Bihar Teacher News: जमुई में शिक्षकों का ‘जुगाड़’ शिक्षा विभाग के ई-शिक्षकोष एप को चकमा देने का खोज निकाला अनोखा तरीका, जानें पूरी बात
जमुई जिले में शिक्षकों का यह कारनामा ‘तुम डाल-डाल तो मैं पात-पात’ की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। यह घटना शिक्षा विभाग के लिए एक चुनौती बन गई है और इसे देखते हुए भविष्य में शिक्षकों की उपस्थिति को और कड़े मानकों से नियंत्रित करने की जरूरत महसूस हो र
Bihar Jamui Education department: बिहार के जमुई जिले में शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ई-शिक्षकोष एप का निर्देश दिया था, ताकि लोकेशन के आधार पर शिक्षकों की उपस्थिति स्कूल में ही दर्ज हो। लेकिन शिक्षक इस तकनीकी उपाय का भी एक तरीका निकालकर घर बैठे ही उपस्थिति बनाने में कामयाब हो गए। यह मामला अब शिक्षा विभाग और जिले में चर्चा का विषय बन गया है।
शिक्षकों का ‘लोकेशन बदलने’ का जुगाड़
ई-शिक्षकोष एप लोकेशन आधारित उपस्थिति को ट्रैक करता है, जिससे शिक्षक केवल स्कूल से ही अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं। लेकिन जमुई के शिक्षकों ने थर्ड पार्टी एप्स का इस्तेमाल कर अपने फोन की लोकेशन को बदल दिया। इसके बाद शिक्षक अपने घर से ही उपस्थिति दर्ज करने लगे, जिससे वे शारीरिक रूप से स्कूल में मौजूद न रहते हुए भी ई-शिक्षकोष एप पर उपस्थित दिखने लगे।
इस नई ‘जुगाड़’ की खबर जैसे ही विभाग तक पहुंची, विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ गई। शिक्षक स्कूल न जाकर घर से ही उपस्थिति बनाते रहे, जिससे विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित हुआ और विभाग की कोशिशों पर पानी फिर गया।
शिक्षा विभाग की कार्रवाई
जमुई जिला शिक्षा कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पांच शिक्षकों के खिलाफ स्पष्टीकरण का निर्देश जारी किया है। अलीगंज प्रखंड क्षेत्र स्थित प्लस टू जनता उच्च विद्यालय सोनखार अलीगंज के पांच शिक्षकों — शिवदयाल कुमार, राधिका कुमारी, निर्जला कुमारी, राधा कुमारी, और खुशबू कुमारी — को यह नोटिस भेजा गया है। इन शिक्षकों से पूछा गया है कि क्यों उन्होंने विभागीय निर्देश का उल्लंघन कर गलत तरीके से घर से उपस्थिति दर्ज की।
इस मामले का व्यापक असर और विभाग का कड़ा रुख
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि घर से उपस्थिति दर्ज करना नियमों के खिलाफ है और इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा। विभाग ने इन शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा है, ताकि उनके इस व्यवहार के पीछे की वजह जानी जा सके और भविष्य में इसे रोका जा सके। यह मामला अब शिक्षा विभाग के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है, जिससे आगे के लिए सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है।