Bihar News: कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद गिरियक सीओ पर दाखिल-खारिज करने का आरोप, पीड़ित ने डीएम से लगाई गुहार
Bihar News: आवेदन में कहा है कि अंचलाधिकारी ने न्यायालय में मामला लंबित रहने के बावजूद जबरन दाखिल-खारिज की कार्रवाई की, जो कि बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम के विरुद्ध है।
Bihar News:नालंदा जिले के गिरियक प्रखंड में जमीन विवाद से जुड़ा मामला इन दिनों चर्चा में है। चोरसुआ निवासी भारतेंदु कुशवाहा की पत्नी प्रतिभा रानी और विजय महतो के पुत्र रंजन राज ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर गिरियक अंचलाधिकारी (सीओ) पर गंभीर आरोप लगाया है।
दोनों ने अपने आवेदन में कहा है कि अंचलाधिकारी ने न्यायालय में मामला लंबित रहने के बावजूद जबरन दाखिल-खारिज की कार्रवाई की, जो कि बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम के विरुद्ध है।
पीड़ित पक्ष का कहना है कि उन्होंने स्वर्गीय भगवान दास की पत्नी पतिया देवी से एक जमीन खरीदने के लिए विधिवत एग्रीमेंट (समझौता पत्र) किया था। उस समय पतिया देवी के पुत्र ने भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन एग्रीमेंट के बावजूद, पतिया देवी ने उसी जमीन को किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर बेच दिया, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इसके बाद पीड़ित पक्ष ने न्याय की मांग करते हुए संबंधित जमीन को लेकर सिविल कोर्ट में टाइटल सूट दायर किया। यह मामला फिलहाल विचाराधीन है।आवेदकों का आरोप है कि अदालत में मुकदमा लंबित रहने के बावजूद गिरियक अंचलाधिकारी सन्नी कुमार ने दूसरे पक्ष के पक्ष में दाखिल-खारिज की स्वीकृति दे दी। उनका कहना है कि जब तक न्यायालय का अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक किसी भी भूमि पर प्रशासनिक स्तर पर दाखिल-खारिज की प्रक्रिया अवैध मानी जाती है।
पीड़ितों ने इस कार्रवाई को कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए जिलाधिकारी से मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
वहीं इस मामले पर अंचलाधिकारी सन्नी कुमार ने कहा,“इस संबंध में अब तक कोई औपचारिक आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। आवेदन मिलने पर विधि-सम्मत कार्रवाई की जाएगी।”
स्थानीय स्तर पर इस घटना ने एक बार फिर प्रशासनिक पारदर्शिता और भूमि विवादों में सरकारी अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के मामलों में अगर जांच निष्पक्ष रूप से नहीं हुई, तो भूमि विवादों में और भी जटिलता बढ़ सकती है।
रिपोर्ट- राज पाण्डेय