अजीब विरोध! प्रखंड कार्यालय में कंबल नहीं मिला तो महिला पर आया 'भूत', बीच परिसर में किया हंगामा!

महनार प्रखंड कार्यालय में कंबल न मिलने से नाराज एक महिला ने खुद पर भूत आने का दावा करते हुए जमकर हंगामा किया। बीडीओ ने स्पष्ट किया कि वितरण पंचायत स्तर पर चल रहा है, वहीं इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

 अजीब विरोध! प्रखंड कार्यालय में कंबल नहीं मिला तो महिला पर
प्रखंड कार्यालय में कंबल पर हंगामा।- फोटो : रिषभ कुमार

Supaul - : महनार प्रखंड कार्यालय परिसर शुक्रवार को उस समय रणक्षेत्र में तब्दील हो गया जब कंबल लेने पहुँची एक महिला ने अधिकारियों की अनुपस्थिति और कंबल न मिलने से नाराज होकर 'भूत' आने का दावा कर दिया। महिला ने परिसर में ही चीखना-चिल्लाना और अजीबोगरीब हरकतें (भूतखेली) शुरू कर दी, जिसे देख वहां मौजूद कर्मियों और आम जनता के बीच अफरा-तफरी मच गई। 

बीडीओ की अनुपस्थिति ने बढ़ाया आक्रोश

जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में ठंड को देखते हुए कंबल वितरण की सूचना पर कई लोग प्रखंड कार्यालय पहुँचे थे。 जब महिला को कंबल नहीं मिला, तो वह सीधे प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज कराना चाहती थी。 हालांकि, उस समय बीडीओ मुकेश कुमार जिला मुख्यालय में जिलाधिकारी की बैठक में शामिल होने गए थे。 अधिकारी से मुलाकात न होने पर महिला का धैर्य जवाब दे गया और उसने खुद पर ऊपरी साया होने का दावा करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। 

अंधविश्वास या प्रशासनिक हताशा?

प्रखंड परिसर में महिला को इस तरह हरकतें करते देख लोग दो गुटों में बंट गए。 कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे शुद्ध अंधविश्वास का मामला बताया, वहीं कुछ का मानना था कि भीषण ठंड में घंटों इंतजार और व्यवस्था की अनदेखी के कारण महिला मानसिक रूप से हताश हो गई थी, जिसका नतीजा इस उग्र विरोध के रूप में सामने आया। 

बीडीओ ने दी सफाई: पंचायत स्तर पर हो रहा है वितरण

इस घटना के संबंध में महनार बीडीओ मुकेश कुमार ने दूरभाष पर बताया कि वे उस समय डीएम की बैठक में थे。 उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रखंड में कंबलों का वितरण पंचायत सचिव और मुखिया के माध्यम से कराया जा रहा है。 बीडीओ ने यह भी संकेत दिया कि उक्त महिलाएं नगर क्षेत्र से संबंधित हो सकती हैं, जिसकी जिम्मेदारी कार्यपालक पदाधिकारी की है। 

व्यवस्था पर उठे सवाल

काफी मशक्कत के बाद स्थानीय लोगों और कार्यालय कर्मियों ने महिला को समझा-बुझाकर शांत कराया。 हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर सरकारी संवाद तंत्र और जरूरतमंदों तक राहत पहुँचाने की प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह केवल अंधविश्वास है या व्यवस्था के खिलाफ उपजा एक अनोखा विरोध प्रदर्शन?

रिपोर्ट - रिषभ कुमार