Bihar Crime: बिहार के चर्चित बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड! चंदन मिश्रा की हत्या की वजह से 27 साल बाद क्यों याद आ गया है भयावह वाकया?

Bihar Crime: बिहार के चर्चित बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड ने राज्य की राजनीति और अपराध जगत को हिला दिया था। जानें कैसे श्रीप्रकाश शुक्ला ने मंत्री को उतारा था मौत के घाट।

बिहार में क्राइम का इतिहास- फोटो : social media

Bihar Crime: बिहार की राजनीति में 13 जून 1998 का दिन हमेशा के लिए दर्ज हो गया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रहे बृजबिहारी प्रसाद की दिन-दहाड़े हत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया। राजधानी पटना के IGIMS अस्पताल में इलाज के दौरान सरेआम गोली चलाकर उनकी हत्या की गई थी।इस घटना ने यह दिखा दिया था कि अपराधी कितने बेखौफ हो चुके हैं, चाहे वह किसी बड़े नेता की सुरक्षा में ही क्यों न हो। बृजबिहारी प्रसाद का राजनीति में जबरदस्त दबदबा था, लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हुए थे। CBI ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था, जिससे उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।

अपराध और राजनीति की खतरनाक जुगलबंदी

इस हत्या के पीछे बिहार के कुख्यात बाहुबली नेता आनंद मोहन का नाम सामने आया। आनंद मोहन ने उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला को बृजबिहारी प्रसाद को मारने का जिम्मा सौंपा।

श्रीप्रकाश शुक्ला वही नाम है जिसने यूपी में मुख्यमंत्री तक को मारने की सुपारी ले ली थी और जिसकी वजह से पहली बार यूपी में STF का गठन हुआ था।राजेश पांडेय की किताब ‘वर्चस्व’ में इस घटना का पूरा ब्यौरा मिलता है। बताया गया है कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने अस्पताल में खुद मरीज बनकर भर्ती होकर हत्या की योजना बनाई। उसने अपने दो साथियों अनुज और सुधीर को भी साथ में रखा।

अस्पताल में भर्ती होकर रेकी और प्लानिंग

हत्या इतनी सरल नहीं थी क्योंकि बृजबिहारी प्रसाद के साथ लगभग 20-25 गनर मौजूद रहते थे। लेकिन श्रीप्रकाश शुक्ला ने बेहद चालाकी से अस्पताल में खुद को भर्ती कराया और बृजबिहारी प्रसाद के रूटीन को समझा।ड्रिप और कंबल की आड़ में AK-47 लेकर वह लॉन में पहुंचा, जहां रोज की तरह बृजबिहारी प्रसाद टहलने आते थे।13 जून की सुबह जब बृजबिहारी प्रसाद लॉन में टहलने आए, तभी श्रीप्रकाश शुक्ला ने AK-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस दौरान उसके साथियों ने भी पिस्टल से गोलीबारी शुरू कर दी और अस्पताल की रेलिंग फांदकर फरार हो गए।

बिहार में अपराध और राजनीति का गहरा नाता

इस हत्याकांड ने यह भी साफ कर दिया कि बिहार में अपराध और राजनीति के बीच कैसे संबंध थे। बृजबिहारी प्रसाद एक मंत्री थे, लेकिन उनके खिलाफ केस भी चल रहा था और दुश्मनी इतनी गहरी थी कि सरेआम हत्या की गई।बिहार की राजनीति में ऐसे कई किस्से हैं जहां अपराधियों और नेताओं का गठजोड़ देखने को मिला है। 1990 के दशक में लालू यादव और राबड़ी देवी की सरकार में ऐसे कई उदाहरण सामने आए थे।

27 साल बाद भी क्यों ताजा है याद?

2025 में जब पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा की हत्या हुई, तब लोगों को फिर से 1998 की घटना याद आ गई। चंदन मिश्रा की हत्या भी उतनी ही बेखौफ अंदाज में हुई थी। CCTV कैमरों के बावजूद अपराधियों ने खुल्लमखुल्ला गोली चलाई और फरार हो गए। कई लोग कह रहे हैं कि श्रीप्रकाश शुक्ला जैसा शातिर अपराधी तो था ही, लेकिन आज भी अपराधियों का वही दबदबा बना हुआ है।