित विभाग जांच कर रहे हैं।

आगे की कार्रवाई

RBI की जांच के बाद ED ने इस मामले में छापेमारी शुरू कर दी है। हजारों खाताधारक, जिनकी जमापूंजी इस घोटाले में लूट ली गई, न्याय की मांग कर रहे हैं। पूर्व मंत्री आलोक मेहता और उनके परिवार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह मामला केवल एक वित्तीय घोटाला नहीं, बल्कि राजनीतिक रसूख और भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण बनकर उभरा है।

प्रमुख सवाल

घोटाले की पूरी प्रक्रिया मंत्री परिवार के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। सवाल उठता है कि क्या मंत्री आलोक मेहता और उनके परिवार को इस बड़े घोटाले से पाक-साफ करार दिया जा सकेगा?

इस मामले में प्रमुख लोगों के बयान

अनिल चंद्र कुशवाहा (बैंक के फाउंडर मेंबर) का कहना है कि, "बैंक से फर्जी तरीके से 60 करोड़ का लोन दिया गया। जब तक पैसा वापस नहीं होगा, तब तक कोल्ड स्टोर पर ताला लगा रहेगा।"

धनराज राय (प्रभावित खाताधारक)ने कहा कि, "हमने मंत्री जी के भरोसे बैंक में पैसा जमा किया। अब 100 करोड़ का घोटाला हो गया, और मंत्री जी हमसे भाग रहे हैं।"

संजीव कुमार (मंत्री के भतीजे और बैंक चेयरमैन) ने कहा कि "घोटाला 10-20 साल से चल रहा है। मंत्री जी खुद इसमें शामिल रहे हैं।"

विपिन तिवारी (सीईओ) ने कहा कि "घोटाले जैसी गड़बड़ियां हो जाती हैं, हम क्या कर सकते हैं।" वहीं घोटाले से जुड़े सभी पहलुओं की जांच जारी है। लेकिन प्रभावित खाताधारकों की जिंदगी भर की जमापूंजी डूबने की कगार पर है। मंत्री परिवार की भूमिका पर उठे सवालों ने बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी है। 

हाजीपुर से ऋषभ की रिपोर्ट

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