अनुसन्धान और अनुशासन बना आधार बिहार पुलिस ने रच दिया इतिहास 6 माह में 64 हज़ार दोषी करार
बिहार पुलिस अब सिर्फ अपराधियों को पकड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाकर सजा दिलाने में भी बेहद सक्रीय है. 64 हजार से ज्यादा सजा शराबबंदी कानून से जुड़े मामलों में दिलवाई गई.यह संख्या कुल मामलों में 89% है.
N4N डेस्क: बिहार पुलिस के मुखिया यानि पुलिस महानिदेशक विनय कुमारजो अनुसन्धान और अनुशासन को पुलिसिंग की रीढ़ मानते है. इसका असर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. बिहार पुलिस अब महज अपराधियों गिरफ्तार करने तक ही सीमित न रहते हुए उन्हें कोर्ट में दोषी ठहराकर सजा दिलाने में भी देशभर में मिसाल कायम कर दिया है. इस बाबत डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि हत्या, आर्म्स एक्ट और अन्य गंभीर मामलों में गवाहों की समय पर पेशी सुनिश्चित की गई. इसके लिए ऑनलाइन माध्यम का भी उपयोग हुआ। पुलिस मुख्यालय मामलों की सख्त मॉनिटरिंग कर रहा है ताकि गवाहों की 100 प्रतिशत उपस्थिति हो और केस लंबा न चले.
जनवरी से जून 2025 के बीच 64,098 आरोपियों को सजा दिलाई गई. इनमें 3 को मौत की सजा, 601 को उम्रकैद और 307 को 10 साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई.सबसे खास बात यह है कि सिर्फ 6 महीने में 56,897 आरोपियों को शराबबंदी कानून में जेल भेजा गया.
सूबे में हत्या के मामलों में 611 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। इनमें मधुबनी के 2 और कटिहार के 1 आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई. उम्रकैद पाने वालों में पटना सबसे आगे रहा, जहां 35 लोगों पर दोष सिद्ध हुआ. इसके बाद छपरा में 34, मधेपुरा में 33, शेखपुरा में 32 और बेगूसराय में 31 लोगों को उम्रकैद की सजा हुई.
डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि पुलिस विभाग उन लोगों पर भी कार्रवाई कर रहा है, जो गवाही के वक्त कोर्ट पहुंचने में देरी करते हैं या तारीख पर नहीं पहुंचते. ऐसे लापरवाह इंवेस्टिगेशन ऑफिसर, थाना प्रभारी, गवाह और डॉक्टर जो बहाने बनाकर सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर नहीं होते, उन पर भी सख्त कार्रवाई की जा रही है. यही वो कारण हैं जिनसे सजाओं की रफ्तार तेज हुई है.
नतीजतन 10 साल से ज्यादा की सजा पाने वालों में भोजपुर सबसे ऊपर, आर्म्स एक्ट: 231 आरोपी, रेप मामले: 122 आरोपी, मादक पदार्थ तस्करी: 284 आरोपी, पॉक्सो एक्ट: 154 आरोपी, एससी-एसटी एक्ट: 151 आरोपी.
बिहार पुलिस की ओर से 64 हजार से ज्यादा सजा शराबबंदी कानून से जुड़े मामलों में दिलवाई गई. यह संख्या कुल मामलों में 89% है. शराब के सबसे ज्यादा मामले मोतिहारी, गया, पटना, भोजपुर, छपरा, नालंदा, बक्सर, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, गोपालगंज, सीवान और सुपौल से सामने आए.