शारदा सिन्हा की जिंदगी इस खतरनाक बीमारी ने खत्म कर दी...6 साल से इस गंभीर बीमारी ने बेहाल कर रखा था स्वर कोकिला को...
शारदा सिन्हा की मृत्यु से लोक संगीत में एक खालीपन आ गया है, जिसे भर पाना बेहद कठिन है। उनके योगदान को संगीत प्रेमी और लोक संस्कृति से जुड़े लोग हमेशा याद रखेंगे।
Sharda Sinha Death: मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार (5 नवंबर) की रात निधन हो गया, जिससे उनके प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। शारदा सिन्हा, जो 72 वर्ष की थीं, पिछले कुछ समय से गंभीर रूप से बीमार थीं और दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा था। उनके पुत्र अंशुमन सिन्हा ने फेसबुक पर इस दुखद समाचार की पुष्टि की।
शारदा सिन्हा की बीमारी
शारदा सिन्हा कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। उनके पति का हाल ही में ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी थी। 2018 में उन्हें मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार का बोन मैरो और ब्लड कैंसर, डायग्नोस हुआ था। हाल ही में उनकी स्थिति और बिगड़ने के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
मल्टीपल मायलोमा: एक खतरनाक बीमारी
मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जो हड्डियों की मज्जा (बोन मैरो) को प्रभावित करता है। इसमें बी सेल्स असामान्य रूप से काम करने लगती हैं, जिससे शरीर में कई जटिल समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
मल्टीपल मायलोमा के लक्षण
कमर या हड्डियों में लगातार दर्द
हड्डियों का कमजोर होना, विशेषकर स्पाइन और हिप्स में
थकान, भूख में कमी, वजन घटना, और मानसिक भ्रम
पाचन समस्याएं जैसे कब्ज और उल्टी
शारदा सिन्हा का योगदान
शारदा सिन्हा को छठ गीतों और अन्य भोजपुरी लोकगीतों के लिए जाना जाता था। उनके गीत छठ महापर्व का हिस्सा बन चुके हैं, और उनका संगीत हर साल इस त्योहार में गूंजता है। उनकी आवाज में "केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव" जैसे गीत छठ पर्व में अमिट छाप छोड़ते हैं।