BIHAR SCHOOL NEWS - बिना बिजली के चल रहे स्कूल में समरसेबल लगाने पर प्रभारी हेडमास्टर ने खोल दी शिक्षा विभाग की पोल, बताया कैसे किया जा रहा पैसों का बंदरबांट

BIHAR SCHOOL NEWS - बिना बिजली कनेक्शन के चल रहे स्कूल में पानी के लिए समरसेबल लगाए जाने को लेकर अब प्रभारी एचएम ने सवाल उठाए है। उन्होंने सीधे सीधे योजना में पैसों के बंदरबांट का आरोप लगाया है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है।

BIHAR SCHOOL NEWS - बिना बिजली के चल रहे स्कूल में समरसेबल लगाने पर प्रभारी हेडमास्टर ने खोल दी शिक्षा विभाग की पोल, बताया कैसे किया जा रहा पैसों का बंदरबांट
स्कूल में समरसेबल लगाने पर गहराया विवाद- फोटो : मणि भूषण शर्मा

MUZAFFARPUR - बिहार में शिक्षा विभाग एक तरफ शिक्षा विभाग को हाईटेक करने के लिए लगातार कई तरह की योजना पर काम कर रहा है। लेकिन क्या यह योजनाएं सही जगह और धरातल पर सही से उत्तर पा रही है। यह सबसे बड़ा सवाल है। क्योंकि अब जो शिक्षा विभाग का नया मामला सामने आया है उसको लेकर अब सरकारी स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक ने ही कैमरे के सामने कहा है कि सरकारी योजना के नाम पर पैसे की बंदरबाट हुई है हालांकि मामले को लेकर औराई के प्रखंड विकास पदाधिकारी विनीत कुमार ने जांच की बात कही है 

बता दें कि बीते दिनों शिक्षा विभाग के द्वारा तमाम विद्यालयों में बच्चों के पीने के पानी की व्यवस्था की गई थी जिसके लिए प्रत्येक स्कूल में समरसेबल लगाया जाना था और लगाया भी गया लेकिन कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां आज तक बिजली नहीं पहुंची। जिसमें मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय हरनी टोला जहां कुछ दिनों पूर्व स्कूल के द्वारा बिजली के कनेक्शन के लिए आवेदन तो दिया गया था लेकिन अभी तक वहां पर बिजली का कनेक्शन नहीं पहुंच पाया है। लेकिन उस स्कूल में समरसेबल जरूर लगा दिया गया। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जहां पर बिजली की ही व्यवस्था नहीं थी। उस जगह पर समरसेबल लगाने का स्वीकृति आखिर अधिकारियों के द्वारा किस तरह से दिया गया।

प्रभारी एचएम ने अधिकारियों पर उठाए सवाल

अब तो सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि उस स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक रिजवाना खातून ने भी सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं और उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि इस सरकारी योजना में पैसे की बंदरवाट कहीं ना कहीं हुई है।

वहीं पूरे मामले को लेकर औराई प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी विनीत कुमार ने कहा है कि वरीय अधिकारियों के आदेश के आलोक में पूरे मामले की जांच की जा रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर समरसेबल लगाने से पहले इसकी स्वीकृति किसने प्रदान की और अगर बिजली नहीं थी तो फिर वहां पर समरसेबल क्यों लगाया गया उस पैसे का उपयोग उसी स्कूल के जर्जर भवन का जीर्णोद्वार में क्यों नहीं लगाया गया

रिपोर्टर/मणि भूषण शर्मा


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