बिहार को मिलने वाला है राज्य का पहला एक्सप्रेसवे, जानें किन शहरों से गुजरेगा, कैसी रहने वाली है कनेक्टिविटी?

आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे बिहार का पहला ग्रीनफील्ड छह लेन एक्सप्रेसवे है, जो उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच संपर्क बढ़ाने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए बनाया जा रहा है। जानें परियोजना के लाभ और चुनौतियां।

बिहार को मिलने वाला है राज्य का पहला एक्सप्रेसवे, जानें किन शहरों से गुजरेगा, कैसी रहने वाली है कनेक्टिविटी?
बिहार का पहला एक्सप्रेसवे- फोटो : freepik

Bihar first expressway: 189 किलोमीटर लंबा आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे बिहार का पहला छह लेन वाला ग्रीनफील्ड एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे है। इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा भारतमाला परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना राज्य के परिवहन ढांचे को आधुनिक बनाने और आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

189 किलोमीटर लंबा आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे  की शुरुआत गया जिले के आमस से होने वाला है। इसके बाद ये दरभंगा जिले के बेला नवादा तक जाएगा। यह मार्ग सात जिलों से गुजरते हुए कई प्रमुख शहरों को जोड़ेगा, जैसे औरंगाबाद, गया, पटना, और दरभंगा।यह एक्सप्रेसवे उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच संपर्क को मजबूत करेगा। वर्तमान यात्रा समय को लगभग 4 घंटे कम करने का अनुमान है। बेहतर सड़क कनेक्टिविटी से व्यापार और आवागमन को आसान बनाने में मदद मिलेगी।

परियोजना के लाभ

बिहार में तैयार होने वाले एक्सप्रेसवे से व्यापार गतिविधियों में वृद्धि होगी।नौकरियों के नए अवसर मिलेंगे। स्थानीय किसानों और व्यवसायों को बाजार पहुंचने के लिए बेहतर सुविधा मिलेगी। इससे माल ढुलाई का समय और लागत कम होगी। उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच आर्थिक लेन-देन आसान होगा।NH-19 और NH-27 के माध्यम से दिल्ली-कोलकाता और अन्य क्षेत्रों से जुड़ाव हो जाएगा।

भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय चुनौतियां

परियोजना के लिए 56 गांवों से लगभग 1300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। पर्यावरणीय और वित्तीय बाधाएं परियोजना की प्रगति को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, सरकार परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। लेकिन मौजूदा काम की गति को देखते हुए परियोजना के 2025 तक तैयार होने की संभावना है।

किसे होगा सबसे अधिक फायदा?

किसानों को इससे काफी फायदा होने वाला है। बेहतर सड़कें स्थानीय उत्पादों को बाजारों तक पहुंचाने में मदद करेंगी। परियोजना से जुड़े शहरों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। क्षेत्रीय व्यापार में बढ़ोतरी होगी। कम यात्रा समय और आरामदायक सड़कें।

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