Bihar Politics: उजाड़ की सियासत या इंसाफ की हुकूमत? नालंदा में पप्पू यादव का सरकार पर संगीन वार

भीगे चेहरों और टूटी छतों के बीच उन्होंने सरकार पर ऐसे सवाल दागे, जिसने पूरे माहौल को और तपता हुआ बना दिया। पप्पू यादव ने तल्ख़ लहज़े में कहा कि यह सरकार जनता की हक़परस्ती नहीं बल्कि उजाड़ की नीति पर चल रही है।...

पप्पू यादव का सरकार पर संगीन वार- फोटो : reporter

Bihar Politics: नालंदा के रहुई प्रखंड के शिवनंदन नगर में हाई कोर्ट के आदेश पर चले बुलडोज़र के बाद सियासी पारा तेज़ है। मंगलवार को सांसद पप्पू यादव जब पीड़ित दलित-पिछड़ा परिवारों से मिलने पहुंचे, तो उनका दर्द और उनका गुस्सा दोनों साफ़ झलक रहा था। भीगे चेहरों और टूटी छतों के बीच उन्होंने सरकार पर ऐसे सवाल दागे, जिसने पूरे माहौल को और तपता हुआ बना दिया। पप्पू यादव ने तल्ख़ लहज़े में कहा कि यह सरकार जनता की हक़परस्ती नहीं बल्कि उजाड़ की नीति पर चल रही है।

पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि गरीब, दलित, महादलित और अत्यंत पिछड़ा समुदाय वर्षों से जिस ज़मीन पर अपनी चार-पाँच पीढ़ियों से रह रहा था, उसी पर अचानक अतिक्रमण का ठप्पा लगाकर रातों-रात घर गिरा दिए गए। “इसी ज़मीन पर सरकार ने सड़क बनाई, बिजली दी, इंदिरा आवास दिया… अगर यह ज़मीन ग़लत थी तो सरकार ने पैसे क्यों लगाए? और अगर सही थी तो फिर केवल गरीबों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?”यह सवाल उन्होंने पूरे तेवर के साथ उठाया।

सांसद ने कहा कि बिना विधिक प्रक्रिया के घर उजाड़ना ‘कानून के राज’ का नहीं, बल्कि ‘ताक़त के राज’ का नमूना है। उन्होंने पूछा, “सरकार जनता के लिए है या जनता सरकार के लिए?” आगे कहा कि लोकतंत्र और संविधान की असली रूह को कमज़ोर किया जा रहा है।

SC-ST एक्ट को लेकर कुछ संतों के बयानों और आरक्षण समाप्त करने की चर्चाओं पर भी पप्पू यादव ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने साफ़ कहा कि यह सब दलित-पिछड़ा समाज को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश है। “दुरुपयोग दलित नहीं करते, इसका गलत फायदा गांव के दबंग उठाते हैं,” उन्होंने आरोप लगाया।

पुनर्वास के नाम पर नदी किनारे की विवादित ज़मीन का प्रस्ताव भी उन्होंने अव्यावहारिक बताते हुए सरकार पर ‘दोहरा रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि गैर-मजरूआ ज़मीन पर बड़े माफिया होटल और पक्के मकान खड़े किए हुए हैं, पर बुलडोज़र केवल गरीबों की झोपड़ी पर ही चलता है।

पप्पू ने स्पष्ट मांग रखी सभी उजाड़े गए परिवारों को सम्मानजनक पुनर्वास, एक बीघा ज़मीन और उचित मुआवज़ा तुरंत दिया जाए। पहले इंसाफ़ दीजिए, फिर विकास की बात कीजिए उनका यह अंतिम वाक्य पूरे माहौल में गूंजता रहा।

रिपोर्ट- राज पाण्डेय