दिवाली के बाद बिहार के हवा में घुली जहर! कई शहरों में एयर क्वालिटी खराब, देखें पूरी लिस्ट
बिहार में दिवाली के बाद वायु और ध्वनि प्रदूषण का स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार द्वारा पटाखों पर प्रतिबंध और प्रदूषण नियंत्रण के कड़े नियम लागू करने के बावजूद, कई शहरों में वायु की गुणवत्ता 'खराब' स्तर पर रही।
Bihar air quality after Diwali: दिवाली समारोह के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, बिहार के कई शहरों की वायु गुणवत्ता 'खराब' हो गई है। हाजीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 332 के साथ 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया, जो बिहार में सबसे अधिक प्रदूषित स्थान था। इस खराब वायु गुणवत्ता का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा है, विशेषकर जिनकी सांस की समस्याएँ हैं, उनके लिए यह हानिकारक साबित हो रहा है।
प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता का स्तर
बिहार में दिवाली के बाद कई शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में आ गई है, जिनमें प्रमुख शहर हैं:
अररिया और मुजफ्फरपुर - AQI 286
बेगूसराय - AQI 258
सारण/छपरा - AQI 254
पूर्णिया - AQI 247
सहरसा - AQI 232
पटना और समस्तीपुर - AQI 230
किशनगंज - AQI 201
पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद खराब वायु गुणवत्ता
बिहार सरकार ने पटना, गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में दिवाली के दौरान वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सभी प्रकार के पटाखों, यहां तक कि हरित पटाखों पर भी प्रतिबंध लगाया था। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के निर्देशानुसार, इन शहरों में प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से यह प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन इसके बावजूद हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो सका।
AQI के विभिन्न स्तर और उनके प्रभाव
सीपीसीबी के मानकों के अनुसार, AQI का स्तर निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया गया है:
0-50: अच्छा (स्वास्थ्य पर न्यूनतम प्रभाव)
51-100: संतोषजनक (संवेदनशील लोगों को मामूली परेशानी)
101-200: मध्यम (फेफड़े, अस्थमा, और हृदय रोगियों को परेशानी)
201-300: खराब (लंबे समय तक रहने पर अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ)
301-400: बहुत खराब (सांस संबंधी बीमारी)
401-500: गंभीर (स्वस्थ लोगों को भी प्रभावित करता है)
बीएसपीसीबी का बयान और प्रदूषण का कारण
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के अध्यक्ष, देवेंद्र कुमार शुक्ला ने कहा कि राज्य में बढ़ते वायु प्रदूषण का कारण तापमान में गिरावट और भारी नमी है। ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण प्रदूषक तत्व हवा में ही रह जाते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता और बिगड़ती है। शुक्ला ने यह भी बताया कि, पिछले वर्ष की तुलना में पटना की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जो कि सख्त नियमों के लागू होने का परिणाम है।
ध्वनि प्रदूषण की स्थिति
दिवाली पर वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण का भी असर देखा गया। बीएसपीसीबी ने पटना के कई क्षेत्रों, जैसे बेल्ट्रॉन बिल्डिंग, बोरिंग रोड, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (कंकड़बाग), तारामंडल और फुलवारी शरीफ में ध्वनि प्रदूषण की निगरानी की। 25 अक्टूबर को और दिवाली के दिन सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक ध्वनि स्तर मापा गया। पिछले साल की तुलना में इस साल ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिवाली रात को कम दर्ज किया गया है, हालांकि सामान्य दिनों से अधिक था।