Bihar News: आज आँखें नम और दिल भारी है...बड़े भाई किंग महेंद्र की चौथी पुण्यतिथि भावुक हुए भोला बाबू, दी श्रद्धांजलि

Bihar News: आज हमारे बड़े भाई साहब डॉ. महेन्द्र प्रसाद जी (किंग महेन्द्र), पूर्व सांसद की चतुर्थ पुण्यतिथि है। आज आँखें नम है, दिल भारी है। भैया सिर्फ एक नाम ही नहीं थे वो एक एहसास भी थे। साया की तरह परिवार के हर सदस्य के सिर पर हमेशा मजबूती से खड़े

भोला बाबू ने दी श्रद्धांजलि - फोटो : News4nation

Bihar News:  बिहार के 'किंग' महेंद्र प्रसाद की आज चतुर्थ पुण्यतिथि है। 27 दिसंबर 2021 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मौत की शय्या पर लेटने से पहले वह लंबे समय तक बीमार रहे। महेंद्र प्रसाद एक गरीब किसान के बेटे थे उनका पूरा बचपन गरीबी में बीता लेकिन जब उन्होंने दुनिया से विदा लिया तब वो करीब 4 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक थे। उनकी चौथी पुण्यतिथि पर उनके भाई उमेश शर्मा उर्फ भोला बाबू ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने अपने बड़े भाई को याद कर नम्र आंखों से उनको याद किया है। 

भोला बाबू ने भाई को किया याद

भोला बाबू ने लिखा कि, आज हमारे बड़े भाई साहब डॉ. महेन्द्र प्रसाद जी (किंग महेन्द्र), पूर्व सांसद की चतुर्थ पुण्यतिथि है। आज आँखें नम है, दिल भारी है। भैया सिर्फ एक नाम ही नहीं थे वो एक एहसास भी थे। साया की तरह परिवार के हर सदस्य के सिर पर हमेशा मजबूती से खड़े रहते थे। ऐसे लोग कभी जाते नहीं हैं, उनकी मौजूदगी हर समय महसूस होती है। वे व्यवहार के इतने धनी थे जो बिना कुछ कहे ही सब समझ लेते थे। उनके सख्ती के पीछे भी अपनापन छुपा रहता था। परिवार के लिए वो सिर्फ मार्गदर्शक ही नहीं थे बल्कि हौसला, भरोसा और हमलोगों के आत्मबल थे। जब भी जिंदगी में कोई उलझन आती है तो लगता है कि बस एक बार उनसे बात हो जाए, सब वैसे ही आसान हो जाएगा।

नम आंखों से दी श्रद्धांजलि 

भोला बाबू ने आगे कहा कि, आज उनकी पुण्यतिथि पर दिल कहता है कि काश वो हमारे बीच होते। हमारी छोटी-छोटी खुशियों में साथ होते वैसे ही मुस्कुराते, डॉटते, समझाते, प्यार से गले लगाते और सब संभाल लेते। उनकी सीख, उनके दिए हुए संस्कार आज भी हमारे फैसलों में शामिल होते हैं। उन्होने रिश्तों की अहमियत सिखाई, जिम्मेदारी निभाना सिखाया और यह भी सिखाया कि परिवार बड़ा होता है इससे बड़ा कुछ नहीं होता है। उनके जाने के बाद जो खालीपन है वो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता लेकिन उनकी यादों ने उस खालीपन को कभी महसूस नहीं होने दिया। आप जहाँ भी हों हमें वैसे ही देख रहें हैं जैसे आप हमें आशीर्वाद दिया करते थे। हमारी सदा कोशिश रहेगी कि आपकी दी हुई सीख एवं आपकी बताये हुए राहों पर हम हमेशा चलते रहें। आज पूरे परिवार के तरफ से हमारी दुआ है कि आपकी आत्मा को चिर शांति मिले। आप हमारे दिल में हमेशा थें है और हमेशा रहेंगें। भावभीनी श्रद्धांजलि, सादर नमन।

