Bihar news - बिहार के ग्रामीण इलाकों में बदल रही है सोच , बाल विवाह के आंकड़ों में भारी कमी, गिरफ्तारियां व एफआईआर जैसे कानूनी उपाय साबित हुए सबसे कारगर उपाय
Bihar news - बाल विवाह को लेकर बिहार के ग्रामीण इलाकों में सोच धीरे-धीरे बदल रही है। जिसके बाद माना जा रहा है कि अगले कुछ सालों में बाल विवाह की प्रथा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
Patna - बड़े पैमाने पर बाल विवाह के लिए अक्सर खबरों में बने रहने वाले बिहार में अब इसमें खासी गिरावट देखने में आई है। साफ है कि ग्रामीण इलाकों में अब शादी विवाह को लेकर सोच बदल रही है। जो कि बेहद सुखद है
एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 70 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह की दर में 68 प्रतिशत की कमी आई है। है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की ओर से जारी शोध रिपोर्ट, ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो : एविडेंस टूवर्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ के अनुसार खराब आर्थिक स्थिति (90%), बच्चों के लिए अच्छा जोड़ीदार मिल जाना (65%) और सुरक्षा के सवाल (39%) अब भी इस राज्य में बाल विवाह के पीछे प्रमुख कारण हैं।
बिहार में स्थिति हुई बेहतर
राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों में बाल विवाह की दर में 69 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह की दर में 72 प्रतिशत की गिरावट आई है। सर्वे में शामिल अन्य चार राज्यों में लड़कियों की बाल विवाह की दर में असम में सबसे ज्यादा 84% जबकि महाराष्ट्र में 70%, राजस्थान में 66% और कर्नाटक में 55% की गिरावट आई।
250 से ज्यादा संगठन कर रहे काम
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान केंद्र, राज्य सरकारों और नागरिक समाज संगठनों के समन्वित प्रयासों की बदौलत बाल विवाह की दर में यह अप्रत्याशित गिरावट संभव हुई है। बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के लिए यह रिपोर्ट सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहैवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने तैयार की है।
जिसे न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर एक अलग कार्यक्रम में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने जारी किया। बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के 32 सहयोगी संगठन बिहार के 38 जिलों में काम कर रहे हैं।
बिहार में 150 गांव में सर्वे, 92 परसेंट ने कहा बाल विवाह बंद
बिहार दशकों से बाल विवाह के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में शुमार रहा है और ऐसे में रिपोर्ट के नतीजे बेहद अहम बदलावों की ओर इशारा करते हैं। बिहार के 150 गांवों में हुए इस सर्वे में 92% प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके गांवों में बाल विवाह या तो पूरी तरह बंद हो गया है या काफी हद तक इस पर लगाम लग चुकी है। साथ ही, 99% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें बाल विवाह की रोकथाम से संबंधित कानूनों के बारे में मालूम है और 89% ने कहा कि यह जानकारी उन्हें गैरसरकारी संगठनों से मिली जबकि 82% ने कहा कि उन्हें सामुदायिक बैठकों में यह जानकारी मिली।
2030 में खत्म हो जाएगा
बाल विवाह के खात्मे के लिए बिहार में इसके प्रति रैवैये में तब्दीली, व्यापक नीतिगत बदलावों और जमीनी कार्रवाइयों की सराहना करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संयोजक रवि कांत ने कहा, “अर्से से बिहार में बाल विवाह की दर देश में सबसे ज्यादा रही है। लेकिन जिस तरह से सरकार ने ग्राम पंचायतों की जवाबदेही तय करने, पंचायतों के सशक्तीकरण और सभी संबंधित पक्षों को साथ लेते हुए जमीन पर जागरूकता अभियान चलाने जैसे कदम उठाए हैं, उसके नतीजे अब दिखने लगे हैं।
हम आश्वस्त हैं कि इस तरह के समन्वित प्रयासों से बिहार 2030 से पहले बाल विवाह से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा।” रिपोर्ट में बाल विवाह में इस उल्लेखनीय गिरावट का श्रेय बिहार सरकार की विभिन्न पहलों को दिया गया। इसके अनुसार, किसी भी गांव में बाल विवाह के लिए पंचायतों व मुखिया को और सरकार के ‘बाल विवाह और दहेज मुक्त हमारा बिहार’ अभियान ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
जागरुकता अभियान प्रभावी औजार
रिपोर्ट आगे कहती है कि राज्य में 97 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जागरूकता अभियानों को बाल विवाह के खिलाफ सबसे प्रभावी औजार करार दिया तो 68 प्रतिशत ने कहा कि गिरफ्तारी और एफआईआर जैसी कानूनी कार्रवाइयों ने बिहार में बाल विवाह से निपटने में सबसे अहम भूमिका निभाई है।
यह पूछने पर कि क्या उन्हें भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के बारे में पता है तो 97 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इसका जवाब ‘हां’ में दिया। आश्चर्यजनक रूप से 93 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे जागरूकता अभियानों के दौरान बाल विवाह के खिलाफ शपथ ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय अभियान में गैरसरकारी संगठनों की अग्रणी भूमिका रही है।
रिपोर्ट में 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए बाल विवाह कानूनों पर सख्ती से अमल, सूचना तंत्र को बेहतर बनाने, विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने और बाल विवाह मुक्त भारत के पोर्टल पर ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रमों की सिफारिश की गई है। साथ ही, बाल विवाह के खिलाफ लोगों को लामबंद करने के उद्देश्य से बाल विवाह मुक्त भारत के लिए एक राष्ट्रीय दिवस भी तय करने की सिफारिश की गई है।
757 गांव से जुटाए गए साक्ष्य
यह रिपोर्ट देश के पांच राज्यों के 757 गांवों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। सर्वे के लिए इन सभी राज्यों व गांवों का इस तरह क्षेत्रवार तरीके से चयन किया गया कि वे देश के विविधता भरे सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों को परिलक्षित कर सकें।
बहुचरणीय स्तरीकृत सांयोगिक नमूना (मल्टीस्टेज स्ट्रैटिफाइट रेंडम सेंपलिंग) पर आधारित इस सर्वे में गांवों के आंकड़े जुटाने के लिए सबसे पहले आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूल शिक्षकों, सहायक नर्सों, दाइयों और पंचायत सदस्यों जैसे अग्रिम पंक्ति के लोगों से संपर्क किया गया जो सरकारी तंत्र और स्थानीय सामाजिक-जनसांख्यिकीय ताने-बाने से अच्छी तरह वाकिफ हैं।