Bihar School News: सांपों का आतंक, जहरीले गेहूंवन ने बनाया क्लासरूम को अड्डा, बच्चों में दहशत का माहौल
Bihar School News: दो दिनों में यहां से एक दर्जन जहरीले गेहूंवन सांप निकाले जा चुके हैं। ये वही सांप हैं, जिनके डसने के बाद बचना लगभग असंभव माना जाता है।
Bihar School News:कभी बच्चों की मासूम पढ़ाई और पाठ की गूंज सुनाई देती थी, वहां अब ज़हरीले सांपों की सरसराहट कानों में डर की लकीर खींच रही है।बिहार के कटिहार ज़िले के बारसोई प्रखंड के लगुवा-दासग्राम पंचायत स्थित इस्लामिया मदरसा लगुवा इन दिनों डर और दहशत का पर्याय बन गया है।
पिछले दो दिनों में यहां से एक दर्जन जहरीले गेहूंवन सांप निकाले जा चुके हैं। ये वही सांप हैं, जिनके डसने के बाद बचना लगभग असंभव माना जाता है। बुधवार से शुरू हुआ यह सिलसिला गुरुवार तक जारी रहा, जब एक और गेहूंवन सांप सीधे क्लासरूम के बीचों-बीच दिखाई दे गया। नज़ारा ऐसा था कि शिक्षक और छात्र दोनों के रौंगटे खड़े हो गए।
मदरसे के हेड मौलवी मोहम्मद अयूब बताते हैं कि हालात इतने भयावह हो गए हैं कि पश्चिम बंगाल से सपेरों को बुलाकर सांपों को बाहर निकाला गया। मगर, इन जहरीले मेहमानों का आना बंद नहीं हुआ। डर के मारे बच्चे अब मदरसा आने से कतरा रहे हैं, और जो कभी क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से महकता था, वह आंगन अब सुनसान पड़ा है।
अभिभावक अब्दुर रज्ज़ाक, अंजार आलम, अब्दुल ख़ालिक, जलील, नजमुल हक, अब्दुल मन्नान, अख़्तर, नौशाद आलम, रुस्तम आदि का कहना है कि इस भयावह स्थिति के पीछे मदरसे की बदहाली भी बड़ी वजह है। क्लासरूम की दीवारें टूटी-फूटी हैं, फर्श जर्जर हो चुका है और पूरब दिशा में बना कमरा सांपों के लिए मानो सुरक्षित बिल बन गया है।
लोगों की मांग है कि शिक्षा विभाग तत्काल मदरसे की साफ-सफाई कराए और भवन की मरम्मत में कोई देरी न करे। वरना, यह पवित्र शिक्षालय बच्चों की ज़िंदगी के लिए खतरा बन सकता है।
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मुमताज़ अहमद ने हालात की गंभीरता को देखते हुए तत्काल मदरसे में एक सप्ताह के लिए पढ़ाई स्थगित करने का आदेश दिया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि साफ-सफाई और मरम्मत के बाद ही यहां कक्षाएं दोबारा शुरू होंगी।
इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। जहां एक तरफ़ लोग इसे लापरवाही का नतीजा बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बच्चों के चेहरे पर छाई दहशत माता-पिता के दिल में चुभ रही है। यह वाक़या साफ़ करता है कि शिक्षा के मंदिरों को सुरक्षित और स्वच्छ रखना केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का भी हिस्सा है।