Bihar News : नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के प्रथम संस्करण का हुआ शुभारंभ, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया उद्घाटन
Bihar News : नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के प्रथम संस्करण का शुभारंभ हुआ. जिसका उद्घाटन बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया.......पढ़िए आगे
NALANDA : ऐतिहासिक ज्ञाननगरी राजगीर एक बार फिर वैश्विक बौद्धिक विमर्श की साक्षी बनी। रविवार को स्थानीय अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के प्रथम संस्करण का भव्य शुभारंभ हुआ। उद्घाटन दिवस पर साहित्य, संस्कृति और विचारों का ऐसा अनुपम संगम देखने को मिला, जिसने प्राचीन नालंदा की ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भों में नई चेतना प्रदान की। देशभर से पधारे विद्वान, लेखक, शिक्षाविद, कलाकार और साहित्य प्रेमी इस ऐतिहासिक आयोजन के साक्षी बने। उद्घाटन समारोह में बौद्धिक गरिमा, सांस्कृतिक वैभव और वैचारिक संवाद की सशक्त झलक देखने को मिली।महोत्सव का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान, सांसद एवं प्रख्यात लेखक डॉ. शशि थरूर तथा पद्म विभूषण से सम्मानित सांस्कृतिक विभूति डॉ. सोनल मानसिंह ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर भारत सरकार के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव चंचल कुमार, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सचिन चतुर्वेदी तथा नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह भी उपस्थित रहे। महोत्सव के संस्थापक एवं संयोजक गंगा कुमार ने सभी अतिथियों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह न केवल आयोजन की भव्य शुरुआत का प्रतीक बना, बल्कि नालंदा की वैश्विक बौद्धिक पहचान को भी सशक्त रूप से रेखांकित करता नजर आया। औपचारिक स्वागत भाषण में डी. आलिया ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का अभिनंदन करते हुए साहित्य और संस्कृति के माध्यम से सार्थक संवाद स्थापित करने के महोत्सव के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
सत्य के निकट ले जाता है साहित्य-राज्यपाल
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि “साहित्य हमें परम सत्य के और निकट ले जाता है, यही इसका वास्तविक उद्देश्य है। नालंदा जैसी ज्ञानभूमि पर इस साहित्यिक महोत्सव का आयोजन अत्यंत अर्थपूर्ण है।” उन्होंने विविधता के सम्मान पर बल देते हुए कहा कि विविधताओं को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन वहीं ठहरना नहीं चाहिए। उन्होंने रोम, मिस्र और यूनान के उदाहरण देते हुए कहा कि वे अपनी सभ्यता की निरंतरता बनाए रखने में असफल रहे, जबकि भारत की सभ्यता ज्ञान परंपरा के कारण निरंतर गहराती चली गई। राज्यपाल ने कहा कि भारतीयों का अपने देश से प्रेम ही हमारी सभ्यता को जीवंत बनाए रखने का सबसे बड़ा कारण है। “चिर पुरातन, नित नूतन” तभी संभव है जब ज्ञान की परंपरा सतत बहती रहे। उन्होंने अपरा विद्या और परा विद्या का उल्लेख करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा की गहराई को रेखांकित किया।
भाषाई विविधता और विचारों का उत्सव है नालंदा – डॉ. शशि थरूर
अपने ओजस्वी संबोधन में डॉ. शशि थरूर ने नालंदा की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भूमि सदियों से ज्ञान और साहित्य का वैश्विक केंद्र रही है। उन्होंने कहा कि नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल भाषाई विविधता का उत्सव है, जहां मैथिली, बज्जिका, अंगिका, मलयालम सहित अनेक भाषाओं को सम्मानजनक मंच मिला है। उन्होंने कहा, “साहित्य मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक गहरा व्यक्तिगत और बौद्धिक संवाद है। यहां विचारों का आदान-प्रदान होता है, केवल उपभोग नहीं, और यही नालंदा की विरासत को आगे बढ़ाता है।”
साहित्य मन को खोलता है, नए दृष्टिकोण देता है – डॉ. सोनल मानसिंह
पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. सोनल मानसिंह ने साहित्य और संस्कृति के अंतर्संबंध पर कहा कि जब साहित्य जीवंत होता है, तो हर दिशा से नए विचार जन्म लेते हैं। “साहित्य मन को खोलता है, संवेदना को जागृत करता है और नए दृष्टिकोण के लिए स्थान बनाता है। नालंदा ज्ञान की भूमि है और हमारा साहित्य सभी नौ रसों की समृद्ध अभिव्यक्ति होना चाहिए।” उन्होंने महोत्सव की सफल शुरुआत की सराहना करते हुए इसके अनेक सफल संस्करणों की कामना की।
साहित्य को आधुनिक विज्ञान के रूप में स्थापित करने का प्रयास – गंगा कुमार
महोत्सव की थीम प्रस्तुत करते हुए गंगा कुमार ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य साहित्य को एक आधुनिक विज्ञान के रूप में प्रस्तुत करना है, जो निरंतर विकसित होता है, प्रश्न करता है और ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करता है। उन्होंने बताया कि आगामी चार दिनों तक विविध साहित्यिक सत्र, पैनल चर्चाएं, लेखक संवाद, कविता पाठ, पुस्तक विमोचन और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। समकालीन एवं शास्त्रीय साहित्य, भाषा, संस्कृति, इतिहास और समाज से जुड़े विषयों पर गहन विमर्श होगा। यह महोत्सव नालंदा की समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत करते हुए साहित्य प्रेमियों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगा।
राज की रिपोर्ट