Bihar News: महिलाओं ने बंगाल के तर्ज पर खेला सिंदूर खेला, युवकों ने कंधे पर बिठाकर माता को दी विदाई
Bihar News: नवरात्र और विजयदशमी के उपरांत जहां पूरे देश में दशमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है, वहीं नालंदा जिले के कई हिस्सों में यह परंपरा कुछ अलग है।
Bihar News: नवरात्र और विजयदशमी के उपरांत जहां पूरे देश में दशमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है, वहीं नालंदा जिले के कई हिस्सों में यह परंपरा कुछ अलग है। यहां परंपरागत रूप से प्रतिमा का विसर्जन अगले दिन एकादशी या फिर पूर्णिमा को धूमधाम के साथ किया जाता है।
इसी परंपरा के अनुसार अलीनगर मोहल्ला में शुक्रवार को प्रतिमा विसर्जन का आयोजन पूरी आस्था और भक्ति भाव से संपन्न हुआ। बंगाल की तर्ज पर यहां की महिलाएं सिंदूर खेला और खोईच्छा भरने की परंपरा निभाती हैं। इस अवसर पर महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करते हुए एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाया और अपने परिवार की सुख-समृद्धि एवं मंगलमय जीवन की कामना की। माहौल रंगों और भक्ति भाव से सराबोर हो उठा।
वहीं मोहल्ले के युवकों ने परंपरा के अनुरूप माता दुर्गा की प्रतिमा को अपने कंधों पर उठाकर पूरे मोहल्ले का भ्रमण कराया। मां की विदाई के क्षणों में श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं, लेकिन पूरा वातावरण जयकारों और ढोल-नगाड़ों की गूंज से भक्तिमय बना रहा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु और भक्तगण इस शोभायात्रा एवं विसर्जन यात्रा में शामिल हुए।
इसी तरह सोहसराय, भैंसासुर और बड़ी दरगाह रोड में भी प्रतिमा विसर्जन बड़े धूमधाम से किया गया। विसर्जन यात्रा के दौरान भक्तों ने मां दुर्गा के भजनों और चौकड़ी नृत्य पर जमकर उत्सव मनाया। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस-प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए गए थे।
यहां की यह अनूठी परंपरा केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी नहीं है, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सामूहिक उल्लास का प्रतीक भी है। विजयदशमी के बाद एकादशी अथवा पूर्णिमा को होने वाला यह प्रतिमा विसर्जन नालंदा की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक विविधता का अनूठा उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग और हर उम्र के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
रिपोर्ट- राज पाण्डेय