Bihar Nepal border: छह माह में सीमावर्ती क्षेत्रों से 100 से ज्यादा लड़कियां लापता, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, अंतरराष्ट्रीय तस्करी गिरोह पर गंभीर आरोप

Bihar Nepal border:उत्तर बिहार के सीमावर्ती इलाकों से छह माह में 100 से अधिक लड़कियों के लापता होने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मानवाधिकार अधिवक्ता ने CJI को पत्र भेजकर अंतरराष्ट्रीय तस्करी गिरोह की जांच की मांग की है।

बिहार का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट - फोटो : social media

Bihar Nepal border: उत्तर बिहार के भारत-नेपाल सीमावर्ती इलाकों में हाल के छह महीनों में 100 से अधिक लड़कियों के लापता होने की घटनाओं ने स्थानीय जीवन असुरक्षित कर दिया है। इस गम्भीर समस्या को मानवाधिकार वकील एस.के. झा ने सीधे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में पहुंचाया है और तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए विस्तृत शिकायत अदालत को भेज दी है। शिकायत की नक़लें पटना हाई कोर्ट, राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग को भी भेज दी गई हैं ताकि मामले पर बहुस्तरीय निगरानी हो सके।

एस.के. झा ने अपनी याचिका में बताया है कि मोतिहारी और नजदीकी सीमावर्ती गाँवों से लगातार लड़कियों के गायब होने के पीछे संगठित तथा अंतरराष्ट्रीय तस्करी गिरोहों का हाथ है। उनका कहना है कि यह नेटवर्क केवल स्थानीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन रखता है और पीड़ितों की तस्करी नेपाल, चीन, ब्राजील तथा सऊदी अरब जैसे देशों तक हो रही है। इन आरोपों ने सीमा के पास बसे परिवारों में भय और असहायता की भावना जगा दी है; माता-पिता अब बेटियों को घर के बाहर भेजने से डर रहे हैं और समाज में आशंका व गुस्सा बढ़ रहा है।

पुलिस और प्रशासन पर भी सवाल उठाए 

शिकायत में पुलिस और प्रशासन पर भी सवाल उठाए गए हैं। वकील का कहना है कि जमीनी स्तर पर कार्रवाई में सुस्ती और सुचारु समन्वय की कमी ने तस्करों को हौसला दिया है। एस.के. झा ने उच्च स्तरीय, स्वतंत्र और त्वरित जांच का आग्रह किया है ताकि तस्करी के नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सके और पीड़ितों को बचाया जा सके। साथ ही उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों से सीमापार सहयोग, ट्रांसनेशनल इन्वेस्टिगेशन तथा पीड़ित-केंद्रित रेस्पॉन्स सिस्टम स्थापित करने की जरूरत पर ज़ोर दिया है।

प्रभावी कदमों की मांग 

स्थानीय लोग भी अब तेज और प्रभावी कदमों की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि न सिर्फ अपराधियों को पकड़ा जाए बल्कि सुरक्षा बढ़ाने के लिए सीमावर्ती इलाकों में निगरानी, चौकसी और सामाजिक जागरूकता अभियान तेज किए जाएं। महिला आयोगों और न्यायालय से उम्मीद की जा रही है कि वे मामले को प्राथमिकता देंगे और पीड़ित परिवारों को मानवीय व कानूनी सहायता मुहैया कराएंगे।

एस.के. झा की चेतावनी

एस.के. झा ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते रोकथाम और काउंटर-इंटेलिजेंस कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के बाद अब यह देखना होगा कि केन्द्र सरकार, राज्य प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर किन ठोस कदमों को लागू करती हैं और कितनी जल्द पीड़ित लड़कियों की सुरक्षा व पुनर्वास सुनिश्चित किया जाता है।