महेंद्र प्रसाद की चौथी पुण्यतिथि आज

मालूम हो कि, आज नम आंखों से उनकी चौथी पूण्यतिथि मनाई जा रही है। महेंद्र प्रसाद को उनके परिजन सहित तमाम दल के नेता श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अब महेंद्र प्रसाद की जीवन यात्रा पर नजर डालते हैं। महेंद्र प्रसाद का जन्म 8 जनवरी 1940 में बिहार के जहानाबाद जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर गोविंदपुर गांव में एक भूमिहार परिवार में हुआ था। उनके पिता वासुदेव सिंह साधारण किसान थे। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने महेंद्र को पटना कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक (BA) की पढ़ाई करवाई। स्नातक के बाद नौकरी नहीं मिलने पर वे गांव लौट आए और बेरोजगारी से जूझते रहे। 1964 में हुई एक घटना ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।

कैसे बने बिहार के 'किंग' 

गरीबी और बेरोजगारी से जुझते हुए महेंद्र प्रसाद ने 1964 में अपने गांव को छोड़ दिया और मुंबई चले गए। यहीं से उनके जीवन की नई पारी शुरु हुई।  मुंबई में उन्होंने दवा उद्योग में कदम रखा। शुरुआत में वे एक छोटी दवा कंपनी में साझेदार बने और बाद में 1971 में मात्र 31 वर्ष की उम्र में अपनी खुद की कंपनी अरिस्टो फार्मा की स्थापना की। समय के साथ वे देश के बड़े फार्माउद्योगपतियों में शामिल हो गए। करीब 16 साल बाद, 1980 में वे जहानाबाद लौटे। दरअसल, 1980 में लोकसभा चुनाव के दौरान वो कांग्रेस के उम्मीदवार बनकर अपने गांव लौटे तब पहली बार जहानाबाद के लोगों ने चुनाव में एक साथ इतनी गाड़ियां और प्रचारकों को देखा था। कहा जाता है कि गाड़ियों की चमक और पैसों की खनक ने लोगों के मन में उनकी छवि किंग वाली बना दी और वो तब से किंग के रुप में जाने जाने लगे। हालांकि उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 

कभी नहीं हारे राज्यसभा चुनाव 

लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी राजीव गांधी के करीबी होने के कारण वे कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे। इसके बाद वे लगातार राज्यसभा सदस्य रहे। 2021 में उनका सातवां कार्यकाल था। समय-समय पर उन्होंने पार्टी बदली, लेकिन हर बार राज्यसभा पहुंचने में सफल रहे। कभी लालू प्रसाद यादव तो कभी नीतीश कुमार के समर्थन से वे संसद पहुंचे। 2005 में नीतीश कुमार के कहने पर उन्होंने जदयू की सदस्यता ली। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, महेंद्र प्रसाद को कभी पद की लालसा नहीं रही। वे राज्यसभा सदस्य के रूप में मिलने वाली भूमिका, प्रभाव और सुविधाओं से संतुष्ट रहते थे और व्यवसाय व राजनीति के बीच संतुलन बनाए रखना जानते थे।

गांव के लोगों, छात्रों और लड़कियों के लिए बने 

महेंद्र प्रसाद ने अपने गांव के लोगों के लिए कई प्रमुख कामों को किया। स्थानीय लोगों की मांग पर उन्होंने जहानाबाद के ओकरी में एक कॉलेज की स्थापना की, जिससे गरीब और वंचित तबके के छात्रों, विशेषकर लड़कियों को उच्च शिक्षा का अवसर मिला। उनके परोपकारी कार्यों के कारण वे युवाओं के बीच एक अलग पहचान बना सके। शिक्षा और समाजसेवा में उन्होंने अहम योगदान दिया। 1985 में पंजाब में एक कार विस्फोट में वो बाल बाल बचे थे। महेंद्र प्रसाद अरिस्टो फार्मा के मालिक थे। इसका कॉपोरेट मुख्यालय मुंबई में है। उनकी कंपनियों का नेटवर्क वियतनाम, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश समेत यूरेशिया और अफ्रीका के कई देशों तक फैला हुआ है। इसके अलावा माप्रा लेबोरेटरीज और इंडेमी हेल्थ स्पेशलिटीज जैसी कंपनियां भी उनके स्वामित्व में थीं। भारत में हैदराबाद से लेकर दमन और सिक्किम तक उनकी कई फैक्ट्रियां संचालित होती हैं।