अभी-अभी: बिहार के इन जिलों में भारी बारिश और बिजली गिरने का अलर्ट, जानें पटना की ताजा स्थिति!
बिहार मौसम सेवा केंद्र के मौसम बुलेटिन के अनुसार, राज्य के विभिन्न हिस्सों में वर्षा की मधुर फुहारों ने जीवन में नई स्फूर्ति भर दी है. बिहार में मानसून के आगमन से गर्मी से काफी राहत मिली है....
Bihar Weather:बिहार में मानसून की पहली बौछारें बुधवार को धरती पर ऐसे उतरीं जैसे प्रकृति ने अपना अनमोल आशीर्वाद बरसाया हो. बिहार मौसम सेवा केंद्र के मौसम बुलेटिन के अनुसार, राज्य के विभिन्न हिस्सों में वर्षा की मधुर फुहारों ने जीवन में नई स्फूर्ति भर दी है. बिहार में मानसून के आगमन से गर्मी से काफी राहत मिली है. कोसी, सीमांचल और मगध जैसे क्षेत्रों के जिलों में अच्छी बारिश हुई है, जिससे लोगों को चिलचिलाती धूप से सुकून मिला. बुधवार शाम को गया में हुई झमाझम बारिश ने विशेष रूप से गर्मी का प्रकोप कम किया. इसके अलावा, पूर्णिया और जहानाबाद समेत कुछ अन्य जिलों में भी वर्षा दर्ज की गई.
आज, मौसम विभाग ने बिहार के कई जिलों के लिए तेज हवा, बारिश और वज्रपात का अलर्ट जारी किया है. इन जिलों में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, पटना, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, गया, नालंदा, गोपालगंज, रोहतास, कैमूर, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई और सीतामढ़ी शामिल हैं. इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी गई है, खासकर वज्रपात के समय.
बिहार के अलग-अलग अंचलों में मानसून ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. पटना, गया, भोजपुर, और वैशाली जैसे क्षेत्रों में 18 जून को सुबह 06:01 बजे IST तक 137.3 मिमी तक वर्षा दर्ज की गई, जो प्रकृति की उदारता का प्रमाण है. गया में 98.5 मिमी, भोजपुर में 82.0 मिमी, और वैशाली में 70.0 मिमी वर्षा ने धरती को तृप्त किया. वहीं, मुजफ्फरपुर में 63.8 मिमी और दरभंगा में 54.8 मिमी वर्षा ने हरियाली को बढ़ावा दिया. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि मानसून की यह लहर पूरे राज्य में एक समान रूप से नहीं, बल्कि क्षेत्र विशेष के अनुसार वितरित हुई है, मानो प्रकृति अपने हर बच्चे को उसकी ज़रूरत के हिसाब से सिंचित कर रही हो.
वायुमंडल में आर्द्रता 41.5% से 23.1% तक रही, जो मानसून के आगमन के साथ प्रकृति के संतुलन को बखूबी दर्शाती है. तापमान 33°C से 28°C के बीच रहा, जिसने गर्मी से राहत प्रदान की. बिहार के नक्शे पर दिखाई देने वाले रंग-बिरंगे चित्र बताते हैं कि कहाँ वर्षा की मात्रा अधिक रही और कहाँ कम. यह दृश्य मानो प्रकृति का एक रंगमंच हो, जहाँ हर क्षेत्र का अपना किरदार है, और वर्षा की बूंदें उस किरदार को जीवंत कर रही हैं.
मानसून की यह बरसात खेतों के लिए अमृत के समान है. धान, मक्का और अन्य खरीफ फसलों की बुवाई के लिए यह जल जीवनदायिनी सिद्ध होगा, जिससे खेतों में हरियाली की नई पौध फूटेगी. बुलेटिन में हालांकि यह चेतावनी भी दी गई है कि कुछ क्षेत्रों में अधिक वर्षा से जलभराव की संभावना है, जिसके लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है. फिर भी, यह प्रकृति का वह अमूल्य उपहार है, जो बिहार की मिट्टी को स्वर्णिम फसलें प्रदान करेगा, और किसानों के जीवन में समृद्धि लाएगा
मानसून केवल वर्षा नहीं है, यह एक जीवनचक्र है जो बिहार की अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी को गहरा प्रभावित करता है:मानसून का सीधा और सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव कृषि पर पड़ता है. बिहार की कृषि मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर करती है. अच्छी बारिश धान, मक्का, दलहन और तिलहन जैसी फसलों की बंपर पैदावार सुनिश्चित करती है.नदियों, तालाबों और भूजल स्तर में वृद्धि होती है, जिससे पेयजल और सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध होता है.भीषण गर्मी से राहत मिलती है और मौसम सुहाना हो जाता है, जिससे जनजीवन को आराम मिलता है.वनस्पति और जीव-जंतुओं के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनती हैं, जिससे जैव विविधता बनी रहती है.
हालांकि, इस प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ ही, जलवायु परिवर्तन की धमक भी सुनाई देती है. अनियमित वर्षा पैटर्न, कहीं अत्यधिक वर्षा तो कहीं सूखे की स्थिति, और मानसून के आगमन व प्रस्थान में अनिश्चितता अब आम होती जा रही है. यह बताता है कि प्रकृति का यह संगीत अब उतना सुरीला नहीं रहा, जितना पहले था. हमें इस बदलते सुर को समझना होगा और इसके प्रति जागरूक रहना होगा.19 जून 2025 को बिहार में मानसून की मंद-मंद बूंदों ने न केवल जलवायु को संतुलित करेंगी वरन जीवन को एक नई दिशा भी देंगी।