Bihar News : चीफ सेक्रेट्री के गृह जिले में ‘’हेल्थ सिस्टम’ की ऐसी तैसी, सदर अस्पताल में घंटों गुल रही बिजली, मोबाइल की रौशनी में मरीजों का करना पड़ा इलाज

Bihar News : बिहार सरकार के चीफ सेक्रेटरी के गृह जिले में सदर अस्पताल का बुरा हाल है.यहाँ अँधेरे में मोबाइल की रौशनी ने इलाज किया गया......पढ़िए आगे

सदर अस्पताल में अँधेरा - फोटो : SOCIAL MEDIA

GOPALGANJ : बिहार में स्वास्थ्य विभाग का गजब हाल है। कागजों में मॉडल अस्पताल है, लेकिन हकीकत में अंधेरे में मरीजों का इलाज चल रहा है। जहां अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के दावे किए जाते हैं, वहीं मरीजों का इलाज मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में किया जा रहा है। तस्वीरें गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल से हैं, जहां एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर लापरवाही सामने आई है। दरअसल, गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में अचानक बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। करीब एक घंटे तक पूरा इमरजेंसी वार्ड अंधेरे में डूबा रहा। हालात ऐसे बन गए कि डॉक्टरों को मोबाइल का टॉर्च जलाकर मरीजों का इलाज करना पड़ा नर्सिंग स्टाफ हाथ में टॉर्च लेकर काम करता नजर आया। मरीज और उनके परिजन दहशत में दिखे। 

इमरजेंसी वार्ड जैसे संवेदनशील स्थान पर अगर बिजली नहीं रहे, तो मरीज की जान पर सीधा खतरा बन जाता है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि बिजली गुल होने के बाद भी जेनरेटर से वैकल्पिक बिजली आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी। पूरा सिस्टम फेल नजर आया। इस पूरी घटना का वीडियो किसी ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया और फिर देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि डॉक्टर टॉर्च की रोशनी में मरीज देख रहे हैं। अंधेरे में इलाज जैसी स्थिति पर लोग सवाल उठा रहे हैं सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं। “अगर यही मॉडल अस्पताल है, तो आम अस्पतालों का क्या हाल होगा?” सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गोपालगंज जिला

बिहार सरकार के मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत का गृह जिला है। इसके बावजूद मॉडल सदर अस्पताल में बिजली जैसी बुनियादी सुविधा तक दुरुस्त नहीं मरीजों को अंधेरे में इलाज झेलना पड़ रहा है। यह सवाल खड़ा करता है - क्या सिस्टम सिर्फ फाइलों में ही मॉडल है? वहीं, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मॉडल सदर अस्पताल के जिस नए भवन में इलाज चल रहा है, उसका निर्माण करने वाली कंपनी ने अबतक पूरा काम खत्म नहीं किया है। इसी वजह से - भवन को कागजी प्रक्रिया में अबतक हैंडओवर नहीं लिया गया। तकनीकी और बिजली व्यवस्था पूरी तरह चालू नहीं हो पाई लेकिन सवाल यह है कि जब भवन हैंडओवर नहीं हुआ, तो वहां मरीजों का इलाज क्यों किया जा रहा है? 

कुल मिलाकर, गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल की यह तस्वीर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। जहां योजनाएं कागजों में मॉडल हैं। लेकिन जमीनी हकीकत में अंधेरा पसरा हुआ है अब देखना यह होगा कि इस वायरल वीडियो और बढ़ते सवालों के बाद प्रशासन कब जागता है और कब मरीजों को रोशनी में इलाज नसीब हो पाता है।

नमो नारायण की रिपोर्ट