Bihar news:बिहार में बंद पड़े उद्योगों को मिलेगी नई जान , चुनाव से पहले सरकार ने खोला रोजगार का नया रास्ता, बियाडा एमनेस्टी पॉलिसी 2025 लागू

Bihar news:मंत्री नीतीश मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि बियाडा को निर्देश दिया गया है कि आवेदन मिलने के तीन दिनों के भीतर सैद्धांतिक स्वीकृति दे। इससे न सिर्फ उद्याग वरन रोजगार के नए पथ का सृजन होगा....

Bihar news: पिछली शताब्दी में जब बिहार से उद्यमियों का पलायन आम हो गया था, तब राज्य के औद्योगिकीकरण का सपना धीरे-धीरे धुंधला पड़ गया। 2005 में सत्ता में आई नीतीश कुमार सरकार ने इस दिशा में कई पहलें कीं, लेकिन ठोस परिणाम लंबे समय तक नहीं दिखे। बीच में जब सैयद शाहनवाज हुसैन उद्योग मंत्री बने तो इस प्रयास में थोड़ी रफ्तार आई। इसके बाद नीतीश मिश्रा ने विभाग की कमान संभाली और औद्योगिकीकरण की दिशा में प्रयास अब जमीन पर उतरते दिख रहे हैं।

उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने संकेत दिया था कि बिहार चुनाव के बाद नीतीश सरकार उद्योगों के जरिए रोजगार का नया अध्याय लिखेगी। अब ऐसा प्रतीत होता है कि इस वादे को चुनाव से पहले ही अमली जामा पहनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

राज्य सरकार ने ‘बियाडा एमनेस्टी पॉलिसी 2025’ लागू की है, जिसके तहत बंद पड़ी इंडस्ट्री को दोबारा खोलने का आसान रास्ता उपलब्ध कराया गया है। इस योजना में 31 दिसंबर 2025 तक का अवसर दिया गया है, जिसमें उद्यमी अपने बंद या आंशिक क्रियाशील उद्योगों को पुनर्जीवित कर सकते हैं। इसका उद्देश्य है रद्द किए गए औद्योगिक प्लॉटों से जुड़े विवादों को निपटाना, ठप इकाइयों को फिर से सक्रिय करना और राज्य में रोजगार सृजन की नई संभावना बनाना।

मंत्री नीतीश मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि बियाडा की जमीन पर स्थापित इकाइयों के लाभुकों को वही अधिकार दिए जाएंगे जो नए उद्यमियों को मिलते हैं। उद्योगपति चाहें तो अपनी पुरानी फैक्ट्री खुद चला सकते हैं, किसी और को ट्रांसफर कर सकते हैं या फिर उत्पाद में बदलाव भी कर सकते हैं। इस पॉलिसी के तहत आवेदन की प्रक्रिया बेहद सरल बनाई गई है ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से शपथ पत्र और आवश्यक दस्तावेज के साथ आवेदन किया जा सकता है।

खास बात यह है कि बियाडा को निर्देश दिया गया है कि आवेदन मिलने के तीन दिनों के भीतर सैद्धांतिक स्वीकृति दे। इसके बाद आवेदक को अपनी इकाई से जुड़े कोर्ट में लंबित मामलों को वापस लेना होगा। केस खत्म होने पर सात दिनों के भीतर अंतिम स्वीकृति देकर उद्योग को दोबारा काम करने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए केवल भूखंड दर का 1 प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क देना होगा।

उद्योग मंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना की निगरानी अगले महीने पदभार ग्रहण करने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रत्यय अमृत करेंगे। इसे लेकर उद्योग जगत में नई उम्मीद जगी है कि बंद पड़े कारखाने अब रोजगार का बड़ा जरिया बन सकते हैं।

चुनाव से ठीक पहले लाई गई यह पॉलिसी न केवल नीतीश सरकार की राजनीतिक रणनीति को मजबूती देगी, बल्कि बिहार के औद्योगिकीकरण की राह में पड़े अवरोध भी दूर करने का प्रयास करेगी।