success story: जमुई के छोटे से गांव बूढ़ीखांड से गूगल तक सफर, पढ़ें पुष्पेंद्र की प्रेरणादायक सफलता कहानी
बूढ़ीखांड गांव से गूगल तक का सफर पुष्पेंद्र के धैर्य, मेहनत और दृढ़ निश्चय का उदाहरण है। उनकी यह सफलता उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।
success story: जमुई जिले का एक छोटा सा गांव बूढ़ीखांड, जो कभी साइबर अपराध के लिए कुख्यात था, आज एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है। गांव के युवक पुष्पेंद्र कुमार अंशु ने गूगल में डाटा साइंटिस्ट की प्रतिष्ठित नौकरी हासिल करके अपने गांव और परिवार का नाम रोशन किया है। आईआईटी खड़गपुर के छात्र पुष्पेंद्र को यह नौकरी कैंपस प्लेसमेंट के दौरान 40 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर मिली। यह उपलब्धि बूढ़ीखांड गांव के लिए एक नई पहचान लेकर आई है।
गांव से विश्व स्तर पर पहचान तक का सफर
बूढ़ीखांड, जो पहले साइबर अपराधियों का अड्डा माना जाता था, अब सफलता की कहानी का प्रतीक बन गया है। पुष्पेंद्र ने गूगल में नौकरी पाकर न केवल अपने परिवार को गर्व महसूस कराया, बल्कि पूरे गांव के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। उनकी इस उपलब्धि ने दिखाया कि सीमित संसाधनों के बावजूद, कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है।
पुष्पेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा और तैयारी
पुष्पेंद्र मूल रूप से जमुई जिले के निवासी हैं, लेकिन उनका परिवार फिलहाल झारखंड के देवघर जिले के जसीडीह में रहता है।शुरुआती पढ़ाई जसीडीह से करने के बाद, 2018 में उन्होंने इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की।इसके बाद उन्होंने आईआईटी जेईई की तैयारी शुरू की और आईआईटी खड़गपुर में दाखिला लिया। गूगल की प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाग लेने के लिए लगभग 2,000 से अधिक छात्रों ने आवेदन किया था।
चयन प्रक्रिया के तीन चरण थे:
असेसमेंट राउंड
इंटरव्यू राउंड
कोडिंग टेस्ट
इन सभी चरणों को सफलतापूर्वक पार करके पुष्पेंद्र उन छह छात्रों में शामिल हुए जिन्हें गूगल में नौकरी का प्रस्ताव मिला। पुष्पेंद्र 2025 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद गूगल में नौकरी ज्वाइन करेंगे। उनके माता-पिता ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होनहार थे और रोजाना 16-18 घंटे पढ़ाई करते थे।
वह तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं
उनकी बहन वाराणसी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। उनका छोटा भाई 12वीं कक्षा में पढ़ रहा है। पुष्पेंद्र की उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को गौरवान्वित किया है, बल्कि पूरे गांव को नई दिशा दी है। यह दिखाता है कि प्रतिभा और मेहनत किसी भी क्षेत्र को सकारात्मक रूप से बदल सकती है। बूढ़ीखांड गांव से गूगल तक का सफर पुष्पेंद्र के धैर्य, मेहनत और दृढ़ निश्चय का उदाहरण है। उनकी यह सफलता उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि यदि प्रयास सच्चे हों, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।