Bihar Weather: बिहार में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 14 की मौत,12 लोग झुलसे, मानसून की दस्तक से पहले प्रकृति का तांडव
Bihar Weather: मानव सभ्यता चाहे जितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, प्रकृति के कोप के आगे वह आज भी एक अबोध शिशु समान ही दिखती है। बीते 24 घंटे के भीतर आकाशीय बिजली गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य लोग झुलस गए हैं....
प्रकृति का प्रलयंकारी तांडव: बिहार में वज्रपात से 14 की हृदय विदारक मृत्यु
Bihar Weather: मानव सभ्यता के गगनचुंबी उत्थान के बावजूद, प्रकृति के विकराल सम्मुख वह आज भी एक अबोध शिशु सदृश ही है। विगत दस दिनों से बिहार को झुलसाती प्रचंड धूप और अग्नि-सी लू के बीच, जब लोकमानस ने शीतल वर्षा की अभिलाषा में नयन आकाश की ओर उठाए थे, तब मेघों से अमृत की फुहार के स्थान पर वज्र का क्रूर प्रहार हुआ, और आशा का वह दीप क्षण भर में मातम के गहन तिमिर में विलीन हो गया।
मंगलवार का सूर्योदय मानो किसी आसन्न विपत्ति की मूक सूचना लेकर उदित हुआ था। मौसम विज्ञान विभाग ने प्रदेश के समस्त अड़तीस जिलों में मध्यम से भारी वर्षा की भविष्यवाणी करते हुए आँधी और वज्रपात के लिए ऑरेंज तथा येलो अलर्ट जारी किया था। किंतु, संभवतः किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि राहत की बूँदों से पूर्व, कड़कती विद्युत जीवन की लौ को यूँ निर्ममता से बुझा देगी।
विगत चौबीस घंटों के भीतर आकाशीय बिजली गिरने से चौदह प्राणों का असमय अंत हो गया, जबकि बारह अन्य गंभीर रूप से झुलस कर चिकित्सालयों में जीवन और मृत्यु के मध्य संघर्षरत हैं। बक्सर, कैमूर, कटिहार, बगहा, भागलपुर, सीतामढ़ी और बेतिया जैसे जिलों में तो मानो वज्र मृत्यु का अक्षम्य फरमान लेकर टूटा।
बक्सर: जहाँ पीपल का वृक्ष बना मृत्यु का द्वार
सर्वाधिक भयावह दृश्य बक्सर जिले में दृष्टिगोचर हुआ, जहाँ वर्षा से आश्रय पाने हेतु जनसमूह गंगा किनारे स्थित एक विशाल पीपल वृक्ष तले एकत्रित था। परंतु, तीव्र गर्जना और विद्युत की एक चीखती हुई चमक ने सब कुछ क्षण भर में समाप्त कर दिया। चार जीवन काल कवलित हो गए और अनेक घायल हुए। चौसा बाजार के मिथलेश राम (22), झोला सिंह (60), वीरेंद्र गोंड (45), और द्वादश वर्षीय अंकुश राम इस क्रूर दुर्घटना के ग्रास बन गए। बादलों की गड़गड़ाहट ने ज्यों ही अपनी आहट दी, धरती के किसी कोने में किसी माँ की कोख सदा के लिए सूनी हो गई।
कटिहार: खेतों में बिछी मौत की चादर
कटिहार जिले में भी आकाश से गिरी यह मृत्यु एक वृद्धा को लील गई जो अपनी बकरियाँ चरा रही थी। वहीं, बारसोई में खेत में घास काट रही एक अन्य महिला भी इसकी चपेट में आ गई। फलका के मघेली गाँव में एक किशोर वर्षा में भीगते-भीगते इस नश्वर संसार से विदा हो गया — संभवतः यह उसके जीवन की पहली वर्षा थी, जिसने उसे अंतिम यात्रा पर भेज दिया।
बगहा और बेतिया: मासूमों पर टूटा कुदरती कहर
बगहा के रामनगर में आम के एक सघन बगीचे में खेलते दो छात्र — शमीम अंसारी और अजीम मियां — वज्रपात का शिकार हो गए। उनके साथ खेल रहे तीन अन्य बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए हैं। बेतिया के लौरिया थाना क्षेत्र में धान की रोपनी के उपरांत लौटते श्रमिकों पर बिजली गिरी। एक महिला की दुखद मृत्यु हो गई, जबकि पाँच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। जीवन का सृजन करने खेत निकले थे, किंतु वापसी में नियति ने मृत्यु का उपहार दिया।
मानसून की दस्तक या विध्वंस का पैग़ाम?
बिहार में मानसून की पदचाप सुनाई देने लगी है। मौसम विभाग का दावा है कि आगामी चौबीस घंटों में मानसून का औपचारिक प्रवेश हो सकता है। इस बार सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना व्यक्त की गई है, जो किसानों के लिए तो अमृततुल्य सिद्ध हो सकती है, किंतु यदि प्रकृति का यही रौद्र रूप अनवरत जारी रहा, तो वह सामान्य जनमानस के लिए भयावह त्रासदी का रूप भी ले सकती है।
वज्रपात: जब आकाश बन गया यमराज
प्राचीन आख्यानों में वज्रपात को इंद्र का शस्त्र कहा गया है, जो दुष्टों का संहार करता है। परंतु, आज का वज्रपात निर्दोष ग्रामवासियों, मासूम बालकों और परिश्रमी श्रमिकों पर कहर बनकर टूट रहा है। यह मात्र मौसम का परिवर्तन नहीं, अपितु प्रकृति की एक भीषण चेतावनी है — मानव को उसकी सीमाओं का स्मरण कराती हुई।
बिहार के आसमान में विद्युत की यह दहाड़ केवल कड़कती ध्वनि मात्र नहीं थी, वह चीख थी — उन परिवारों की, जिनकी रसोई से अब एक प्रिय स्वर सदा के लिए मौन हो गया है। इस आसमानी कहर से बचाव के लिए क्या और अधिक जागरूकता तथा ठोस कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है?
हीरेश कुमार की रिपोर्ट