Bihar News: शराबी पति ने कुरूप बताकर पत्नी को छोड़ा, अब महिला ने कायम की मिसाल, जानिए कौन है बिहार की 'मुन्नी मिस्त्री'

बिहार के जमुई में रहने वाली मुन्नी मिस्त्री की कहानी दर्दनाक है। मुन्नी की शादी 15 साल के उम्र में ही करा दी गई थी। जिसके बाद उनके शराबी पति ने उन्हें कुरूप कहकर छोड़ दिया। जिसके बाद मुन्नी ने मिसाल कायम किया।

Munni Mistry
Munni Mistry- फोटो : Reporter

JAMUI: जमुई में महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिशाल बरहट प्रखंड की मुन्नी मांझी पेश कर रही है। शराबी पति ने छोड़ा जिसके बाद अपने बूढ़े माता पिता का सहारा बन आसपास के गांव में मुन्नी मिस्त्री के नाम से फेमस हो गई। अब लोग राजमिस्त्री का काम करवाने इनके घर के चक्कर लगाने लगे है। दलित समाज से आनेवाली साधारण मुनिया अब मुन्नी मिस्त्री बन गई है।

25 साल से कर रही मिस्त्री का काम

जानकारी अनुसार मुन्नी मिस्त्री पिछले 25 सालों से बरहट प्रखंड में 100 से अधिक शौचालय और मकान निर्माण कार्य कर चुकी है। साथ ही लोगों को जागृत करने का कार्य भी कर रही है। हाथों में करनी और अन्य औजार ले, जब मुन्नी ने इस क्षेत्र में कदम रखा होगा तब उन्होंने सोचा नहीं होगा कि इस क्षेत्र में इन्हें सफलता मिलेगी। गरीबी व कुरूपता के कारण समाज का ताना सुनकर भी हार नहीं मानने और अपने मेहनत के बल पर आगे बढ़ने वाली दलित समाज की मुन्नी मांझी आज अपने समाज के लिए ही नहीं बल्कि अन्य समाज की महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई है। 

जमुई की रहने वाली है मुन्नी मिस्त्री

मुन्नी जमुई के ही बरहट प्रखंड के कटका गांव की रहनेवाली है। बताया जा रहा है कि मुन्नी की कुरुपता के कारण उसके पति ने उसे त्याग दिया था। जिसके बाद मुन्नी वापस अपने मायके लौट गई। ग्रामीणों के ताने सुन सुन कर मुन्नी ने ठाना खुद को आत्मनिर्भर बनाने की। फिर क्या था मुन्नी अपना पेट पालने के लिए दिहाडी करने लगी। दिहाड़ी मजदूरी करते करते मुन्नी अपने हुनर के दम पर जल्द ही राजमिस्त्री का काम सीख लिया।  पहले मुन्नी दिहाड़ी कर 300 रुपए कमाती थी लेकिन अब मुन्नी मिस्त्री बन प्रतिदिन 600 रुपये कमाने लगी है। राजमिस्त्री का काम करते करते मुन्नी का सामाजिक महत्व बढ गया और अब ग्रामीणों के बीच एक मिशाल बन गई है।


शादी के बाद पति ने छोड़ा

मुन्नी ने बताया कि जब वह 15 साल की थी तो उसके पिता ने उसकी शादी करा दी। शराबी पति ने उसे यह कहकर त्याग दिया कि वह दिखने मे कुरुप है। कुछ दिनों तक तो मुन्नी पति के इस तिरस्कार के कारण खुद को संभाल नही पाई लेकिन धीरे धीरे जीने की इच्छा ने उसे जिंदगी जीने की नई राह दिखा दी। अब वह किसी परिचय की मोहताज नही है। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी मुन्नी देवी आज अपने बुढे मात पिता का सहारा बनी है और खुद को पुरुषों के मुकाबले खडा कर लिया। आज मुन्नी के हौसले की चर्चा जमुई में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में की जा रही है।

जमुई से सुमित सिंह की रिपोर्ट

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