Bihar Land Dispute: बिहार के ये 9 जिले जमीन के मामले को निपटाने में साबित हुए फिसड्डी, अधिकारियों पर सरकार की नजर...
Bihar Land Dispute: बिहार में जमीन संबंधित मामलों के निपटारे का काम काफी देरी से चल रहा है। प्रदेश के 9 जिले जमीन के मामले को निपटाने में फिसड्डी साबित हुए हैं जिसमें राजधानी पटना भी है।
Bihar Land Dispute: बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। राज्य के अधिकांश बड़े जिले म्यूटेशन, परिमार्जन, कोर्ट केस, अभियान बसेरा, ई-मापी और जमाबंदी को आधार से जोड़ने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में पिछड़े हुए हैं। विभाग द्वारा जारी नवंबर महीने की रैंकिंग में पटना जिला सबसे नीचे रहा है। राजधानी होने के बावजूद पटना केवल 33% अंक मिला है। इसके अलावा लखीसराय को 34% , नवादा को 36%, पूर्वी चंपारण को 39%, शिवहर, सहरसा और अररिया को 40% अंक मिला है। जबकि 1 नंबर पर शेखपुरा है जिसे 65% अंक मिले हैं। नंबर 2 पर बांका (64%) और नंबर 3 पर जहानाबाद है जिसे 60 फीसदी अंक मिले हैं।
म्यूटेशन में भी बड़े जिले पिछड़े
म्यूटेशन आवेदनों के निपटारे में भी नवादा, शिवहर, अररिया और पश्चिमी चंपारण जैसे जिले काफी पिछड़े हुए हैं। इन जिलों में 60-70% मामले ही निपटाये जा सके हैं। वहीं, बांका जिला 90% मामलों को निपटाकर इस मामले में अव्वल रहा है। इसी तरह जहानाबाद और सीवान में 88%, सुपौल, औरंगाबाद व समस्तीपुर में 86% , शेखपुरा में 85%, किशनगंज, वैशाली और मुंगेर में 83%, और पूर्णिया जिला में 82% मामले निपटाए गए हैं।
परिमार्जन प्लस में भोजपुर सबसे पिछड़ा
जमीन के दस्तावेजों में सुधार के लिए चलाए जा रहे परिमार्जन प्लस अभियान में भोजपुर जिला सबसे खराब स्थिति में है। इस जिले में केवल 12% मामले ही निपटाए गए हैं। जमुई 14%, अरवल और लखीसराय15%, जहानाबाद16%, दरभंगा और नवादा 17%, बक्सर और पटना 18% जैसे जिले भी इस मामले में काफी पिछड़े हुए हैं। वहीं लोगों को सेवा देने में वैशाली 43%, सुपौल 41%, शेखपुरा, किशनगंज और मधेपुरा 40% मामलों का निपटारा किया है।
ई-मापी में भी पटना फेल
ई-मापी के उपयोग में भी पटना, शिवहर और भोजपुर जिला काफी पीछे हैं। इन जिलों में केवल 49% मामले ही निपटाए गए हैं। वहीं, जहानाबाद 87%, बांका 83%, कैमूर 81% और अररिया 80% जैसे जिले ई-मापी के काम निपटाने में अव्वल रहे हैं।
ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही है परेशानी
इन आंकड़ों से साफ है कि राज्य के कई जिलों में राजस्व संबंधी कामकाज काफी धीमे गति से हो रहे हैं। इसका सीधा असर ग्रामीणों पर पड़ रहा है। जमीन संबंधी काम कराने के लिए लोगों को कई-कई महीने इंतजार करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्व मामलों में देरी के पीछे कई कारण हैं। इनमें कर्मचारियों की कमी, प्रशिक्षण का अभाव, तकनीकी समस्याएं और भ्रष्टाचार प्रमुख हैं। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द राजस्व मामलों में सुधार लाए। उन्हें आसानी से और कम समय में अपने काम निपटाने दिए जाएं।