बिहार के इतने शिक्षक निगरानी विभाग के टारगेट पर, सबकुछ होगा पर्दाफाश, शिक्षक महकमे में हड़कंप

फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने शिकंजा कस दिया है। डीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि अब तक 6.46 लाख से अधिक प्रमाण पत्रों की जांच पूरी हो चुकी है। 30 नवंबर 2025 तक कुल 1,707 एफआईआर दर्ज की गई है

Patna - बिहार में नियोजित शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया में हुए फर्जीवाड़े को लेकर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau) ने एक बड़ी रिपोर्ट साझा की है। ब्यूरो के डीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि माननीय पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त हुए शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की सघन जांच जारी है। इस जांच के दायरे में लाखों शिक्षक आए हैं, जिनके प्रमाण पत्रों की सत्यता जांची जा रही है। 

6.46 लाख से अधिक प्रमाण पत्रों की हुई जांच

डीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि अब तक कुल 6,46,796 शिक्षकों के मूल प्रमाण पत्रों की जांच सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। यह जांच प्रक्रिया सरकार और न्यायालय के आदेश के बाद शुरू की गई थी ताकि जाली दस्तावेजों के सहारे नौकरी हथियाने वाले चेहरों को बेनकाब किया जा सके। विभाग हर महीने इन आंकड़ों की समीक्षा करता है और वर्तमान आंकड़े 30 नवंबर 2025 तक की स्थिति को दर्शाते हैं। 

अब तक 1,707 एफआईआर और 2,912 अभियुक्त

जांच के दौरान बड़ी संख्या में शिक्षकों के प्रमाण पत्र या तो फर्जी पाए गए हैं या उनमें गंभीर त्रुटियां मिली हैं। डीजी ने स्पष्ट किया कि 30 नवंबर 2025 तक इस मामले में कुल 1,707 एफआईआर (FIR) दर्ज की जा चुकी हैं। इन प्राथमिकियों में कुल 2,912 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। कुछ मामलों में एक ही एफआईआर में एक से अधिक शिक्षकों को नामजद किया गया है, जो इस घोटाले की गहराई को दर्शाता है। 

वर्ष 2025 में दर्ज हुए 126 नए मामले

निगरानी ब्यूरो की कार्रवाई इस साल भी पूरी तेजी के साथ जारी रही। डीजी जितेंद्र सिंह गंगवार के अनुसार, अकेले वर्ष 2025 में अब तक अलग-अलग जिलों में 126 नई एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। इसमें मार्च के महीने में सर्वाधिक 21 मामले दर्ज हुए, जबकि जनवरी में 16 और नवंबर में 15 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। विभाग का कहना है कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक सभी संदिग्ध दस्तावेजों की जांच पूरी नहीं हो जाती। 

जाली प्रमाण पत्र वालों पर गिरेगी गाज

निगरानी विभाग की इस सक्रियता से उन शिक्षकों में हड़कंप मच गया है जिन्होंने फर्जी डिग्रियों के आधार पर लंबे समय से सरकारी खजाने का लाभ लिया है। डीजी ने साफ किया कि कोर्ट के आदेशानुसार इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। आने वाले समय में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, एफआईआर और अभियुक्तों की संख्या में और भी इजाफा होने की संभावना है।

Report - anil kumar