काश! कोई सीएम नीतीश को ध्यान दिलाता, प्रगति यात्रा के लिए 26 दिसंबर को सीतामढ़ी आने से 27 साल पहले टूटे पुल को लेकर चर्चा हुई तेज
सीतामढ़ी जिले का बग्घी चौर पुल 27 सालों से पुनर्निर्माण का इंतजार कर रहा है। जानें, क्यों अधूरी है परियोजना और कैसे प्रभावित हो रही है 50,000 से अधिक की आबादी।
Pragati Yatra: बिहार के सीतामढ़ी जिले में बाजपट्टी प्रखंड के बनगांव स्थित बग्घी चौर का पुल 27 वर्षों से पुनर्निर्माण का इंतजार कर रहा है। यह पुल 1997 की बाढ़ में ध्वस्त हो गया था, और तब से लेकर आज तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। इस पुल के अभाव में 15 पंचायतों की 50,000 से अधिक आबादी को प्रतिदिन आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पुल की ऐतिहासिक महत्ता और समस्या
यह पुल कभी 15 पंचायतों को जिला मुख्यालय डुमरा से जोड़ने का सबसे छोटा रास्ता था।अब पुल के अभाव में लोगों को 6-7 किमी का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ता है।स्थानीय किसानों को खेतों और खलिहानों तक पहुंचने में भी दिक्कतें होती हैं, खासकर बाढ़ और बरसात के समय।
पुनर्निर्माण में देरी: ठेकेदार और प्रशासन की विफलता
पुल के निर्माण के लिए कुछ वर्षों बाद टेंडर हुआ और ठेकेदार ने कुछ पिलर बनाए, लेकिन काम वहीं रुक गया।27 साल बीत जाने के बावजूद पुल का ढांचा अधूरा है।ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रशासन और नेताओं को समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा: उम्मीदें और सवाल
26 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीतामढ़ी जिले का दौरा करेंगे और प्रगति यात्रा के तहत योजनाओं की समीक्षा करेंगे।
स्थानीय लोग आशा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री इस पुल की समस्या पर ध्यान देंगे।
यदि प्रशासन अब भी ध्यान नहीं देता, तो ग्रामीण आंदोलन करने पर मजबूर हो सकते हैं।
ग्रामीणों की समस्याएं और मांगें
आवागमन की दिक्कतें: बेलहिया, मिश्रौलिया, और बनगांव समेत 15 पंचायतों के लोग जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करते हैं।
किसानों की परेशानी: खेतों और खलिहानों तक पहुंचने में अतिरिक्त दूरी और समय लगता है।
सरकार से मांग: पुल का निर्माण प्राथमिकता पर पूरा किया जाए।
स्थानीय निवासियों की आवाज
बनगांव के निवासी राजेश कुमार ने बताया, "चुनाव के समय नेता आते हैं और केवल आश्वासन देकर चले जाते हैं। पुल न होने से खेतों तक पहुंचने में 3-4 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है।" यह पुल सीतामढ़ी जिले की 50,000 से अधिक आबादी के लिए जीवन रेखा साबित हो सकता है। लेकिन प्रशासन की उदासीनता और ठेकेदार की लापरवाही ने इस परियोजना को अधर में लटका दिया है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा इस पुल के पुनर्निर्माण के लिए कोई ठोस कदम उठा पाती है या नहीं।