बिहार के जमुई में अनोखी परंपरा, बकरी का जन्मदिन मनाने वाले परिवार की कहानी

बकरी के लिए लोग गिफ्ट भी लेकर आते हैं। इस बार कई मेहमानों ने पुष्पांजलि को आम, कटहल और अन्य पत्ते तोहफे में दिए। परिवार की बेटी अंजलि कुमारी ने भी पुष्पांजलि को पत्ते गिफ्ट किए।

बिहार के जमुई में अनोखी परंपरा, बकरी का जन्मदिन मनाने वाले परिवार की कहानी
, बकरी का जन्मदिन मनाने वाले परिवार की कहानी- फोटो : freepik

Bihar Jamui News: बिहार के जमुई जिले के बिठलपुर गांव का एक परिवार हर साल 13 दिसंबर को अपनी बकरी का जन्मदिन बड़े ही खास तरीके से मनाता है। बकरी का नाम पुष्पांजलि रखा गया है और इसे परिवार में बच्चे की तरह पाला जाता है। इस खास मौके पर केक काटा जाता है, मेहमानों को दावत दी जाती है, और बकरी को गिफ्ट दिए जाते हैं। यह परंपरा पिछले चार सालों से चली आ रही है और अब यह न केवल गांव में बल्कि सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन चुकी है।

बकरी से खास जुड़ाव की कहानी

इस अनोखी परंपरा के पीछे परिवार की एक भावुक कहानी छिपी है। परिवार के मुखिया सिंटू सिंह के बेटे कुश सिंह अर्जुन की मृत्यु 2020 में कोविड महामारी के दौरान हो गई थी। कुश अपने ननिहाल से पुष्पांजलि नाम की इस बकरी को लाया था। बेटे के जाने के बाद, परिवार ने इस बकरी को बेटे की तरह अपना लिया और उसके जन्मदिन को खास तरीके से मनाने का फैसला किया।

इस दिन की खासियत यह भी है कि कुश का जन्म 13 तारीख को हुआ था, और संयोग से सिंटू सिंह की पत्नी अभिलाषा कुमारी, जो वार्ड पार्षद हैं, का चुनाव भी 13 तारीख को हुआ था। यही वजह है कि 13 दिसंबर परिवार के लिए बहुत खास दिन बन गया है।

जन्मदिन पर होता है बड़ा आयोजन

बकरी पुष्पांजलि के जन्मदिन पर पूरा परिवार खास तैयारी करता है।दोस्तों, रिश्तेदारों और गांव के लोगों को निमंत्रण भेजा जाता है।बर्थडे पार्टी में केक काटा जाता है। बकरी के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया जाता है।

गिफ्ट का अनोखा अंदाज:

बकरी के लिए लोग गिफ्ट भी लेकर आते हैं। इस बार कई मेहमानों ने पुष्पांजलि को आम, कटहल और अन्य पत्ते तोहफे में दिए। परिवार की बेटी अंजलि कुमारी ने भी पुष्पांजलि को पत्ते गिफ्ट किए।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

इस अनोखी परंपरा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे पूरे जोश और उत्साह के साथ बकरी का जन्मदिन मनाया जाता है।

भावनात्मक जुड़ाव और प्रेरणा

सिंटू सिंह का परिवार इस परंपरा के जरिए अपने बेटे की यादों को जीवित रखता है। यह कहानी न केवल परिवार की भावनात्मक गहराई को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि जानवरों के साथ कैसा गहरा लगाव हो सकता है।

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