Bihar Politics: बिहार की सियासत में शिवदीप लांडे के बाद एक और IPS की इंट्री! 1995 बैच के अधिकारी ने इस पार्टी का थामा हाथ, जानें कौन है वो शख्स
Bihar Politics: पूर्व आईपीएस अधिकारी नुरुल होदा ने वीआईपी पार्टी जॉइन कर बिहार की राजनीति में कदम रखा है। जानिए उनका राजनीतिक सफर, निजी पृष्ठभूमि और चुनावी तैयारी की पूरी जानकारी।

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक और आईपीएस अधिकारी की एंट्री होने जा रही है। 1995 बैच के आईपीएस रहे मो. नुरुल होदा ने अपने पद से इस्तीफा देकर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का दामन थाम लिया है। वे बुधवार को आधिकारिक रूप से पार्टी में शामिल हो गए और माना जा रहा है कि वे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीतामढ़ी जिले की किसी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं।
क्यों सुर्खियों में हैं नुरुल होदा?
नुरुल होदा का नाम इस समय इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि उन्होंने वक्फ कानून के खिलाफ अपनी खुली नाराज़गी जाहिर की है। यही कारण है कि उन्होंने वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी की राजनीतिक लाइन से सहमति जताते हुए राजनीति में उतरने का फैसला किया है।
कौन हैं नुरुल होदा?
नुरुल होदा बिहार के सीतामढ़ी जिले के मूल निवासी हैं। वे रेलवे सुरक्षा बल (RPF) में आईजी स्तर के अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने यूपीएससी के साथ-साथ बीपीएससी और अवर सेवा चयन परीक्षा भी पास की थी, लेकिन वे अपने उद्देश्य को लेकर हमेशा स्पष्ट रहे और अंततः आईपीएस सेवा को चुना।
उनकी शिक्षा यात्रा भी प्रभावशाली रही है। उन्होंने सीतामढ़ी से प्रारंभिक शिक्षा, फिर बिहार विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। वे अंग्रेजी, उर्दू, फारसी और अरबी भाषाओं में भी दक्ष हैं।
पेशेवर उपलब्धियां
अपने लंबे करियर में उन्होंने धनबाद, आसनसोल, और दिल्ली मंडल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रेलवे सुरक्षा, नक्सल नियंत्रण, और अपराध रोकथाम के लिए कई नई रणनीतियां लागू कीं। वे दो बार विशिष्ट सेवा पदक और दो बार महानिदेशक चक्र से सम्मानित हो चुके हैं।
सामाजिक योगदान
आईपीएस की ड्यूटी के साथ-साथ नुरुल होदा सामाजिक रूप से भी बेहद सक्रिय रहे हैं। वे अपने पैतृक गांव में 300 बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। इसके साथ ही वे एक मैराथन धावक भी हैं और प्रतिदिन 10 किलोमीटर दौड़ना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।
राजनीति में आने का उद्देश्य
नुरुल होदा का राजनीति में उतरना सिर्फ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं बल्कि नीतिगत मतभेद और सामाजिक सरोकारों के कारण है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वक्फ कानून के दायरे में होने वाले कथित भ्रष्टाचार और असमानता के खिलाफ वे अब लोकतांत्रिक मंच से आवाज़ उठाएंगे।
क्या वे बन सकते हैं वीआईपी का चेहरा?
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की कोशिश है कि वे नुरुल होदा जैसे ईमानदार, अनुभवी और योग्य व्यक्ति को पार्टी का बड़ा चेहरा बनाएं, खासकर सीतामढ़ी और मिथिलांचल क्षेत्र में। अगर नुरुल होदा को पार्टी टिकट देती है, तो वे आने वाले चुनावों में एक मजबूत उम्मीदवार साबित हो सकते हैं।